नई दिल्ली: केंद्र ने शनिवार को अगले वित्त वर्ष के दौरान जेलों के आधुनिकीकरण के लिए 300 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन का प्रस्ताव रखा, जो चालू वित्त वर्ष के बराबर ही है, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 75 करोड़ रुपये कर दिया गया था.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किये गये बजट के अनुसार यह बजटीय प्रावधान 'जेलों के आधुनिकीकरण पर परिव्यय' के लिए है. वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार ने जेल आधुनिकीकरण के लिए शुरू में 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 75 करोड़ रुपये कर दिया गया.
वित्तवर्ष 2023-24 के दौरान जेलों के आधुनिकीकरण के लिए 86.95 करोड़ रुपये की राशि दी गयी थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि वह आपराधिक न्याय प्रणाली में जेलों के महत्व के कारण कुशल जेल प्रबंधन और सुधारात्मक प्रशासन को अत्यधिक महत्व देता है.
मई 2023 में, गृह मंत्रालय ने उच्च सुरक्षा जेल, खुली जेल की स्थापना और प्रबंधन तथा दुर्दांत अपराधियों और आदतन अपराधियों की आपराधिक गतिविधियों से समाज की रक्षा के प्रावधानों के साथ एक व्यापक आदर्श कारागार अधिनियम को अंतिम रूप दिया था.
इसकी विशेषताओं में अच्छे आचरण को प्रोत्साहित करने के लिए कैदियों को कानूनी सहायता, 'पैरोल', 'फरलो' और समयपूर्व रिहाई आदि का प्रावधान शामिल है. इसमें कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास तथा समाज की मुख्य धारा में फिर से शामिल करने पर भी बल दिया गया है.