झुंझुनू. पुलवामा में हुए हमले में राजस्थान के पांच जवान शहीद हुए हैं. जिसके चलते प्रदेशवासियों में आक्रोश है. राज्य के सभी जिलों में लोग अपना आक्रोश अपनी प्रतिक्रिया के जरिए जाहिर कर रहे हैं. वहीं शहीदों की पत्नियां सरकार से आतंकियों पर कठोर कार्रवाई की मांग कर रही हैं.
शहीद हुए जवानों के परिजनों के लिए दुख का पहाड टूट पड़ा है. उनके पैतृक निवास पर शोक का माहौल है.
सुरेंद्र बताते हैं कि वे 10 साल पहले इसी तरह से छुट्टी पूरी करके घर से वापस जा रहे थे. तब भी ऐसा ही एक हमला हुआ. हलांकि वह बस बुलेट प्रूफ थी. जिसके चलते वे बच गए थे. वहीं मई 2014 में जम्मू कश्मीर के ही सांबा बॉर्डर में शहीद हुए फतेहपुरा निवासी श्रीराम गावड़िया के पुत्र अरुण गावड़िया कहते हैं कि अभी तो सोशल मीडिया पर लोगों ने क्रांति कर रखी है, लेकिन यह क्रांति झूठी है. धरातल पर कुछ करना होगा.
इसी तरह से शहीद इंद्र सिंह के पुत्र राकेश सैनी कहते हैं कि जैसे आंतकवादी हमले के बारे में सुना. हमें भी वह 26 सितंबर याद आ गया जब हमारे पिताजी की शहादत की खबर मिली थी.
घटना को याद करते हुए शहीद दलीप सिंह की पत्नी सुनीता थाकन और शहीद मनोज कुमार की पत्नी अनीता का गला रुंध जाता है. वे कहती हैं वह दर्दनाक मंजर बयां करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं.
वहीं वायु सेना से रिटायर्ड सुनील जानू कहते हैं कि ऐसी घटनाएं जवानों का मनोबल तोड़ने के लिए की जाती हैं. लेकिन इससे देश के जवानों का हौसला पस्त नहीं होता. वे अपनी सोच नहीं बदल पा रहे हैं. जिसका अब उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ेगा.