जयपुर. राजधानी में दिनदहाड़े घर में घुसकर श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतारने वाले दोनों शूटर्स अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं. वारदात को अंजाम देकर भागते समय बदमाशों ने उधर से स्कूटी लेकर जा रहे हेमराज खटीक को गोली मार दी और उसकी स्कूटी लेकर भाग गए. हेमराज का अभी अस्पताल में उपचार चल रहा है. लेकिन वह और उसका परिवार खौफ के साये में है. उनका कहना है कि सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त किया जाए. उसकी सुरक्षा के लिए अस्पताल में पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं.
मजदूरी करता है हेमराज, पांच लोगों का परिवार: बूंदी जिले के देई गांव का रहने वाला हेमराज 10-12 साल से जयपुर में रह रहा है. यहां उसकी पत्नी और तीन बेटियां भी उसके साथ रहती हैं. परिवार चलाने की जिम्मेदारी उसी पर है और वह मजदूरी कर अपने परिवार का पेट भरता है. अब गोली लगने से घायल होने के कारण उसके सामने बड़ा सवाल यही है कि कैसे वह अपने परिवार का गुजरा चलाएगा. उसके परिजनों ने भी आर्थिक मदद देने की सरकार से गुहार लगाई है.
कार पर गोली चलाई, फिर उस पर साधा निशाना: हेमराज का कहना है कि वारदात को अंजाम देकर भाग रहे बदमाशों ने पहले एक कार को रुकवाने के लिए फायर किया. चालक ने कार नहीं रोकी, तो उन्होंने उस पर निशाना साधा और कनपटी के पास गोली मार दी. जब वह नीचे गिर गया, तो वे स्कूटी लेकर भाग गए और भागते-भागते उन्होंने उसके पैर के ऊपरी हिस्से में एक और गोली मार दी. उनका कहना है कि फिलहाल उन्हें अपने और परिवार की सुरक्षा की चिंता सता रही है. साथ ही यह भी चिंता है कि कैसे परिवार का गुजारा होगा.
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एम्बुलेंस नहीं आई तो स्कूटी से पहुंचाया था अस्पताल: अस्पताल में हेमराज के साथ मौजूद उसके रिश्तेदार लोकेश चंदेल का कहना है कि उनका इस पूरे मामले से कोई लेना-देना ही नहीं, लेकिन फिर भी लपेटे में आ गए. गोली लगने के बाद जब हेमराज घायल हो गए, तो वही सबसे पहले वहां पहुंचे थे. पहले उन्हें एक निजी अस्पताल में ले जाया गया. लेकिन हॉस्पिटल स्टाफ ने मना कर दिया. कॉल करने के बाद भी एम्बुलेंस नहीं पहुंची. वह गंभीर हालत में उन्हें स्कूटी पर बिठाकर एसएमएस अस्पताल लेकर आए.
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मिलने तक नहीं आए अधिकारी: लोकेश का कहना है कि उनके समाज से जुड़े कई लोग हेमराज की कुशलक्षेम जानने पहुंचे हैं. इसके साथ ही सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों से जुड़े लोग भी उनसे मिलने पहुंचे हैं. लेकिन अभी तक पुलिस या प्रशासन का कोई भी अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं आया. न ही किसी तरह का कोई आश्वासन उन्हें दिया गया है. हमारी यही मांग है कि समुचित इलाज हो और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हो. ये मजदूरी कर अपना परिवार चलाते हैं. इसलिए आर्थिक सहयोग भी मिलना चाहिए.