ETV Bharat / bharat

हाथ में फावड़ा थामे 80 वर्षीय बुजुर्ग दंपति बोले- 'अपनी रोटी कमाने में होती है खुशी' - INSPIRATIONAL STORY

आत्मनिर्भरता की कोई उम्र नहीं होती. कर्नाटक के 80 वर्षीय नागप्पा और 75 वर्षीय आनंदा मनरेगा मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं.

MNREGA workers
नागप्पा और आनंदा. (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 10, 2025, 7:49 PM IST

बेलगावी: कर्नाटका के एक बुजुर्ग दंपति ने साबित कर दिया कि आत्मनिर्भरता की कोई उम्र नहीं होती. खानपुर तालुक के शेडेगली गांव के 80 वर्षीय नागप्पा कुम्ब्रादावडकर और 75 वर्षीय उनकी पत्नी आनंदा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम कर रहे हैं. उनकी कहानी न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा है, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है.

रोटी कमाने में होती है खुशीः शेडेगली में निर्माण कार्य चल रहा है. नागप्पा कुदाल से मिट्टी खोदते हैं जबकि आनंदा मिट्टी को वहां से हटाती है. उनकी ऊर्जा और उत्साह कम उम्र के मजदूरों से कहीं ज़्यादा है. नागप्पा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, "हम कड़ी मेहनत से जो कमाते हैं, उससे खाने में विश्वास रखते हैं. हम बेकार क्यों बैठें? जब तक हमारे पास ताकत है, हम काम करते रहेंगे." नगप्पा ने कहा कि दूसरों पर निर्भर हुए बिना अपनी रोटी कमाने में खुशी है.

MNREGA workers
नागप्पा और आनंदा. (ETV Bharat)

बच्चों पर नहीं बनना चाहते बोझः नगप्पा के बच्चे भी हैं. इसके बावजूद, वे अपने बच्चों पर बोझ नहीं डालना चाहते और एक स्वतंत्र जीवन जीना चाहते हैं. एक ग्रामीण ने कहा, "उनका जज्बा हम सभी के लिए प्रेरणा है." उनकी कहानी इस योजना के तहत काम करने वाले अन्य लोगों को भी प्रभावित कर रहा है. एक अन्य श्रमिक रेखा गुरवा ने मनरेगा की पहल के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा, "अपने बुजुर्ग दादा-दादी को काम करते देखना हमें प्रेरित करता है."

दंपति के समर्पण की सराहनाः साइट पर काम करने वाली पूजा नलकर ने कहा, "हम सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक काम करते हैं. जब गांव में कोई और काम नहीं होता है, तो मनरेगा हमारे लिए जीवन रेखा है. दादा-दादी को इतनी लगन से काम करते देखना हमें अपने पास मौजूद अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रेरित करता है." शेडेगली सेक्टर में बागवानी के सहायक निदेशक राजकुमार ताकले ने दंपति के समर्पण की सराहना की.

MNREGA workers
काम करते मजदूर. (ETV Bharat)

बन गए प्रेरणा स्रोतः बेलगावी जिला पंचायत के सीईओ राहुल शिंदे ने भी इसकी तारीफ की. कहा "मनरेगा के तहत, 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति काम कर सकता है, और 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग आधे समय काम करके भी पूरी मजदूरी कमा सकते हैं. मुझे इस दंपति की प्रतिबद्धता के बारे में सुनकर खुशी हुई और मैं जल्द ही उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलूंगा. उनका दृढ़ संकल्प हम सभी के लिए प्रेरणा है." अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में, वे पूरे समुदाय के लिए आशा और प्रेरणा स्रोत बन गए हैं.

इसे भी पढ़ेंः हरियाणा के ताऊ छोरों से कम हैं क्या! 77 की उम्र में पति नेशनल चैंपियन और पत्नी गोल्ड मेडलिस्ट

बेलगावी: कर्नाटका के एक बुजुर्ग दंपति ने साबित कर दिया कि आत्मनिर्भरता की कोई उम्र नहीं होती. खानपुर तालुक के शेडेगली गांव के 80 वर्षीय नागप्पा कुम्ब्रादावडकर और 75 वर्षीय उनकी पत्नी आनंदा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम कर रहे हैं. उनकी कहानी न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा है, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है.

रोटी कमाने में होती है खुशीः शेडेगली में निर्माण कार्य चल रहा है. नागप्पा कुदाल से मिट्टी खोदते हैं जबकि आनंदा मिट्टी को वहां से हटाती है. उनकी ऊर्जा और उत्साह कम उम्र के मजदूरों से कहीं ज़्यादा है. नागप्पा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, "हम कड़ी मेहनत से जो कमाते हैं, उससे खाने में विश्वास रखते हैं. हम बेकार क्यों बैठें? जब तक हमारे पास ताकत है, हम काम करते रहेंगे." नगप्पा ने कहा कि दूसरों पर निर्भर हुए बिना अपनी रोटी कमाने में खुशी है.

MNREGA workers
नागप्पा और आनंदा. (ETV Bharat)

बच्चों पर नहीं बनना चाहते बोझः नगप्पा के बच्चे भी हैं. इसके बावजूद, वे अपने बच्चों पर बोझ नहीं डालना चाहते और एक स्वतंत्र जीवन जीना चाहते हैं. एक ग्रामीण ने कहा, "उनका जज्बा हम सभी के लिए प्रेरणा है." उनकी कहानी इस योजना के तहत काम करने वाले अन्य लोगों को भी प्रभावित कर रहा है. एक अन्य श्रमिक रेखा गुरवा ने मनरेगा की पहल के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा, "अपने बुजुर्ग दादा-दादी को काम करते देखना हमें प्रेरित करता है."

दंपति के समर्पण की सराहनाः साइट पर काम करने वाली पूजा नलकर ने कहा, "हम सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक काम करते हैं. जब गांव में कोई और काम नहीं होता है, तो मनरेगा हमारे लिए जीवन रेखा है. दादा-दादी को इतनी लगन से काम करते देखना हमें अपने पास मौजूद अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रेरित करता है." शेडेगली सेक्टर में बागवानी के सहायक निदेशक राजकुमार ताकले ने दंपति के समर्पण की सराहना की.

MNREGA workers
काम करते मजदूर. (ETV Bharat)

बन गए प्रेरणा स्रोतः बेलगावी जिला पंचायत के सीईओ राहुल शिंदे ने भी इसकी तारीफ की. कहा "मनरेगा के तहत, 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति काम कर सकता है, और 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग आधे समय काम करके भी पूरी मजदूरी कमा सकते हैं. मुझे इस दंपति की प्रतिबद्धता के बारे में सुनकर खुशी हुई और मैं जल्द ही उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलूंगा. उनका दृढ़ संकल्प हम सभी के लिए प्रेरणा है." अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में, वे पूरे समुदाय के लिए आशा और प्रेरणा स्रोत बन गए हैं.

इसे भी पढ़ेंः हरियाणा के ताऊ छोरों से कम हैं क्या! 77 की उम्र में पति नेशनल चैंपियन और पत्नी गोल्ड मेडलिस्ट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.