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अजमेर: निखरेगा किशनगढ़ रियासत की रक्षा चौकियों का इतिहास, नए टूरिस्ट पॉइंट बनेंगे फतेहगढ़ और सरवाड़ के किले

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Published : Dec 2, 2021, 9:13 AM IST

भारतीय इतिहास में अपनी अलग पहचान रखने वाले राजस्थान के अजमेर जिले को नई सौगात (New Tourist Points In Ajmer) मिली है. रियासत की दक्षिणी सीमा की रक्षा के लिए बनाए गए फतेहगढ़ और सरवाड़ में दो किले (Fatehgarh And Sarwar Forts ) का करीब 8.61 करोड़ रूपए की लागत से जीर्णोद्धार किया जाएगा.

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अजमेर. भारतीय इतिहास के मराठाकाल में हुए युद्धों से अजमेर की सुप्रसिद्ध किशनगढ़ रियासत (Famous Kishangarh Princely State Of Ajmer) भी अछूती नहीं थी. रियासत की दक्षिणी सीमा की रक्षा के लिए फतेहगढ़ और सरवाड़ में दो किले (Fatehgarh And Sarwar Forts) बनाए गए थे. इन दोनों किलों का प्राचीन वैभव एक बार फिर से पर्यटकों को लुभाएगा. करीब 8.61 करोड़ रूपए की लागत से इनका जीर्णोद्धार (New Tourist Points In Ajmer) किया जा रहा है.

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पूर्व चिकित्सा मंत्री एवं केकड़ी विधायक डॉ. रघु शर्मा (Former Medical Minister and Kekri MLA Dr. Raghu Sharma) की मांग पर राज्य सरकार ने बजट घोषणा के तहत सरवाड़ और फतेहगढ़ किले के जीर्णोद्धार (Restoration of Sarwar and Fatehgarh Fort) का निर्णय किया था. इसके तहत 5 करोड़ रूपए की लागत से सरवाड़ और 3.61 करोड़ की लागत से फतेहगढ़ किले का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. अजमेर में सरवाड़ तहसील मुख्यालय पर स्थित यह किला अपने निर्माण के समय अवश्य ही बड़ा आकर्षक एवं अभेद्य रहा होगा.

सरवाड़ के किले का गौरवशाली इतिहास

यह किशनगढ़ रियासत की मराठा आक्रमणकारियों से रक्षा के लिए चौकी थी. किले की सुरक्षा के लिए दोहरी चार दिवारी बनाई गई हैं. चारों ओर गहरी खाई आज भी विद्यमान हैं. चारों कोनों पर सुदृढ एवं विशाल बुर्ज हैं. किले की सरंचनाओं के अनुरूप महल में जनाना व मर्दाना निवास अलग-अलग भाग में बने हुए हैं. किले की मूल सरंचनाएं मेहराबदार हैं. मुख्य किले के प्रवेश द्वार पर सुरक्षा प्रहरियों के लिए सुन्दर मेहराबदार बरामदा बना है. दीवारों एवं बुर्जों को बाद के काल में ऊँचा किया गया है. इस दौरान किले के मेहराबदार कगूँरों की दीवार एवं तीन बुर्जो के उपरी हिस्से को सपाट किया गया है. तीन बुर्ज सुरक्षा प्रहरियों के लिए बने हैं तथा चौथे बुर्ज पर महलनुमा रिहाईशी महल बना है. इसके झरोखें सुन्दर एवं कलात्मक हैं. झरोखों के उपर अद्र्ध गुम्बद एवं नीचे अर्ध गुलदस्तेनुमा कलात्मक सुन्दर आकृतियां है. इस महलनुमा बुर्ज में भी सुरक्षा की दृष्टि से आक्रमण करने के लिए सुराख हैं.

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किले के दरवाजे में प्रवेश व निकास सीधी रेखा में नहीं हैं, बल्कि सुरक्षा के मद्देनजर घुमावदार रखा गया है. इससे महल पर आक्रमण करने वाली सेना के पिछले भाग पर भी दरवाजे की उपरी मंजिल से महल के सिपाहियों की ओर से हमला किया जा सकता था. ऊपरी परकोटे पर पहरेदार तैनात रहा करते थे. मुख्य दरवाजों पर दोहरी सुरक्षा प्रणाली के अनुसार दरवाजे लगे हुए हैं. इस प्रणाली के तहत प्रथम दरवाजा सीधा लगाया जाता है, सुरक्षा की दृष्टि से दूसरा दरवाजा घुमावदार के बाद लगाया जाता है. युद्ध के समय शत्रु को प्रथम दरवाजा ध्वस्त करने के पश्चात दूसरे दरवाजे पर भी युद्ध करना होगा. इसलिए ये दोहरी सुरक्षा प्रणाली के द्वार कहलाते हैं.

राजपरिवार के सदस्य, खास मेहमानों महत्वपूर्ण व्यक्तियों एवं विशेष अवसरों पर आमजन का आगमन इसी दरवाजे से हुआ करता था. उत्तर मध्यकालीन दो परकोटे एवं किले के चारों ओर खाई है. इस किले के परकोटे में सात मजबूत द्वार हैं. विशाल किले की दीवारों पर सुरक्षा की दृष्टि से चारों ओर बुर्ज निर्मित है. इस किले के अन्दर शीश महल, तहखाने तथा महल में झरोखे, झरोखों के छज्जे एवं सुन्दर कलात्मक नक्काशी कार्य दर्शनीय है. वर्तमान में यह किला पूर्णतया जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं.

यह करवाए जा रहे कार्य

सरवाड़ किले के संरक्षण एवं जीर्णोद्धार के लिए 5 करोड़ रूपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई है. किले में बाहरी व आन्तरिक परकोटे की टूटी हुई दिवारों का पुनः निर्माण, आन्तरिक परकोटे के साथ-साथ बने हुए पाथवे पर पत्थर की फर्श लगाने का कार्य, मुख्य महल परिसर की टूटी हुई दीवारों, छत व कमरों का पुननिर्माण, महल के चारों तरफ के जंगल सफाई व मिट्टी की लेवलिंग, शौचालय सुविधा निर्माण कार्य (पुरूष एवं महिला), ट्यूबवैल निर्माण कार्य, सोलर लाईट, स्टोन बैंचेज व डस्टबिन तथा महल के चारों ओर कॉबल स्टोन लगाकर सौन्दर्यीकरण का कार्य करवाया जा रहा है.

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फतेहगढ़ किला किला एक नजर

फतहगढ़ किला, ग्राम फतहगढ़, सरवाड़ अजमेर में स्थित हैं. किला छोटी पहाड़ी पर बना हैं. यह किला दोहरी सुरक्षा में निर्मित है. किले के दरवाजे में प्रवेश व निकास सीधी रेखा में नहीं हैं, बल्कि सुरक्षा के मद्देनजर घुमावदार रखा गया हैं. इससे महल पर आक्रमण करने वाली सेना के पिछले भाग पर भी दरवाजे की उपरी मंजिल से महल के सिपाहियों द्वारा हमला किया जा सकता था. इसलिए उपरी परकोटे पर पहरेदार तैनात रहा करते थे. मुख्य दरवाजों पर दोहरी सुरक्षा प्रणाली के अनुसार दरवाजे लगे हुए हैं.

इस प्रणाली के तहत प्रथम दरवाजा सीधा लगाया जाता है, सुरखा की दृष्टि से दूसरा दरवाजा घुमावदार के बाद लगाया जाता है, प्रथम द्वार के दोनों ओर एक-एक बुर्ज है तथा इन बुर्जों के समानान्तर दो बुर्ज पीछे की तरफ हैं. बाह्य चार दीवारी के बुर्ज के झरोंखों में ऊपर अद्र्ध गुम्बद एवं नीचे अद्र्ध गुलदस्तेनुमा कलात्मक सुन्दर आकृतियां हैं. किले की चार दीवारी के अन्दर महल निर्मित है. चार दीवारी के मध्यभाग में महल निर्मित है. इस महल की बुर्ज पर ब्रिटिशकाल में महल का निर्माण कराया गया है. किले में जनाना व मर्दाना निवास स्थान अलग-अलग भागों में विभक्त हैं. इसलिए महल का रिहायशी भाग ब्रिटिशकालीन स्थापत्यकला शैली में निर्मित हैं.

इस भाग के खिड़की एवं दरवाजों का उपरी भाग गोलाकार है. महल के बरामदों में चौकोर स्तम्भों पर हिन्दू स्थापत्यशैली के बिम्ब बने हैं. मुख्य चार दीवारी के अन्दर एक भाग के बरामदें एक मेहराबदारयुक्त शैली में निर्मित है. स्तम्भ गुलदस्तेनुमा हैं तथा पान-पत्तों के कंगूरों से युक्त सुसज्जित है. यह मुस्लिम स्थापत्यकला शैली है. किले में जल प्रबन्ध के लिए बावड़ी जल का मुख्य स्त्रोत रही होगी. इस किले में प्रत्येक काल के शासकों द्वारा विकास कार्य अविरल रूप से सम्पन्न कराए गए हैं. 17 वीं शताब्दी ईस्वी में महाराजा फतह सिंह द्वारा निर्मित यह प्राचीन किला सुदृढ प्राचीरों, बुर्जों विशाल दरवाजों एवं सुरक्षात्मक साधनों से युक्त हैं.

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यहां यह करवाए जा रहे कार्य-

वर्ष 2019-20 के बजट के तहत फतेहगढ़ किले के संरक्षण एवं जीर्णोद्धार कार्य की घोषणा की गई थी. इस कार्य के लिए 3.6 करोड़ रूपए की प्रशासनिक एवं वित्तिय स्वीकृति जारी की गई. यहां पार्किंग, टॉयलेट निर्माण, ट्यूबवैल, बैन्चेज, डस्टबिन, साईनेज आदि का कार्य, मुख्य फोर्ट के बाहरी एवं अन्दर की क्षतिग्रस्त दीवारों का जीर्णोद्धार, मुख्य फोर्ट में जीर्णोद्धार का कार्य, लकड़ी के क्षतिग्रस्त दरवाजों, खिड़कियों व रोशनदानों का जीर्णोंद्धार व पॉलिश का कार्य, क्षतिग्रस्त छतों का मरम्मत कार्य तथा जंगल सफाई का कार्य करवाया जा रहा है.

अजमेर. भारतीय इतिहास के मराठाकाल में हुए युद्धों से अजमेर की सुप्रसिद्ध किशनगढ़ रियासत (Famous Kishangarh Princely State Of Ajmer) भी अछूती नहीं थी. रियासत की दक्षिणी सीमा की रक्षा के लिए फतेहगढ़ और सरवाड़ में दो किले (Fatehgarh And Sarwar Forts) बनाए गए थे. इन दोनों किलों का प्राचीन वैभव एक बार फिर से पर्यटकों को लुभाएगा. करीब 8.61 करोड़ रूपए की लागत से इनका जीर्णोद्धार (New Tourist Points In Ajmer) किया जा रहा है.

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पूर्व चिकित्सा मंत्री एवं केकड़ी विधायक डॉ. रघु शर्मा (Former Medical Minister and Kekri MLA Dr. Raghu Sharma) की मांग पर राज्य सरकार ने बजट घोषणा के तहत सरवाड़ और फतेहगढ़ किले के जीर्णोद्धार (Restoration of Sarwar and Fatehgarh Fort) का निर्णय किया था. इसके तहत 5 करोड़ रूपए की लागत से सरवाड़ और 3.61 करोड़ की लागत से फतेहगढ़ किले का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. अजमेर में सरवाड़ तहसील मुख्यालय पर स्थित यह किला अपने निर्माण के समय अवश्य ही बड़ा आकर्षक एवं अभेद्य रहा होगा.

सरवाड़ के किले का गौरवशाली इतिहास

यह किशनगढ़ रियासत की मराठा आक्रमणकारियों से रक्षा के लिए चौकी थी. किले की सुरक्षा के लिए दोहरी चार दिवारी बनाई गई हैं. चारों ओर गहरी खाई आज भी विद्यमान हैं. चारों कोनों पर सुदृढ एवं विशाल बुर्ज हैं. किले की सरंचनाओं के अनुरूप महल में जनाना व मर्दाना निवास अलग-अलग भाग में बने हुए हैं. किले की मूल सरंचनाएं मेहराबदार हैं. मुख्य किले के प्रवेश द्वार पर सुरक्षा प्रहरियों के लिए सुन्दर मेहराबदार बरामदा बना है. दीवारों एवं बुर्जों को बाद के काल में ऊँचा किया गया है. इस दौरान किले के मेहराबदार कगूँरों की दीवार एवं तीन बुर्जो के उपरी हिस्से को सपाट किया गया है. तीन बुर्ज सुरक्षा प्रहरियों के लिए बने हैं तथा चौथे बुर्ज पर महलनुमा रिहाईशी महल बना है. इसके झरोखें सुन्दर एवं कलात्मक हैं. झरोखों के उपर अद्र्ध गुम्बद एवं नीचे अर्ध गुलदस्तेनुमा कलात्मक सुन्दर आकृतियां है. इस महलनुमा बुर्ज में भी सुरक्षा की दृष्टि से आक्रमण करने के लिए सुराख हैं.

यह भी पढ़ें -विश्व प्रवासी पक्षी दिवस : इन्हें सुरक्षित रखने के लिए करें प्रयास

किले के दरवाजे में प्रवेश व निकास सीधी रेखा में नहीं हैं, बल्कि सुरक्षा के मद्देनजर घुमावदार रखा गया है. इससे महल पर आक्रमण करने वाली सेना के पिछले भाग पर भी दरवाजे की उपरी मंजिल से महल के सिपाहियों की ओर से हमला किया जा सकता था. ऊपरी परकोटे पर पहरेदार तैनात रहा करते थे. मुख्य दरवाजों पर दोहरी सुरक्षा प्रणाली के अनुसार दरवाजे लगे हुए हैं. इस प्रणाली के तहत प्रथम दरवाजा सीधा लगाया जाता है, सुरक्षा की दृष्टि से दूसरा दरवाजा घुमावदार के बाद लगाया जाता है. युद्ध के समय शत्रु को प्रथम दरवाजा ध्वस्त करने के पश्चात दूसरे दरवाजे पर भी युद्ध करना होगा. इसलिए ये दोहरी सुरक्षा प्रणाली के द्वार कहलाते हैं.

राजपरिवार के सदस्य, खास मेहमानों महत्वपूर्ण व्यक्तियों एवं विशेष अवसरों पर आमजन का आगमन इसी दरवाजे से हुआ करता था. उत्तर मध्यकालीन दो परकोटे एवं किले के चारों ओर खाई है. इस किले के परकोटे में सात मजबूत द्वार हैं. विशाल किले की दीवारों पर सुरक्षा की दृष्टि से चारों ओर बुर्ज निर्मित है. इस किले के अन्दर शीश महल, तहखाने तथा महल में झरोखे, झरोखों के छज्जे एवं सुन्दर कलात्मक नक्काशी कार्य दर्शनीय है. वर्तमान में यह किला पूर्णतया जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं.

यह करवाए जा रहे कार्य

सरवाड़ किले के संरक्षण एवं जीर्णोद्धार के लिए 5 करोड़ रूपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई है. किले में बाहरी व आन्तरिक परकोटे की टूटी हुई दिवारों का पुनः निर्माण, आन्तरिक परकोटे के साथ-साथ बने हुए पाथवे पर पत्थर की फर्श लगाने का कार्य, मुख्य महल परिसर की टूटी हुई दीवारों, छत व कमरों का पुननिर्माण, महल के चारों तरफ के जंगल सफाई व मिट्टी की लेवलिंग, शौचालय सुविधा निर्माण कार्य (पुरूष एवं महिला), ट्यूबवैल निर्माण कार्य, सोलर लाईट, स्टोन बैंचेज व डस्टबिन तथा महल के चारों ओर कॉबल स्टोन लगाकर सौन्दर्यीकरण का कार्य करवाया जा रहा है.

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फतेहगढ़ किला किला एक नजर

फतहगढ़ किला, ग्राम फतहगढ़, सरवाड़ अजमेर में स्थित हैं. किला छोटी पहाड़ी पर बना हैं. यह किला दोहरी सुरक्षा में निर्मित है. किले के दरवाजे में प्रवेश व निकास सीधी रेखा में नहीं हैं, बल्कि सुरक्षा के मद्देनजर घुमावदार रखा गया हैं. इससे महल पर आक्रमण करने वाली सेना के पिछले भाग पर भी दरवाजे की उपरी मंजिल से महल के सिपाहियों द्वारा हमला किया जा सकता था. इसलिए उपरी परकोटे पर पहरेदार तैनात रहा करते थे. मुख्य दरवाजों पर दोहरी सुरक्षा प्रणाली के अनुसार दरवाजे लगे हुए हैं.

इस प्रणाली के तहत प्रथम दरवाजा सीधा लगाया जाता है, सुरखा की दृष्टि से दूसरा दरवाजा घुमावदार के बाद लगाया जाता है, प्रथम द्वार के दोनों ओर एक-एक बुर्ज है तथा इन बुर्जों के समानान्तर दो बुर्ज पीछे की तरफ हैं. बाह्य चार दीवारी के बुर्ज के झरोंखों में ऊपर अद्र्ध गुम्बद एवं नीचे अद्र्ध गुलदस्तेनुमा कलात्मक सुन्दर आकृतियां हैं. किले की चार दीवारी के अन्दर महल निर्मित है. चार दीवारी के मध्यभाग में महल निर्मित है. इस महल की बुर्ज पर ब्रिटिशकाल में महल का निर्माण कराया गया है. किले में जनाना व मर्दाना निवास स्थान अलग-अलग भागों में विभक्त हैं. इसलिए महल का रिहायशी भाग ब्रिटिशकालीन स्थापत्यकला शैली में निर्मित हैं.

इस भाग के खिड़की एवं दरवाजों का उपरी भाग गोलाकार है. महल के बरामदों में चौकोर स्तम्भों पर हिन्दू स्थापत्यशैली के बिम्ब बने हैं. मुख्य चार दीवारी के अन्दर एक भाग के बरामदें एक मेहराबदारयुक्त शैली में निर्मित है. स्तम्भ गुलदस्तेनुमा हैं तथा पान-पत्तों के कंगूरों से युक्त सुसज्जित है. यह मुस्लिम स्थापत्यकला शैली है. किले में जल प्रबन्ध के लिए बावड़ी जल का मुख्य स्त्रोत रही होगी. इस किले में प्रत्येक काल के शासकों द्वारा विकास कार्य अविरल रूप से सम्पन्न कराए गए हैं. 17 वीं शताब्दी ईस्वी में महाराजा फतह सिंह द्वारा निर्मित यह प्राचीन किला सुदृढ प्राचीरों, बुर्जों विशाल दरवाजों एवं सुरक्षात्मक साधनों से युक्त हैं.

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यहां यह करवाए जा रहे कार्य-

वर्ष 2019-20 के बजट के तहत फतेहगढ़ किले के संरक्षण एवं जीर्णोद्धार कार्य की घोषणा की गई थी. इस कार्य के लिए 3.6 करोड़ रूपए की प्रशासनिक एवं वित्तिय स्वीकृति जारी की गई. यहां पार्किंग, टॉयलेट निर्माण, ट्यूबवैल, बैन्चेज, डस्टबिन, साईनेज आदि का कार्य, मुख्य फोर्ट के बाहरी एवं अन्दर की क्षतिग्रस्त दीवारों का जीर्णोद्धार, मुख्य फोर्ट में जीर्णोद्धार का कार्य, लकड़ी के क्षतिग्रस्त दरवाजों, खिड़कियों व रोशनदानों का जीर्णोंद्धार व पॉलिश का कार्य, क्षतिग्रस्त छतों का मरम्मत कार्य तथा जंगल सफाई का कार्य करवाया जा रहा है.

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