जयपुर. राजस्थान में पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. विपक्ष और सामाजिक संगठनों के निशाने पर आ रहे शिक्षा मंत्री डोटासरा के खिलाफ अब पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के परिवार ने भी मोर्चा खोल दिया है. भैरों सिंह शेखावत के दोहिते और बीजेपी युवा मोर्चा के नेता अभिमन्यु सिंह राजवी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पाठ्यक्रम में किए गए बदलाव को एक महीने में पुनः संशोधित करने की मांग की है.
अभिमन्यु राजवी ने कहा कि शिक्षा मंत्री ने नए पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप को महान मानने से इनकार करते हुए महान शब्द हटा दिया है, वहीं रानी पद्मिनी के जौहर को सती प्रथा के समान अपराध मानते हुए जौहर के चित्र को भी हटा दिया है. शिक्षा मंत्री को इस बात का भी ज्ञान नहीं है कि सती प्रथा और जौहर में क्या अंतर है. उन्होंने कहा कि जिस शिक्षा मंत्री को इतिहास का ज्ञान नहीं है, उनका इस्तीफा ले लेना चाहिए. अभिमन्यु सिंह राजवी ने कहा कि कांग्रेस सरकार कह रही है कि सावरकर वीर नहीं थे. मेरा शिक्षा मंत्री से कहना है कि उन्हें एक बार उस जेल में जाकर आना चाहिए, जहां वीर सावरकर को अंग्रेजों ने कैद करके रखा था. और उन्होंने किस तरह की यातनाएं सही.
अभिमन्यु राजवी ने कहा कि उन्हें तो यही समझ में नहीं आ रहा कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री सही है, या कांग्रेस की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी. क्योंकि इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर के नाम से स्टाम्प जारी किए थे. जो इस बात का प्रतीक है कि वह उनकी उस वीरता को मानती थी. अभिमन्यु ने कहा कि कांग्रेस सरकार विदेशी इतिहासकारों की बातें ज्यादा मानती है. ऐसे में कुछ विदेशी इतिहासकारों द्वारा महाराणा प्रताप की महानता और रानी पद्मिनी के जौहर के बारे में जो लिखा है. उसकी कुछ कॉपियां सौंपकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की है कि वह खुद इस मामले में सीधा दखल दें. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से ज्ञापन के जरिए मांग की गई है कि पाठ्यक्रमों में जो संशोधन किया गया है, उसको पुन: सही किया जाए. और अगर संशोधन नहीं किया जाता है, तो 1 महीने बाद सामाजिक संगठनों, सभी समाजों और बीजेपी के साथ मिलकर प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा.