चूरू. सुजानगढ़ तहसील के रहने वाले अशोक आर्य ने दुनिया का सबसे छोटा हारमोनियम बनाया है. यह हारमोनियम बाकी हारमोनियम से अलग है. उनके छोटे भाई के बेटे की ऊंगलियां बड़े हारमोनियम पर नहीं आ रही थी. जिसके बाद उन्होंने इस हारमोनियम को बनाया. अशोक आर्य को लकड़ी के स्क्रैप से विभिन्न प्रकार की कलाकृति से साजो-सामान बनाने में महारत हासिल है. उनके पास देश-विदेश की डेढ़ हजार लकड़ियों का संग्रह है.
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क्या खास है इस हारमोनियम में
आमतौर पर हारमोनियम में 2 और 3 रीड सेट लगे होते हैं. लेकिन अशोक आर्य ने बताया कि इस छोटे हारमोनियम में 6 रीड सेट लगे हुए हैं. इस हारमोनियम की साइज की बात करें तो यह 9 इंज लंबा, 6 इंज चौड़ा और 5 इंज ऊंचा है. इसमें डबल रिडेड और दो सप्तक हैं. इस हारमोनियम को बनाने के लिए आर्य को 2 महीने का समय लगा. उनका यह रिकॉर्ड जीनियस बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज है.
उन्होंने बताया कि उनके छोटे भाई का लड़का 2 साल का है. उसकी ऊंगलियां हारमोनियम पर ठीक से नहीं आ रही थी. जिसके चलते उनके मन में छोटा हारमोनियम बनाने का ख्याल आया. हारमोनियम में सबसे महत्वपूर्ण रीड सेट होता है. छोटे साइज के हारमोनियम के लिए आर्य ने खुद से ही रीड सेट बनाया. इस हारमोनियम की रीड सेट काफी सेंसिटिव है. हारमोनियम बिल्कुल देशी तकनीक से बना है. इसमें लकड़ी और पीतल का उपयोग किया गया है.
इस हारमोनियम में 6 रीड सेट लगाने के पीछे की वजह आर्य ने बताई कि जब भी सामूहिक प्रोग्रामों में गाना बजाना होता है तो काफी लोग एक साथ गाते हैं. जिससे हारमोनियम की आवाज दब जाती है. लेकिन दुनिया का सबसे छोटा हारमोनियम होने के बाद भी 6 रीड सेट के चलते इसकी आवाज बाकी के हारमोनियम से काफी ज्यादा है.
वेस्ट लकड़ी से कर चुके हैं कई कमाल
अशोक आर्य पर्यावरण को लेकर काफी सचेत हैं. उन्होंने कहा कि हमें छोटी से भी छोटी लकड़ी को वेस्ट नहीं करना चाहिए. आर्य अपने खाली समय में स्क्रैप की लकड़ी से विभिन्न प्रकार के साजो-सामान बनाते रहते हैं. उन्होंने लकड़ी के वेस्ट स्क्रैप से ताजमहल और कई मंदिर बनाए हैं. उनको तरह-तरह के खिलौने बनाने में भी महारत हासिल है. बैलगाड़ी, पानी का जहाज, फ्रूट स्टैंड, फ्लावर स्टैंड, मोमबती स्टैंड, सिंदूरदानी लकड़ी की चूड़ियां उन्होंने खराब हो चुकी लकड़ी के टुकड़ों से बनाई हैं.