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डूंगरपुर में बालश्रम के ठेकेदारों पर कार्रवाई, 10 बच्चों को कराया मुक्त

डूंगरपुर में चाइल्डलाइन और पुलिस ने संयुक्त रूप से बालश्रम के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 10 बच्चों को मुक्त कराया है. जिन्हें बालकल्याण समिति के सुपुर्द कर दिया गया है.

बाल श्रमिक
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Published : Feb 25, 2019, 10:16 PM IST

डूंगरपुर. जिले में पर चाइल्डलाइन और पुलिस ने बालश्रम के खिलाफ संयुक्त रूप से कार्रवाई की है. इस दौरान 10 बच्चों को मुक्त कराया गया है. जिनमें से 9 को मुस्कान संस्थान बालिका ग्रह में भेज दिया गया है. वही एक बच्चे को सम्प्रेषण ग्रह में रखा गया है.


चाइल्ड लाइन डूंगरपुर, भोरुका चेरिटेबल ट्रस्ट ओर सागवाड़ा पुलिस ने मिलकर बालश्रम के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम दिया. सागवाड़ा नगर क्षेत्र में चल रहे अलग-अलग निर्माण कार्यो पर तलाशी ली गई. जहां पर नन्ही बालिकाओं से बालश्रम करवाया जा रहा था. जब मौके पर चाइल्ड लाइन और पुलिसकर्मी पहुंचे तो बच्चियां निर्माण कार्य में लगी हुई थी.

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इस दौरान टीम ने 3 अलग-अलग निर्माण कार्यों में लगी 9 बच्चियों को छुड़वाया है. वहीं एक लड़का किराना की दुकान पर काम कर रहा था. इन बच्चो को काम से मुक्त करवाते हुए डूंगरपुर बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया. जहां से सभी 9 बच्चियों को मुस्कान संस्थान बालिका ग्रह में भेज दिया गया है. जबकि एक लड़के को सम्प्रेषण ग्रह भेजा गया है.वहीं बालकल्याण समिति के अध्यक्ष भरत भट्ट ने बताया की बच्चों की काउंसलिंग कर उनका पुनर्वास करवाया जाएगा. उन्हें स्कूलों से जोड़ने के भी प्रयास किए जाएंगे.


चाइल्ड लाइन की पूछताछ में सामने आया है कि इन 9 बच्चियों में से 1 बच्ची ने पहली कक्षा तक ही पढ़ाई की है. जबकि अन्य बेटियां ने कक्षा 8, 9 और 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दिया है.

डूंगरपुर. जिले में पर चाइल्डलाइन और पुलिस ने बालश्रम के खिलाफ संयुक्त रूप से कार्रवाई की है. इस दौरान 10 बच्चों को मुक्त कराया गया है. जिनमें से 9 को मुस्कान संस्थान बालिका ग्रह में भेज दिया गया है. वही एक बच्चे को सम्प्रेषण ग्रह में रखा गया है.


चाइल्ड लाइन डूंगरपुर, भोरुका चेरिटेबल ट्रस्ट ओर सागवाड़ा पुलिस ने मिलकर बालश्रम के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम दिया. सागवाड़ा नगर क्षेत्र में चल रहे अलग-अलग निर्माण कार्यो पर तलाशी ली गई. जहां पर नन्ही बालिकाओं से बालश्रम करवाया जा रहा था. जब मौके पर चाइल्ड लाइन और पुलिसकर्मी पहुंचे तो बच्चियां निर्माण कार्य में लगी हुई थी.

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इस दौरान टीम ने 3 अलग-अलग निर्माण कार्यों में लगी 9 बच्चियों को छुड़वाया है. वहीं एक लड़का किराना की दुकान पर काम कर रहा था. इन बच्चो को काम से मुक्त करवाते हुए डूंगरपुर बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया. जहां से सभी 9 बच्चियों को मुस्कान संस्थान बालिका ग्रह में भेज दिया गया है. जबकि एक लड़के को सम्प्रेषण ग्रह भेजा गया है.वहीं बालकल्याण समिति के अध्यक्ष भरत भट्ट ने बताया की बच्चों की काउंसलिंग कर उनका पुनर्वास करवाया जाएगा. उन्हें स्कूलों से जोड़ने के भी प्रयास किए जाएंगे.


चाइल्ड लाइन की पूछताछ में सामने आया है कि इन 9 बच्चियों में से 1 बच्ची ने पहली कक्षा तक ही पढ़ाई की है. जबकि अन्य बेटियां ने कक्षा 8, 9 और 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दिया है.

Intro:डूंगरपुर। नन्हे हाथों ने पढ़ाई की किताबें छोड़कर गेती, फावड़ा ओर तगारी पकड़ ली जिस पर चाइल्डलाइन ओर पुलिस ने मिलकर संयुक्त कार्रवाई करते हुए 10 बच्चों को मुक्त करवाया है।


Body:चाइल्ड लाइन डूंगरपुर, भोरुका चेरिटेबल ट्रस्ट ओर सागवाड़ा पुलिस ने मिलकर बालश्रम के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम दिया। सागवाड़ा नगर क्षेत्र में चल रहे अलग-अलग निर्माण कार्यो पर तलाशी ली गई जहा पर नन्ही बालिकाओं से बालश्रम करवाया जा रहा था यह नन्ही बेटिया निर्माण कार्य मे लगी हुई थी। इस कार्रवाई से निर्माण स्थल पर हड़कंप मच गया। टीम ने 3 अलग-अलग निर्माण कार्यो से 9 बच्चियों को छुड़वाया है। वही एक लड़का किराणा की दुकान पर काम कर रहा था। इन बच्चो को काम से मुक्त करवाते हुए डूंगरपुर बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया। जहाँ से सभी 9 बच्चियों को मुस्कान संस्थान बालिका ग्रह में भेज दिया गया है वही एक लड़के को सम्प्रेषण ग्रह में रखा गया है।
बालकल्याण समिति के अध्यक्ष भरत भट्ट ने बालश्रमिकों के नियोक्ता के खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए है। वही भरत भट्ट ने बताया की बच्चो की काउंसलिंग कर उनका पुनर्वास करवाया जाएगा वही बच्चो को स्कूलों से जोड़ने के भी प्रयास किये जाएंगे।

- चाइल्ड लाइन की अब तक कि पूछताछ में सामने आया है कि इन 9 बच्चियों में से 1 बच्ची ने पहली कक्षा तक ही पढ़ाई की है। जबकि अन्य बेटियां कक्षा 8, 9 ओर 10वी तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दी है जबकि शिक्षा विभाग में हर साल सरकार ड्राप आउट के नाम पर करोडो रुपये खर्च करती है ऐसे बच्चो को स्कूल से जोड़ा जाता है लेकिन शिक्षा विभाग इसमे खानापूर्ति करता है। यही कारण है कि कई बच्चे स्कूलो तक नही पंहुच पाते और वह निर्माण या अन्य कामो में लग जाते है।


Conclusion:
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