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Junior Judicial Assistant recruitment 2022: कोर्ट प्रशासन ने कहा, तत्काल सभी अभ्यर्थियों का कंप्यूटर टेस्ट कराना संभव नहीं - राजस्थान हाईकोर्ट

कनिष्ठ न्यायिक सहायक भर्ती परीक्षा 2022 में सामान्य वर्ग से अधिक अंक लाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को कंप्यूटर परीक्षा में शामिल नहीं करने को लेकर हाईकोर्ट प्रशासन ने कहा कि तत्काल सभी अभ्यर्थियों का टेस्ट करवाना संभव नहीं है.

Junior Judicial Assistant recruitment 2022
कोर्ट प्रशासन ने कहा, तत्काल सभी अभ्यर्थियों का कंप्यूटर टेस्ट कराना संभव नहीं
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Published : May 26, 2023, 8:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से आयोजित कनिष्ठ न्यायिक सहायक भर्ती परीक्षा 2022 में सामान्य वर्ग से अधिक अंक लाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को कंप्यूटर परीक्षा में शामिल नहीं से जुडे़ मामले में हाईकोर्ट प्रशासन ने सीमित संसाधनों का हवाला दिया है. सामान्य से अधिक अंक लाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि अदालत ने समान मामले में अभ्यर्थियों को कंप्यूटर परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए हैं.

याचिकाकर्ताओं के भी सामान्य वर्ग से अधिक अंक होने के कारण उन्हें भी इस परीक्षा में शामिल किया जाए. इस पर हाईकोर्ट प्रशासन ने एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ के समक्ष कहा कि अदालत ने अंतरिम आदेश के जरिए पहले ही ज्यादा अभ्यर्थियों को कंप्यूटर टेस्ट में शामिल करने का निर्देश दिए हैं. जबकि टेस्ट कराने के लिए सीमित कॉलेज व संसाधन हैं. टेस्ट में हर अभ्यर्थी के लिए कंप्यूटर की जरूरत होती है. ऐसे में तत्काल प्रार्थी अभ्यर्थियों के लिए कॉलेज सेंटर की व्यवस्था नहीं हो सकती.

पढ़ेंः Rajasthan High Court : कनिष्ठ न्यायिक सहायक भर्ती परीक्षा निरस्त करने पर मांगा जवाब

वहीं प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता आरपी सैनी ने कहा कि अभी टेस्ट के लिए सेंटर उपलब्ध नहीं हैं, तो 30 मई के बाद टेस्ट रखा जा सकता है. जिस पर हाईकोर्ट प्रशासन ने कहा कि जिन कॉलेजों में टेस्ट का सेंटर है, उनकी 30 मई के बाद की उपलब्धता की जानकारी नहीं है और कॉलेज प्रशासन की मंजूरी बिना वे टेस्ट का आश्वासन नहीं दे सकते. यदि प्रार्थी अदालत के अंतिम निर्णय में सफल होते हैं तो वे बाद में उनका कंप्यूटर टेस्ट करवा लेंगे.

अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि समय पर कोर्ट आए अन्य अभ्यर्थियों को कंप्यूटर टेस्ट में शामिल करने की अनुमति दी है, लेकिन प्रार्थी टेस्ट होने के अंतिम दिनों में आए हैं. ऐसे में याचिका का निर्णय होने पर उनके टेस्ट लेने के संबंध में देखा जाएगा. गौरतलब है कि याचिकाओं में हाईकोर्ट के बुधवार को पंकज दारिया व अन्य के मामले में दिए आदेश का हवाला देते हुए उन्हें भी 26 से 29 मई तक होने वाले कंप्यूटर टेस्ट में शामिल करने का आग्रह किया था.

पढ़ेंः Rajasthan High Court Administration: कनिष्ठ न्यायिक सहायक के कम्प्यूटर टेस्ट के लिए तारीख घोषित

क्या नर्सिंग अधिकारी करें डॉक्टर का काम?: राजस्थान हाईकोर्ट ने डॉक्टर की गैरमौजूदगी यानि उनके अनुपस्थित या अवकाश पर रहने के दौरान नर्सिंग अधिकारी को डॉक्टर के कार्य दिए जाने के संबंध में कोई गाइडलाइन नहीं होने पर प्रमुख चिकित्सा सचिव, चिकित्सा निदेशक व अन्य से जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश खुशीराम मीणा की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता सुखदेव सिंह सोलंकी ने बताया कि डॉक्टर के अनुपस्थित रहने के दौरान नर्सिंग अधिकारी को डॉक्टर के कार्य करने का निर्देश देते हुए बाध्य किया जाता है.

पढ़ेंः कनिष्ठ न्यायिक सहायक लिखित परीक्षा का परिणाम जारी, सफल अ​भ्यर्थियों का जल्द होगा कम्प्यूटर टेस्ट

नर्सिंग अधिकारी को ओपीडी/आईपीडी व आपातकालीन स्थिति में चिकित्सा अधिकारी के कार्यों के अनुरूप मरीजों को देखने का निर्देश दिया जाता है. जबकि यह कार्य नर्सिंग अधिकारी की जिम्मेदारी में नहीं आता. वहीं सरकार ने नर्सिंग अधिकारी को डॉक्टर के कार्य दिए जाने को लेकर अभी तक ना तो कोई गाइडलाइन बनाई है और ना ही कोई निर्देश ही दिए हैं. ऐसे में नर्सिंग अधिकारियों से डॉक्टर की अनुपस्थिति में उनका काम नहीं कराया जाए या चिकित्सा विभाग को यह गाइडलाइन बनाई जानी चाहिए कि डॉक्टर की अनुपस्थिति में नर्सिंग अधिकारी मरीजों को ओपीडी/ आईपीडी आपातकालीन स्थितियों को देखेंगे और मरीजों को दवाइयां भी लिखेंगे. यह भी तय किया जाए कि वे कौनसी दवाइयां मरीजों के लिए लिखें और कौन सी दवाई नहीं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से आयोजित कनिष्ठ न्यायिक सहायक भर्ती परीक्षा 2022 में सामान्य वर्ग से अधिक अंक लाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को कंप्यूटर परीक्षा में शामिल नहीं से जुडे़ मामले में हाईकोर्ट प्रशासन ने सीमित संसाधनों का हवाला दिया है. सामान्य से अधिक अंक लाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि अदालत ने समान मामले में अभ्यर्थियों को कंप्यूटर परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए हैं.

याचिकाकर्ताओं के भी सामान्य वर्ग से अधिक अंक होने के कारण उन्हें भी इस परीक्षा में शामिल किया जाए. इस पर हाईकोर्ट प्रशासन ने एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस अनिल उपमन की खंडपीठ के समक्ष कहा कि अदालत ने अंतरिम आदेश के जरिए पहले ही ज्यादा अभ्यर्थियों को कंप्यूटर टेस्ट में शामिल करने का निर्देश दिए हैं. जबकि टेस्ट कराने के लिए सीमित कॉलेज व संसाधन हैं. टेस्ट में हर अभ्यर्थी के लिए कंप्यूटर की जरूरत होती है. ऐसे में तत्काल प्रार्थी अभ्यर्थियों के लिए कॉलेज सेंटर की व्यवस्था नहीं हो सकती.

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वहीं प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता आरपी सैनी ने कहा कि अभी टेस्ट के लिए सेंटर उपलब्ध नहीं हैं, तो 30 मई के बाद टेस्ट रखा जा सकता है. जिस पर हाईकोर्ट प्रशासन ने कहा कि जिन कॉलेजों में टेस्ट का सेंटर है, उनकी 30 मई के बाद की उपलब्धता की जानकारी नहीं है और कॉलेज प्रशासन की मंजूरी बिना वे टेस्ट का आश्वासन नहीं दे सकते. यदि प्रार्थी अदालत के अंतिम निर्णय में सफल होते हैं तो वे बाद में उनका कंप्यूटर टेस्ट करवा लेंगे.

अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि समय पर कोर्ट आए अन्य अभ्यर्थियों को कंप्यूटर टेस्ट में शामिल करने की अनुमति दी है, लेकिन प्रार्थी टेस्ट होने के अंतिम दिनों में आए हैं. ऐसे में याचिका का निर्णय होने पर उनके टेस्ट लेने के संबंध में देखा जाएगा. गौरतलब है कि याचिकाओं में हाईकोर्ट के बुधवार को पंकज दारिया व अन्य के मामले में दिए आदेश का हवाला देते हुए उन्हें भी 26 से 29 मई तक होने वाले कंप्यूटर टेस्ट में शामिल करने का आग्रह किया था.

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क्या नर्सिंग अधिकारी करें डॉक्टर का काम?: राजस्थान हाईकोर्ट ने डॉक्टर की गैरमौजूदगी यानि उनके अनुपस्थित या अवकाश पर रहने के दौरान नर्सिंग अधिकारी को डॉक्टर के कार्य दिए जाने के संबंध में कोई गाइडलाइन नहीं होने पर प्रमुख चिकित्सा सचिव, चिकित्सा निदेशक व अन्य से जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश खुशीराम मीणा की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता सुखदेव सिंह सोलंकी ने बताया कि डॉक्टर के अनुपस्थित रहने के दौरान नर्सिंग अधिकारी को डॉक्टर के कार्य करने का निर्देश देते हुए बाध्य किया जाता है.

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नर्सिंग अधिकारी को ओपीडी/आईपीडी व आपातकालीन स्थिति में चिकित्सा अधिकारी के कार्यों के अनुरूप मरीजों को देखने का निर्देश दिया जाता है. जबकि यह कार्य नर्सिंग अधिकारी की जिम्मेदारी में नहीं आता. वहीं सरकार ने नर्सिंग अधिकारी को डॉक्टर के कार्य दिए जाने को लेकर अभी तक ना तो कोई गाइडलाइन बनाई है और ना ही कोई निर्देश ही दिए हैं. ऐसे में नर्सिंग अधिकारियों से डॉक्टर की अनुपस्थिति में उनका काम नहीं कराया जाए या चिकित्सा विभाग को यह गाइडलाइन बनाई जानी चाहिए कि डॉक्टर की अनुपस्थिति में नर्सिंग अधिकारी मरीजों को ओपीडी/ आईपीडी आपातकालीन स्थितियों को देखेंगे और मरीजों को दवाइयां भी लिखेंगे. यह भी तय किया जाए कि वे कौनसी दवाइयां मरीजों के लिए लिखें और कौन सी दवाई नहीं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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