जयपुर. कभी जयपुर की प्यास बुझाने वाला जमवारामगढ़ बांध खुद पानी के लिए तरस रहा है. जमवारामगढ़ के लिए नासूर बना अतिक्रमण हटाने पर प्रशासन का ध्यान नहीं है. ऐसे में अब आम जनता मरते हुए रामगढ़ को जीवित करने के लिए सड़कों पर उतरी है.
जमवारामगढ़ बांध को बचाने के लिए जयपुर की स्टेच्यू सर्किल पर कई संस्थाओं ने हस्ताक्षर और जनजागृति अभियान की शुरुआत की. बड़ी संख्या में लोग हस्ताक्षर अभियान में शामिल हुए. लोगों ने जमवारामगढ़ बांध को बचाने के लिए नारेबाजी की. जन समस्या निवारण मंच के अध्यक्ष सुरेश सोनी ने बताया कि जमवारामगढ़ बांध ने सन 1931 से लेकर कई वर्षों तक जयपुर की प्यास बुझाई है लेकिन पिछले 15 वर्षों से रामगढ़ बांध खुद पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा है. बांध हर सावन में सूखा रह जाता है. जिसका कारण है रामगढ़ में पानी पहुंचाने वाली नदियों पर माफियाओं का कब्जा होना.
बहाव क्षेत्रों में बड़े-बड़े फार्म हाउस और रिसोर्ट बन गए हैं. आज जयपुर की कई संस्थाओं ने मिलकर हस्ताक्षर अभियान के जरिए सरकार को संदेश देने की कोशिश की है कि जल्द से जल्द जमवारामगढ़ बांध को अतिक्रमण मुक्त करें. सरकार इस ओर ध्यान नहीं देगी तो पूरे प्रदेश भर में बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा.
गांधी विचार मंच के सुरेंद्र मारवाल ने बताया कि आज जमवारामगढ़ बांध के खराब हालात को देखकर आंखों से आंसू छलक जाते हैं. जो बांध पूरे जयपुर को पानी पिलाता था. आज वहीं बांध मर गया. रामगढ़ बांध के पानी को रोकने का सबसे बड़ा कारण बांध में आने वाली नदियों के रास्तों में एनीकट बन गए हैं. अभियान चलाकर सरकार को मजबूर किया जाएगा कि जमवारामगढ़ बांध को पुराने गौरव में लेकर आए.
राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने बताया कि हस्ताक्षर अभियान के बाद जमवारामगढ़ बांध को बचाने के लिए श्रमदान किया जाएगा. बांध के रास्तों की रुकावटो को हटाया जाएगा. जब सरकार इस काम में आगे नहीं आ रही है तो जनता को ही आगे आना पड़ेगा.
जन जागृति मंच के अध्यक्ष धर्मपाल चौधरी ने बताया कि जयपुर में पानी का संकट काफी लंबे समय से चल रहा है. अगर जमवारामगढ़ बांध को पुनः जीवित नहीं किया गया तो पानी का संकट और भी ज्यादा बढ़ जाएगा. रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्रों में अतिक्रमण होने से नदियों का पानी भी बांध तक नहीं पहुंच पाता है. जनता ने जमवारामगढ़ को बचाने के लिए, सरकार को सख्त कदम उठाने के लिए आह्वान किया.