बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने कर्नाटक सरकार के 14 विभागों से 'अप्रासंगिक' जानकारी मांगने वाले एक आरटीआई कार्यकर्ता को फटकार लगाई. साथ ही अदालत ने कोर्ट फीस के रूप में उससे 9 लाख 64 हजार 600 रुपये वसूलने का आदेश दिया.
खबर के मुताबिक, आरटीआई कार्यकर्ता दावलसाब एम मियानावर ने राज्य सरकार के कई विभागों की अप्रासंगिक जानकारी मांगने के लिए 9, 646 आरटीआई आवेदन दायर किया था. हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील को खारिज करने के कर्नाटक सूचना आयोग के आदेश को भी बरकरार रखा है.
हुबली के आरटीआई कार्यकर्ता दावलसाब एम मियानावर द्वारा दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई की. दावलसाब ने आरटीआई के तहत दायर 9,646 आवेदनों को खारिज करने के राज्य सूचना आयोग के फैसले को चुनौती दी थी, अदालत ने अपने 25 सितंबर, 2024 के फैसले में, जिसे हाल ही में अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया गया था, इस तरह की प्रथाओं के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की और उन्हें कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया.
जस्टिस सचिन शंकर मगदुम ने याचिका खारिज करते हुए कहा, "विभिन्न विभागों में हजारों आरटीआई आवेदन दाखिल करने में याचिकाकर्ता का आचरण कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. ऐसी प्रथाओं के कारण, अच्छे इरादों से दायर वास्तविक आवेदनों के निपटान में देरी हो रही है."
जस्टिस सचिन शंकर मगदुम ने आरटीआई कार्यकर्ता दावालसाब की याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें आवश्यक अदालती शुल्क का भुगतान किए बिना अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति देने की मांग की गई थी. जस्टिस ने इस पर कहा कि, आरटीआई कार्यकर्ता का यह अनुरोध स्वीकार्य नहीं है.
वह इसलिए क्योंकि यह एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा और दूसरों को बिना किसी परिणाम का सामना किए आरटीआई अधिनियम और कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है. उन्होंने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को दावालसाब से अदालती शुल्क वसूलने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया.
नवलगुंड तालुक पंचायत के कार्यकारी अधिकारी के समक्ष दावालसाब की पहली अपील और राज्य सूचना आयोग के समक्ष दूसरी अपील को इस आधार पर खारिज किया गया कि, उनके द्वारा मांगी गई जानकारी अनावश्यक और दुर्भावनापूर्ण इरादे से भरी हुई थी. जिसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
दावालसाब ने बागलकोट, बल्लारी, विजयपुरा, बेंगलुरु शहरी, दावणगेरे, चामराजनगर, चिकमंगलूर, चित्रदुर्ग, हासन, गदद सहित कई जिलों में 9,646 आरटीआई आवेदन दायर किए थे. इनमें से 3,737 आवेदन ग्रामीण विकास और पंचायत राज विभाग से संबंधित थे, 964 लोक निर्माण विभाग से और 492 बागवानी विभाग से संबंधित थे. दिलचस्प बात यह है कि, मुख्य सूचना आयोग ने आवेदनों की भारी संख्या को देखते हुए दावालसाब की अपील पर सुनवाई के लिए पूर्ण सदस्यीय पीठ का गठन किया था.
सुनवाई के बाद आरटीआई पीठ ने अगस्त 2023 में दावालसाब की याचिका को खारिज कर दिया. पीठ ने इसका कारण यह बताया कि, दुर्भावनापूर्ण इरादों से दायर ऐसी याचिकाओं पर विचार करने से प्रशासनिक दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी होगी. उसके बाद दावालसाब ने सूचना आयोग के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
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