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लोकसभा चुनाव 2019 : पाली ने राजस्थान को मुख्यमंत्री दिया...लेकिन सुविधाओं के लिए कतार में ही खड़ा है

लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. अब सिर्फ मुद्दों की बात की जा रही है. मुद्दे वो जो जनता के बीच जनप्रतिनिधि रख रहे हैं. और उन्हें हल करने का वादा कर रहे हैं. जिन मुद्दों को जन प्रतिनिधि बना रहे हैं. वह मुद्दे हर क्षेत्र में बरसों से जो के त्यों बने हुए हैं. पाली की बाली विधानसभा क्षेत्र का हाल भी कुछ ऐसा ही है.

पाली ने राजस्थान को मुख्यमंत्री दिया...लेकिन सुविधाओं के लिए कतार में ही खड़ा है
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Published : Apr 1, 2019, 2:23 PM IST

पाली. जिले की बाली विधानसभा आदिवासी क्षेत्र के रूप में जानी जाती है. सरकार ने इसे टीएसपी एरिया में ले रखा है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है इस विधानसभा से राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे भैरों सिंह शेखावत ने चुनाव लड़ा था. और यहीं से चुनाव लड़ने के बाद वह राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में सरकार में रहे. इस क्षेत्र से मुख्यमंत्री निकलने के बाद भी इस क्षेत्र को वो सुविधायें नहीं मिल पाई. जिनकी आवश्यकता यहां के बाशिन्दों को सबसे ज्यादा हैं.


आज भी यहां के लोग उन आधारभूत सुविधाओं से महरूम हैं जो सुविधाएं उन्हें काफी पहले मिल जानी चाहिए थी. ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद में इस विधानसभा क्षेत्र से कोई बड़ा चेहरा नहीं निकला है. भैरों सिंह शेखावत के बाद में यहां से लगातार 5 बार भाजपा के प्रत्याशी के रूप में विधायक पुष्पेंद्र सिंह जीतते चले आ रहे हैं. पिछली सरकार में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेड़े में कैबिनेट मंत्री थे.


क्षेत्र को भाजपा अपना सबसे सुरक्षित हो वोट बैंक मानती है. यहां का पूरा क्षेत्र भैरों सिंह शेखावत के समय से भाजपा को समर्थन देता आया है. अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की नजर क्षेत्र में है. इस बार लोकसभा के दोनों ही चेहरे क्षेत्र में लोगों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को दूर करने का वादा कर इन के क्षेत्र में जा रहे हैं. और अपने समर्थन में वोट मांग रहे हैं.

पाली ने राजस्थान को मुख्यमंत्री दिया...लेकिन सुविधाओं के लिए कतार में ही खड़ा है


बाली विधानसभा का पूरा क्षेत्र आदिवासी और पहाड़ी क्षेत्र है. यहां सबसे प्रमुख समस्या यातायात ही सामने आती है. इस क्षेत्र में रोडवेज बस की सुविधा नहीं होने से लोगों को आज भी जीप या निजी बसों का सहारा लेना पड़ता है. क्षेत्र की सड़कों पर आम दृश्य है कि एक जीप में 40 से 50 लोग एक बार में पहाड़ी क्षेत्र से सफर कर अपनी जान जोखिम में डालते हैं.


कई बार इस क्षेत्र में में गंभीर दुर्घटनाएं भी हुई है और लोग हादसे का शिकार भी हुए लेकिन इसके बाद भी आज तक यहां पर यातायात की सुविधा को लेकर कोई भी पदाधिकारी नहीं चेत पाया है. वहीं दूसरी बड़ी समस्या की बात करें यहां पर पेयजल समस्या भी काफी उभर कर सामने आ रही है. आज भी यहां के लोगों को अपनी हलक तर करने के लिए परम्परागत कुओं का ही सहारा लेना पड़ रहा है.

पाली. जिले की बाली विधानसभा आदिवासी क्षेत्र के रूप में जानी जाती है. सरकार ने इसे टीएसपी एरिया में ले रखा है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है इस विधानसभा से राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे भैरों सिंह शेखावत ने चुनाव लड़ा था. और यहीं से चुनाव लड़ने के बाद वह राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में सरकार में रहे. इस क्षेत्र से मुख्यमंत्री निकलने के बाद भी इस क्षेत्र को वो सुविधायें नहीं मिल पाई. जिनकी आवश्यकता यहां के बाशिन्दों को सबसे ज्यादा हैं.


आज भी यहां के लोग उन आधारभूत सुविधाओं से महरूम हैं जो सुविधाएं उन्हें काफी पहले मिल जानी चाहिए थी. ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद में इस विधानसभा क्षेत्र से कोई बड़ा चेहरा नहीं निकला है. भैरों सिंह शेखावत के बाद में यहां से लगातार 5 बार भाजपा के प्रत्याशी के रूप में विधायक पुष्पेंद्र सिंह जीतते चले आ रहे हैं. पिछली सरकार में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेड़े में कैबिनेट मंत्री थे.


क्षेत्र को भाजपा अपना सबसे सुरक्षित हो वोट बैंक मानती है. यहां का पूरा क्षेत्र भैरों सिंह शेखावत के समय से भाजपा को समर्थन देता आया है. अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की नजर क्षेत्र में है. इस बार लोकसभा के दोनों ही चेहरे क्षेत्र में लोगों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को दूर करने का वादा कर इन के क्षेत्र में जा रहे हैं. और अपने समर्थन में वोट मांग रहे हैं.

पाली ने राजस्थान को मुख्यमंत्री दिया...लेकिन सुविधाओं के लिए कतार में ही खड़ा है


बाली विधानसभा का पूरा क्षेत्र आदिवासी और पहाड़ी क्षेत्र है. यहां सबसे प्रमुख समस्या यातायात ही सामने आती है. इस क्षेत्र में रोडवेज बस की सुविधा नहीं होने से लोगों को आज भी जीप या निजी बसों का सहारा लेना पड़ता है. क्षेत्र की सड़कों पर आम दृश्य है कि एक जीप में 40 से 50 लोग एक बार में पहाड़ी क्षेत्र से सफर कर अपनी जान जोखिम में डालते हैं.


कई बार इस क्षेत्र में में गंभीर दुर्घटनाएं भी हुई है और लोग हादसे का शिकार भी हुए लेकिन इसके बाद भी आज तक यहां पर यातायात की सुविधा को लेकर कोई भी पदाधिकारी नहीं चेत पाया है. वहीं दूसरी बड़ी समस्या की बात करें यहां पर पेयजल समस्या भी काफी उभर कर सामने आ रही है. आज भी यहां के लोगों को अपनी हलक तर करने के लिए परम्परागत कुओं का ही सहारा लेना पड़ रहा है.

Intro:पाली. लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। अब सिर्फ मुद्दों की बात की जा रही है। मुद्दे वो जो जनता के बीच जनप्रतिनिधि रख रहे हैं। और उन्हें हल करने का वादा कर रहे हैं। जिन मुद्दों को जन प्रतिनिधि बना रहे हैं। वह मुद्दे हर क्षेत्र में बरसों से जो के त्यों बने हुए हैं। पाली की बाली विधानसभा आदिवासी क्षेत्र के रूप में जानी जाती है। सरकार ने इसे टीएसपी एरिया में ले रखा है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है इस विधानसभा से राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे भैरों सिंह शेखावत ने चुनाव लड़ा था। और यहीं से चुनाव लड़ने के बाद वह राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में सरकार में रहे। इस क्षेत्र से मुख्यमंत्री निकलने के बाद भी इस क्षेत्र को वो सुविधाये नही मिल पाई। जिनकी आवश्यकता ह्या के बाशिन्दों को सबसे ज्यादा हैं। आज भी ह्या के लोग उन आधारभूत सुविधाओं से महरूम हैं जो सुविधाये उन्हें काफी पहले मिल जानी चाहीं थी। ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद में इस विधानसभा क्षेत्र से कोई बड़ा चेहरा नहीं निकला हो। भैरों सिंह शेखावत के बाद में यहां से लगातार 5 बार भाजपा के प्रत्याशी के रूप में विधायक पुष्पेंद्र सिंह जीतते चले आ रहे हैं। पिछली सरकार में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेड़े में कैबिनेट मंत्री थे।


Body: क्षेत्र को भाजपा अपना सबसे सुरक्षित हो वोट बैंक मानती है यहां की पूरा क्षेत्र भैरों सिंह शेखावत के समय से भाजपा को समर्थन देता आया है अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की नजर क्षेत्र में है। इस बार लोकसभा के दोनों ही चेहरे क्षेत्र में लोगों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को दूर करने का वादा कर इन के क्षेत्र में जा रहे हैं।और अपने समर्थन में वोट मांग रहे हैं।


Conclusion: बाली विधानसभा का पूरा क्षेत्र आदिवासी और पहाड़ी क्षेत्र है। यहां सबसे प्रमुख समस्या यातायात ही सामने आती है। इस क्षेत्र में रोडवेज बस की सुविधा नहीं होने से लोगों को आज भी जीप या निजी बसों का सहारा लेना पड़ता है। क्षेत्र की सड़कों पर आम दृश्य है कि एक जीप में 40 से 50 लोग एक बार में पहाड़ी क्षेत्र से सफर कर अपनी जान जोखिम में डालते हैं। कई बार इस क्षेत्र में में गंभीर दुर्घटनाएं भी हुई है। और लोग हादसे का शिकार भी हुए। लेकिन इसके बाद भी आज तक यहां पर यातायात की सुविधा को लेकर कोई भी पदाधिकारी नहीं चेत पाया है। वहीं दूसरी बड़ी समस्या की बात करें यहां पर पेयजल समस्या भी काफी उभर कर सामने आ रही है। आज भी यहां के लोगों को अपनी हलक तर करने के लिए परम्परागत कुओं का ही सहारा लेना पड़ रहा हैं।
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