जोधपुरः स्कूली बच्चों को तनाव से मुक्त रखने और उनको अपनी बात कहने के लिए प्रेरित करने के लिए जोधपुर की एक सरकारी स्कूल में नवाचार किया गया है. इसके तहत स्कूल में वेलबिइंग बॉक्स लगाया गया है. इसे 'आनंदमय पेटिका' नाम दिया गया है. ऐसे छात्र जो अपनी बात किसी को कहने में झिझकत हैं, वे पर्ची पर लिखकर इस बॉक्स में डाल सकते हैं.
सरदारपुरा स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय श्यामा सदन में ये नवाचार प्रिंसिपल शीला आसोप के छात्रों के शारीरिक, मानसिक सहित संपूर्ण विकास को लेकर एनसीईआरटी में चयनित प्राजेक्ट के तहत किया गया है. इस नवाचार को अब पूरे जोधपुर में लागू किया जाएगा. प्रिंसिपल शीला आसोपा ने बताया कि जो बच्चे छोटी कक्षाओं में अपनी बात नहीं कह पाते हैं, उनके प्रतियोगितात्मक दौर में तनाव के चलते आत्महत्या तक कदम उठाने की आशंका रहती है. इसे ध्यान में रखते हुए एनसीईआरटी की ओर से स्वीकृत 'होलिस्टिक डवलपमेंट ऑफ स्टूडेंट एट फाउंडेशन लेवल' प्रोजेक्ट के तहत यह प्रयोग किया गया है.
बनाया स्टूडेंट वेलबिइंग क्लबः आसोपा ने बताया कि इसे लागू करने के साथ अपने स्कूल में वेलबिइंग क्लब बनाया जाता है. इसमें प्रिंसिपल सुपरवाइजर होंगे. क्लब में क्लास टीचर बतौर मेंटोर, क्लब इंचार्ज स्टूडेंट और कक्षा 9, 10, 11 व 12वीं से मॉनिटर को शामिल किया जाता है. मॉनिटर अपनी कक्षा में गुमसुम रहने वाले या अचानक किसी स्टूडेंट के चिड़चिड़ा होने की जानकारी रखते हैं, जो पहले उस स्टूडेंट के मित्र से जानने की कोशिश करते हैं कि उसे क्या परेशानी है. साथ ही अपनी बात पेटिका में लिखकर डालने के लिए प्रेरित करते हैं.
काउंसलिंग से हल के प्रयासः प्रिंसिपल शीला आसोपा ने बताया कि इस पेटिका में स्टूडेंट की चिंताओं और तनाव को लेकर मिली पर्ची के बाद सबसे पहले व्यक्तिगत काउंसलिंग कर उनकी समस्या दूर करने का प्रयास करेंगे. शीला आसोपा ने बताया कि स्टूडेंट की परेशानी के हल के लिए जरूरत पड़ने पर अभिभावकों से भी बात की जाती है. इस नवाचार का एक उद्देश्य यह भी है कि इसके माध्यम से शिक्षक भी बच्चों की समस्याओं को समझें.
एम्स के डॉक्टर्स के साथ हुई वर्कशॉपः आसोपा ने बताया कि हमने यह लागू करने से पहले बच्चों के लिए एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टर्स के साथ एक वर्कशॉप आयोजित की थी. विशेषज्ञों ने छात्रों को समझाया कि वे अपने उपर उन बातों को हावी नहीं होने दें, जिनसे नेगेटिविटी आती हो. अपनी बात को सबसे पहले अभिभावक को नहीं तो अपने मित्र को बताएं इसके बाद अध्यापक को अन्यथा वे पेटिका का उपयोग करें. इससे उनकी परेशानी प्रिंसिपल तक सीधे पहुंचेगी व उसका समाधान कर सकेंगे.