नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को टीवी पत्रकार की हत्या के प्रयास मामले में तेलुगु अभिनेता मंचू मोहन बाबू को बड़ी राहत दी. किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने यह आदेश दिये. सर्वोच्च न्यायालय ने अभिनेता को चार सप्ताह के लिए अंतरिम राहत दी और पत्रकार से जवाब भी मांगा कि क्या वह मुआवजा पाने में रुचि रखता है.
कोर्ट में अधिवक्ताओं ने क्या रखी दलीलः मोहन बाबू के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि यह घटना उस समय हुई जब उनके अलग हुए बेटे द्वारा कई मीडियाकर्मियों के साथ उनके घर में घुसने की कोशिश की. इस दौरान उन्होंने माइक फेंक दिया. रोहतगी ने कहा कि उनका मुवक्किल सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और शिकायतकर्ता को मुआवजा देने के लिए तैयार है. पत्रकार के वकील ने कहा कि उनके जबड़े में चोट लगने के बाद उन्हें सर्जरी करानी पड़ी थी. वकील ने दावा किया कि अभिनेता उन्हें धमकाने के लिए अस्पताल गए थे.
तेलंगाना हाईकोर्ट ने नहीं दी थी अग्रिम जमानतः अभिनेता ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के 23 दिसंबर के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसने उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. उच्च न्यायालय ने पाया कि पत्रकार को गंभीर चोटें आईं और उसकी सर्जरी की गई. मोहन बाबू के खिलाफ आरोपों पर भी गौर किया कि उसने शिकायतकर्ता को अपनी शिकायत वापस लेने के लिए प्रभावित करने का प्रयास किया.
क्या है आरोपः 10 दिसंबर की घटना है. आरोप के अनुसार शाम 7.50 बजे मीडिया कर्मी मोहन बाबू और उनके बेटे एक्टर मंचू मनोज के बीच चल रहे विवाद को कवर कर रहे थे. अभिनेता मंचू मनोज ने पत्रकारों को अंदर बुलाया. कथित रूप से इस दौरान मोहन बाबू ने एक पत्रकार पर अटैक कर दिया. जलपल्ली आवास पर पत्रकार पर हमले के लिए शुरू में बीएनएस की धारा 118 के तहत मामला दर्ज किया गया था. बाद में, पुलिस ने बीएनएस की धारा 109 (हत्या का प्रयास) को जोड़ा.
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