सागर। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.सुमित रावत ने पदोन्नति प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि यहां पर यह स्थिति देखने को मिल रही है कि कुछ दूसरे राज्यों के लोग जो वहां के संवर्ग के प्रमाण पत्र यहां अमान्य होने के बावजूद उन प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी कर रहे हैं और पदोन्नति भी हासिल कर रहे हैं. इसके अलावा बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में करीब 600 लोगों का स्टाफ है, जिसमें सागर के आपको 50 लोग देखने को भी नहीं मिलेंगे.
स्थानीय लोगों को रिजेक्ट किया : उन्होंने कहा कि यहां ऐसा क्यों हो रहा है कि स्थानीय लोगों को रिजेक्ट किया जा रहा है. उनमें कौन से कांटे लगे हैं या कोई खामी है.अगर इसके बारे में पूछा जाता है तो बताया भी नहीं जाता है. पता चलता है कि हायर सेकेंडरी और एमबीबीएस में जिसके अच्छे प्रतिशत हैं, उसे इंटरव्यू में 0 नंबर दिया जाता है. कई आरटीआई में यह साबित हो चुका है कि जिन्होंने अच्छा इंटरव्यू दिया है, उनको शून्य नंबर दिया गया है और जो लोग छतरपुर से या इंटरव्यू लेने वाले लोगों के गांव से आते हैं, तो उनको 20 में से 20 नंबर मिल जाते हैं. इंटरव्यू की वीडियोग्राफी क्यों नहीं कराई जा रही है. कुल मिलाकर पदोन्नति प्रक्रिया में पारदर्शिता खत्म हो चुकी है और स्थानीय लोगों को दरकिनार किया जा रहा है.
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की सफाई : बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की भर्ती अधिकारी डॉ. अंजू झा का कहना है कि डॉ. सुमित रावत का कहना है कि पदोन्नति प्रक्रिया से उन्होंने अपने आपको बाहर कर दिया है. उनके बारे में कहा जाए तो 2015 में पहली बार उनकी पदोन्नति का प्रस्ताव यहां से भोपाल भेजा गया था. उस समय डॉ. सुमित रावत और डॉ. शोएब अख्तर का प्रस्ताव भोपाल गया था, लेकिन हमारे पास सहायक प्राध्यापक का एक ही पद था. जिस पर पहले से डॉ. सविता भरत जैन, जो शासकीय संवर्ग से आती थी, वहां पदस्थ थी तो ऐसे में इनको पदोन्नति का अवसर मिलने का सवाल ही नहीं उठता है. इनके प्रस्ताव दो बार भेजे गए और दोनों बार डॉ. सविता भरत जैन के कारण उन्हें अवसर नहीं मिल पाया है. 2018 के बाद पदोन्नति पर रोक लग गई थी तो काफी लोगों की पदोन्नति रुक गई थी. उसके बाद हम सीधी भर्ती से पद भर रहे हैं.