झालावाड़. युवक की हत्या के 9 साल पुराने मामले में झालावाड़ की एससी-एसटी कोर्ट ने पांच अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वहीं साक्ष्यों के अभाव में एक आरोपी को बरी कर दिया गया है.
बता दें कि लोक अभियोजक भेरूलाल बंशीवाल ने बताया कि 18 अक्टूबर 2010 को सदर थाना क्षेत्र के उंडल गांव के निवासी प्रेम लाल बेरवा ने एसआरजी अस्पताल में भर्ती के दौरान पर्चा बयान में बताया था कि उसने अपने 4 बीघा जमीन निमोदा निवासी रामलाल गुर्जर को खेती के लिए दे रखी थी. जब रामलाल की मौत हो गई तो वो खुद ही जमीन पर खेती करने लग गया. इस पर रामलाल के पुत्र सौदान और करण उस जमीन को उनके नाम करवाने की बात करने लगे.
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वहीं जब प्रेम सिंह ने मना कर दिया तो वहां से चले गए. उसके बाद 10 अक्टूबर 2010 की रात को रामलाल, केसरी लाल, नैना लाल, सौदान, छोटू लाल और देवीलाल हथियार लेकर उसके घर में घुस गए और उसके पुत्र बद्रीलाल के साथ मारपीट शुरू कर दी. जब प्रेम सिंह और उसकी पत्नी ने बीच-बचाव किया तो उनके साथ भी मारपीट की. बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान बद्रीलाल ही मौत हो गई. जिसमें पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया और कोर्ट में चालान पेश किया.
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मामले में लोक अभियोजक भेरूलाल बंसीवाल ने 16 गवाहों के बयान और 54 दस्तावेज पेश किए जिसके आधार पर एससी-एसटी कोर्ट की न्यायाधीश स्वाति शर्मा ने केसरी लाल, नैना लाल, सौदान, छोटू लाल और देवीलाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई तथा रामलाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.