जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने कमर्शियल वाहनों के अवधि पार फिटनेस प्रमाण पत्र का नवीनीकरण के लिए पचास रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अतिरिक्त फीस वसूलने के प्रावधान को गलत मानते हुए उसे अवैध घोषित कर कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं से फिटनेस प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के लिए देरी के आधार पर अतिरिक्त फीस वसूल नहीं की जाए. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश श्याम प्रकाश मीणा व 195 अन्य याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता सतीश खंडेलवाल और अधिवक्ता रजनी व्यास ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत 4 अक्टूबर, 2021 को अधिसूचना जारी की थी. इसके तहत वाहन के फिटनेस प्रमाण पत्र की अवधि बीतने के बाद नवीनीकरण करने पर प्रतिदिन पचास रुपए की अतिरिक्त फीस वसूलने का प्रावधान किया गया था. यह प्रावधान मोटर अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ है, क्योंकि अधिनियम में पेनल्टी का कोई प्रावधान नहीं है, जबकि सरकार अतिरिक्त फीस के नाम पर पेनल्टी वसूल रही है.
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अधिनियम के तहत शुल्क लगाया जा सकता है, लेकिन फिटनेस प्रमाण पत्र के नवीनीकरण में देरी के आधार पर अतिरिक्त फीस नहीं वसूली जा सकती. ऐसे में इस प्रावधान को रद्द किया जाए. इसका विरोध करते हुए केंद्र सरकार की ओर से एएसजी आरडी रस्तोगी व राज्य सरकार की ओर से एसएस नरुका ने कहा कि अधिनियम के तहत उन्हें फिटनेस, लाइसेंस और परमिट आदि के लिए शुल्क लगाने की शक्ति है. अवधि पार परमिट के नवीनीकरण के लिए वसूला गया अतिरिक्त शुल्क, शुल्क संरचना का ही हिस्सा है. अधिनियम के तहत पूरी तरह से फिट वाहन ही रोड पर चल सकते हैं. ऐसे में सरकार को अतिरिक्त लेवी लगाने का अधिकार है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अवधि पार प्रमाण पत्रों के नवीनीकरण के लिए प्रतिदिन के हिसाब से अतिरिक्त फीस वसूलने को अवैध माना है.