ETV Bharat / state

Vidisha Hill Of Udayagiri: अद्भुत है इन गुफाओं की कहानी, यहां विराजमान है देश की इकलौती प्राचीन गणेश प्रतिमा - vidisha hill of udayagiri

विदिशा में उदयगिरी की पहाड़ी प्रकृति, शिल्प, संस्कृति और इतिहास का खूबसूरत मिश्रण है, 10 वीं शताब्दी में जब विदिशा परमार राजाओं के हाथ में आया तो राजा उदयादित्य के नाम से इसे उदयगिरी कहा जाने लगा. अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन इस पहाड़ी की खासियत है कि, इसमें चौथी शताब्दी की चंद्रगुप्त द्वितीय के समय की कई प्रतिमाओं के लिए गुफाओं का निर्माण किया गया. यहां 20 गुफाएं हैं, इनमें से गुफा नंबर 5 नरवराह की विशाल और भव्य प्रतिमा के कारण सबसे ज्यादा प्रभावी और आकर्षक हैं. पहाड़ी के पास ही बहती बैस नदी और पहाड़ी से चौतरफा हरियाली देखना मन को सुकून देने वाला है.

Vidisha Hill Of Udayagiri
विदिशा उदयगिरी की पहाड़ी
author img

By

Published : Sep 14, 2022, 1:58 PM IST

विदिशा। जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दूर विश्वप्रसिद्ध उदयगिरि की पहाड़ी और गुफा है. इस पहाड़ी पर ही प्रदेश की सबसे प्राचीन गणेश की प्रतिमा विराजमान है, जिसे कुछ लोग इन्हें देश की सबसे प्राचीन मूर्ति मानते हैं. यह प्रतिमा पहाड़ी के ऊपर पहाड़ी के पत्थर को काटकर ही उकेरी गई है. यहां 3 गणेश प्रतिमाएं प्रमुख हैं, इनमें से 2 बाल स्वरूप में हैं और तीसरी व्यापक स्वरूप में है. पहली मूर्ति गुफा नम्बर 6 के द्वार पर स्थित है. इसमें गणेश जी का बाल स्वरूप है.

अद्भुत है इन गुफाओं की कहानी

गणेश जी का बाल स्वरूप: दो भुजाओं बाली इस प्रतिमा के मस्तक पर ना तो मुकुट है ना ही हाथों में कुछ धारण किए हैं. दोनों हाथ आराम से पैर के घुटने पर रखे हुए हैं. दूसरी प्रतिमा गुफा नम्बर 17 के बाई ओर है. यह बाल स्वरूप में है. इस प्रतिमा में गणेश जी का बाल स्वरूप है. यह दोनों प्रतिमायें चौथी शताब्दी के अंत और पांचवी शताब्दी के प्रारंभ के समय यानी आज से लगभग 1600 वर्ष पूर्व की हैं जो उदयगिरी पहाड़ी के ऊपर पैदल मार्ग पर विराजमान है.

Vidisha ganesh idol
देश की इकलौती प्राचीन गणेश प्रतिमा

गुलाबी गणेश की प्रतिमा: इस प्रतिमा में गणेश जी के 4 हाथ हैं, इसमें वह परशु यानी फरसा, पुष्प, माला और मोदक धारण किए हुए हैं. प्रतिमा के नीचे एक भक्त हाथ जोड़े खड़ा है. यह प्रतिमा गणेश जी का व्यापक स्वरूप है, इसमे वह आराम मुद्रा में हैं. यह प्रतिमा 6वीं से 7वीं शताब्दी की है. पुरातत्वविद नारायण व्यास बताते है कि, यह देश की नहीं प्रदेश के सबसे प्राचीन गणेश हैं. इन गुफाओं का निर्माण गुप्तकाल में चौथी शताब्दी के अंत और 5वीं शताब्दी के प्रारम्भ में गुप्तवंश के राजाओं ने कराया था. चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय जिनकी राजधानी मगध थी. उन्होंने जब मालवा क्षेत्र को विजय किया तब उस विजय के उपलक्ष्य में इन गुफाओं का निर्माण उनके सेनापति वीरसेन शाब के द्वारा कराया गया था. इनका कहना है कि गुलाबी रंग इन मूर्तियों पर लगाया गया है. जिससे वह लंबे समय तक सुरक्षित रहे. इन मूर्तियों के लिये गेरू प्रिजर्वेटिव का कार्य करता है, ऐसा ही गेरू यहां मौजूद वराह प्रतिमा में भी लगाया गया था. जो आज भी मौजूद है.

Vidisha Hill Of Udayagiri
अद्भुत है इन गुफाओं की कहानी

हाथी के सिर वाली प्रतिमा: उदयगिरी से विदिशा जाते समय मुख्यमार्ग से थोड़ा अंदर गणेशपुरा में भी अतिप्राचीन गणेश मंदिर में विराजमान प्रतिमा अनूठी है, इसकी बनावट और प्रतिमा का मस्तक ही अपनी प्राचीन शैली का प्रमाण खुद देता है. इसके निर्माण की शैली प्रतिमा के सदियों पुराने होने का अहसास दिलाती है. हाथी के सिर वाली यह प्रतिमा एक चट्टान को काटकर गढ़ी गई प्रतीत होती है. खत्री परिवार ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है. खत्री परिवार के सतीश खत्री बताते हैं कि, वह इस मंदिर को ऊंचा बनवाकर प्रतिमा को चबूतरे पर स्थापित करना चाहते थे. बुजुर्गों ने मना कर दिया कि पता नही कितनी प्राचीन यह प्रतिमा है. किन शक्तियों ने इस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की होगी. गणेशपुरा भी उस बेसनगर का हिस्सा है. इसका इतिहास लगभग 1 हजार वर्ष पुराना है. पुरातत्ववेत्ता नारायण व्यास का कहना है कि, प्रतिमा पर सिंदूर लगा है इसलिए यह बताना कठिन है कि प्रतिमा कितनी प्राचीन होगी.

Vidisha Hill Of Udayagiri
अद्भुत है इन गुफाओं की कहानी

विश्व प्रसिद्ध हैं उदयगिरि की गुफाएं, राजाभोज और सम्राट अशोक से जुड़ा है इतिहास

चिरोल के पेड़ के नीचे मंदिर: इस मंदिर से थोड़ी दूर अतिप्राचीन बेसनगर में ही बैस नदी किनारे बिराजे हैं, चिरोल वाली माता मंदिर में मां गौरी संग पुत्र गणेश मंदिर के पुजारी रितेश व्यास बताते हैं कि, इस मंदिर का इतिहास ही 150 वर्ष का है. प्रतिमा कितनी पुरानी होगी यह बताना मुश्किल है. क्योंकि, यह स्वयंभू प्रतिमा है जो सपना देकर बाहर निकालीं गई थी. चिरोल के पेड़ के नीचे मंदिर बनाकर स्थापित कर दी गई थी. इसलिए यह चिरोल वाली माता मंदिर के नाम से जानी जाती है. अब यहां भव्य मंदिर बन चुका है. संभवतः देश का इकलौता मंदिर है जिसमे मां पार्वती के साथ गणेश स्थापित है.

Vidisha ganesh idol
देश की इकलौती प्राचीन गणेश प्रतिमा

विदिशा। जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर दूर विश्वप्रसिद्ध उदयगिरि की पहाड़ी और गुफा है. इस पहाड़ी पर ही प्रदेश की सबसे प्राचीन गणेश की प्रतिमा विराजमान है, जिसे कुछ लोग इन्हें देश की सबसे प्राचीन मूर्ति मानते हैं. यह प्रतिमा पहाड़ी के ऊपर पहाड़ी के पत्थर को काटकर ही उकेरी गई है. यहां 3 गणेश प्रतिमाएं प्रमुख हैं, इनमें से 2 बाल स्वरूप में हैं और तीसरी व्यापक स्वरूप में है. पहली मूर्ति गुफा नम्बर 6 के द्वार पर स्थित है. इसमें गणेश जी का बाल स्वरूप है.

अद्भुत है इन गुफाओं की कहानी

गणेश जी का बाल स्वरूप: दो भुजाओं बाली इस प्रतिमा के मस्तक पर ना तो मुकुट है ना ही हाथों में कुछ धारण किए हैं. दोनों हाथ आराम से पैर के घुटने पर रखे हुए हैं. दूसरी प्रतिमा गुफा नम्बर 17 के बाई ओर है. यह बाल स्वरूप में है. इस प्रतिमा में गणेश जी का बाल स्वरूप है. यह दोनों प्रतिमायें चौथी शताब्दी के अंत और पांचवी शताब्दी के प्रारंभ के समय यानी आज से लगभग 1600 वर्ष पूर्व की हैं जो उदयगिरी पहाड़ी के ऊपर पैदल मार्ग पर विराजमान है.

Vidisha ganesh idol
देश की इकलौती प्राचीन गणेश प्रतिमा

गुलाबी गणेश की प्रतिमा: इस प्रतिमा में गणेश जी के 4 हाथ हैं, इसमें वह परशु यानी फरसा, पुष्प, माला और मोदक धारण किए हुए हैं. प्रतिमा के नीचे एक भक्त हाथ जोड़े खड़ा है. यह प्रतिमा गणेश जी का व्यापक स्वरूप है, इसमे वह आराम मुद्रा में हैं. यह प्रतिमा 6वीं से 7वीं शताब्दी की है. पुरातत्वविद नारायण व्यास बताते है कि, यह देश की नहीं प्रदेश के सबसे प्राचीन गणेश हैं. इन गुफाओं का निर्माण गुप्तकाल में चौथी शताब्दी के अंत और 5वीं शताब्दी के प्रारम्भ में गुप्तवंश के राजाओं ने कराया था. चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय जिनकी राजधानी मगध थी. उन्होंने जब मालवा क्षेत्र को विजय किया तब उस विजय के उपलक्ष्य में इन गुफाओं का निर्माण उनके सेनापति वीरसेन शाब के द्वारा कराया गया था. इनका कहना है कि गुलाबी रंग इन मूर्तियों पर लगाया गया है. जिससे वह लंबे समय तक सुरक्षित रहे. इन मूर्तियों के लिये गेरू प्रिजर्वेटिव का कार्य करता है, ऐसा ही गेरू यहां मौजूद वराह प्रतिमा में भी लगाया गया था. जो आज भी मौजूद है.

Vidisha Hill Of Udayagiri
अद्भुत है इन गुफाओं की कहानी

हाथी के सिर वाली प्रतिमा: उदयगिरी से विदिशा जाते समय मुख्यमार्ग से थोड़ा अंदर गणेशपुरा में भी अतिप्राचीन गणेश मंदिर में विराजमान प्रतिमा अनूठी है, इसकी बनावट और प्रतिमा का मस्तक ही अपनी प्राचीन शैली का प्रमाण खुद देता है. इसके निर्माण की शैली प्रतिमा के सदियों पुराने होने का अहसास दिलाती है. हाथी के सिर वाली यह प्रतिमा एक चट्टान को काटकर गढ़ी गई प्रतीत होती है. खत्री परिवार ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है. खत्री परिवार के सतीश खत्री बताते हैं कि, वह इस मंदिर को ऊंचा बनवाकर प्रतिमा को चबूतरे पर स्थापित करना चाहते थे. बुजुर्गों ने मना कर दिया कि पता नही कितनी प्राचीन यह प्रतिमा है. किन शक्तियों ने इस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की होगी. गणेशपुरा भी उस बेसनगर का हिस्सा है. इसका इतिहास लगभग 1 हजार वर्ष पुराना है. पुरातत्ववेत्ता नारायण व्यास का कहना है कि, प्रतिमा पर सिंदूर लगा है इसलिए यह बताना कठिन है कि प्रतिमा कितनी प्राचीन होगी.

Vidisha Hill Of Udayagiri
अद्भुत है इन गुफाओं की कहानी

विश्व प्रसिद्ध हैं उदयगिरि की गुफाएं, राजाभोज और सम्राट अशोक से जुड़ा है इतिहास

चिरोल के पेड़ के नीचे मंदिर: इस मंदिर से थोड़ी दूर अतिप्राचीन बेसनगर में ही बैस नदी किनारे बिराजे हैं, चिरोल वाली माता मंदिर में मां गौरी संग पुत्र गणेश मंदिर के पुजारी रितेश व्यास बताते हैं कि, इस मंदिर का इतिहास ही 150 वर्ष का है. प्रतिमा कितनी पुरानी होगी यह बताना मुश्किल है. क्योंकि, यह स्वयंभू प्रतिमा है जो सपना देकर बाहर निकालीं गई थी. चिरोल के पेड़ के नीचे मंदिर बनाकर स्थापित कर दी गई थी. इसलिए यह चिरोल वाली माता मंदिर के नाम से जानी जाती है. अब यहां भव्य मंदिर बन चुका है. संभवतः देश का इकलौता मंदिर है जिसमे मां पार्वती के साथ गणेश स्थापित है.

Vidisha ganesh idol
देश की इकलौती प्राचीन गणेश प्रतिमा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.