भीलवाड़ा. जिले के आसींद का मालेसरी गांव फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की तैयारियों को लेकर सुर्खियों में है. गुर्जर समाज की आस्था का केंद्र और भगवान देवनारायण के अवतार स्थली आसींद के ऐतिहासिक देवनारायण मंदिर आस्था के साथ - साथ यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोग प्रसाद भी विशेष रहता है. सालों से मंदिर में इस परम्परा को निभाया जा रहा है ( Bhog of 4 KG Chapati). रोटी श्रद्धालुओं में वितरित की जाती है जिसका प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से भक्त मंदिर तक पहुंचते हैं. भंडारे में इसे पंगत में बैठकर ग्रहण करते हैं.
देवनारायण मंदिर प्रसादी की चपाती है खास- साधारण अन्न अगर भगवान को अर्पित कर दिया जाता है, तो वह प्रसाद बनकर भक्तों के लिए खास हो जाता है. भीलवाड़ा के आसींद में भगवान देवनारायण को प्रसाद में विशेष प्रकार की रोटी अर्पित की जाती है, जिसे बाद में भंडारे में भक्तों को वितरित भी किया जाता है. मंदिर आने वाला हर श्रद्धालु यही कामना लेकर आता है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने का सौभाग्य उसे अवश्य प्राप्त हो. इस रोटी की विशेषता यह है कि यह आकार में तो विशाल है ही, साथ ही गरम गरम कढ़ी के साथ इसका जायका भी श्रद्धालुओं के स्वाद को चौगुना कर देता है.
2 फीट की रोटी- भगवान देवनारायण मंदिर में परोसी जाने वाली प्रसाद की रोटी का आकार करीब 2 फीट के व्यास में होता है. वही वजन लगभग 4 किलो के करीब होता है. इस रोटी की मोटाई भी आधा इंच से ज्यादा होती है. मंदिर के भंडारे में प्रातः 9:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक लगातार हर भक्त को यह प्रसाद वितरित किया जाता है. मंदिर के रसोई गृह में इस रोटी को बनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटे होते हैं. प्रसाद प्राप्त करने वाले भक्तों का भी कहना है कि घर में बनी रोटी से इस रोटी का स्वाद काफी अलग होता है, जो प्रसाद के साथ-साथ आनंद की अनुभूति भी देता है. रोटी की सिकाई भी चूल्हे पर अंगारों की बीच की जाती है. जिससे इसका परंपरागत स्वाद बरकरार रहे.
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रोजाना 11 क्विंंटल लगता है गेहूं का आटा- मंदिर प्रबंधन के लोग बताते हैं कि भोजन शाला में आमतौर पर रोजाना 11 क्विंटल के करीब गेहूं का आटा प्रसाद के रूप में बांटी जाने वाली चपाती के उपयोग में आता है. वहीं कभी कभी किसी विशेष तिथि पर 18 क्विंटल गेंहू का आटा खर्च होता है. यहां प्रतिदिन काफी संख्या मे भक्त प्रसाद के रूप मे भोजन ग्रहण करते है. वहीं शनिवार के दिन भगवान श्री देवनारायण की पूजा का विशेष महत्व है इसलिए शनिवार को हजारों की संख्या में यहां भक्त पंहुचते है.
मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार खास तौर पर देवनारायण की जन्म स्थली पर श्रावण और भाद्रप्रद महीने में अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं. कुछ श्रद्धालु अपनी मनौती और कामना लेकर मंदिर तक पदयात्रा भी करते हैं. हर हफ्ते शनिवार को भी मंदिर में बड़ी संख्या में दर्शन के लिए लोग आते हैं.