जयपुर. प्रदेश में पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के दाम में बढ़ोतरी के बाद खाद्य तेलों की कीमतों में भी इजाफा देखने को मिला है. खाद्य तेलों की कीमतों में इजाफे के कारण आमजन की रसोई का बजट भी गड़बड़ाने लगा है. बीते 10 माह की बात की जाए तो खाद्य तेलों की कीमतों में करीब 700 से 800 रुपए प्रति टिन की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. देखिये यह रिपोर्ट...
राजधानी जयपुर की सबसे बड़ी खाद्य मंडी कुकरखेड़ा मंडी के तेल व्यापारियों का कहना है कि बीते 9 से 10 महीने में इतनी बड़ी बढ़ोतरी खाद्य तेलों में इससे पहले कभी दर्ज नहीं की गई. हालांकि बीते एक माह में करीब सौ-डेढ़ सौ रुपए की गिरावट भी खाद्य तेलों की कीमतों में दर्ज की गई है.
लॉकडाउन के बाद बढ़ी कीमतें
कुकरखेड़ा मंडी के तेल व्यापारी और संघ के कोषाध्यक्ष राजेश रावत ने बताया कि लॉकडाउन के बाद तेल के दामों में लगातार बढ़ोतरी हुई. खाद्य तेलों की कीमत जहां अप्रैल माह में 1200 से 1400 रुपए प्रति टिन थी, वहीं दिसंबर तक वह बढ़कर 2500 रुपए प्रति टिन तक पहुंच गई.
बीते 11 माह में 3 बार खाद्य तेलों के दामों में बढ़ोतरी हुई है. सोयाबीन, सरसों, मूंगफली और पाम ऑयल के दामों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
सोयाबीन तेल की कीमतें
सरसों तले की कीमतें
मूंगफली तेल की कीमतें
पाम ऑयल की कीमतें
कालाबाजारी से भी बढ़े भाव
कुकरखेड़ा मंडी के तेल कारोबारी महेश खंडेलवाल का कहना है कि बीते कुछ समय से खाद्य तेलों की कीमतों में इजाफा हुआ है. खाद्य तेलों की कालाबाजारी भी दाम बढ़ने के लिए जिम्मेदार है.
वहीं शहर के स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते कुछ समय से महंगाई के कारण हालात काफी बिगड़ रहे हैं. पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के बाद खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी ने आम आदमी के जीवन को मुश्किल बना दिया है. उन्होंने सरकार से महंगाई पर नियंत्रण लगाने की अपील की.