जयपुर. राजस्थान के गठन से लेकर अब तक मुख्यमंत्री का ताज सिर्फ 13 नेताओं को ही मिला है. राजस्थान की सियासत में सबसे पहले हीरालाल शास्त्री मुख्यमंत्री रहे, जबकि मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर सबसे बड़ा कार्यकाल मोहनलाल सुखाड़िया का रहा है, जो एक नहीं, दो नहीं बल्कि रिकॉर्ड चार बार मुख्यमंत्री रहे.
मोहनलाल सुखाड़िया ने 1954 से लेकर 1971 तक राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली और 17 साल तक उनका राज चला. उनके बाद दूसरे नंबर पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम आता है, जिनके मुख्यमंत्री पद पर तीन सफल कार्यकाल रहे और 15 साल तक गहलोत शासन चला. इनके अलावा भैरोंसिंह शेखावत और हरिदेव जोशी भी तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बने हैं.
पढ़ें : मेवाड़-वागड़ के नेता बन सकते हैं मंत्री! इन नामों पर चर्चा हुई तेज
हालांकि, भैरोंसिंह शेखावत के समय दो बार सरकार भंग भी हुई. ऐसे में उनका कार्यकाल 10 वर्ष का रहा, जबकि हरिदेव जोशी का कार्यकाल 8 वर्ष का ही रहा. वहीं, प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दो बार मुख्यमंत्री रहीं हैं और 10 साल तक राजस्थान में राज किया. शिवचरण माथुर भी मुख्यमंत्री तो दो बार रहे, लेकिन उनका कार्यकाल महज 5 साल का ही रहा.
पढ़ें : Rajasthan Election Result 2023 : भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में मारवाड़ से इन्हें मिल सकती है जगह
राजस्थान की शुरुआती नेताओं में शामिल जयनारायण व्यास भी दो बार मुख्यमंत्री रहे. राजस्थान के मुख्यमंत्रियों में हीरालाल देवपुरा एक ऐसा नाम है, जिनका कार्यकाल महज 15 दिन का रहा है. देवपुरा 1985 में 25 फरवरी से 10 मार्च तक मुख्यमंत्री रहे थे. आपको बता दें कि राजस्थान के सियासी इतिहास में तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लगा था.
बहरहाल, प्रदेश में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार है. प्रदेश में पर्यवेक्षक बनाए गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडे सोमवार देर रात या फिर मंगलवार सुबह तक जयपुर आ सकते हैं और मंगलवार को ही विधायक दल की बैठक भी हो सकती है.
इससे पहले वसुंधरा राजे को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाने के लिए उनके समर्थक विधायक अन्य विधायकों से समर्थन मांग रहे हैं. इस लॉबिंग की रिपोर्ट भी पार्टी पदाधिकारी की ओर से आलाकमान को भेजी जा रही है, लेकिन आखिर में नाम उसी का फाइनल होगा, जिसे केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलेगी.