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यूनेस्को के वर्ल्ड बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल हुए पन्ना के जंगल, उत्तर वन मंडल और दक्षिण वन मंडल के क्षेत्र भी शामिल

यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट खजुराहो के बगल में ही अब यूनेस्को का वर्ल्ड बाईस्फीयर रिजर्व साइट उपलब्ध है.पन्ना के जंगलों ने एक बार फिर पन्ना को विश्व में विशेष पहचान दिलाई है.

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टाइगर
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Published : Nov 3, 2020, 3:30 AM IST

पन्ना। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट खजुराहो के बगल में ही अब यूनेस्को का वर्ल्ड बाईस्फीयर रिजर्व साइट उपलब्ध है. यूनेस्को की ओर से पन्ना और छतरपुर के करीब तीन हजार वर्ग किलोमीटर के जंगल को 12वें वर्ल्ड बायोस्फियर नेटवर्क में शामिल करने की घोषणा की गई है.

बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल हुआ पन्ना का जंगल

इसके साथ ही संबंधित क्षेत्र में कल्चरल हेरिटेज और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए विशेष प्रयास किये जायेंगे. जानकारों ने इसमें खुशी जताते हुए कहा है कि पन्ना के जंगलों ने एक बार फिर पन्ना को विश्व में विशेष पहचान दिलाई है. इससे न केवल अब टाइगर रिजर्व का नाम विश्व में ऊंचा होगा, बल्कि पन्ना के हर तरह के कल्चर को भी विश्व में जाना जाएगा.

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व की मानें तो यूनेस्को द्वारा जारी 12 वें बायोस्फीयर रिजर्व के लिए जारी डेटा के अनुसार बाईस्फीयर रिजर्व का कोर जोन 792.53 वर्ग किमी का होगा. इसका वफर क्षेत्र 989.20 वर्ग किमी और संक्रमण क्षेत्र 1 हजार 219.25 वर्ग किमी है. इस तरह पन्ना बाइस्फीयर रिजर्व के लिए चिन्हित किये गए करीब तीन क्षेत्रों के लिए करीब तीन हजार वर्ग किमी क्षेत्र जंगल को अधिसूचित किया गया है.

इस क्षेत्र में पन्ना जिले का 64.16 प्रतिशत और छतरपुर जिले का 35.84 प्रतिशत क्षेत्र शामिल है. यह बड़ी खुशी की बात है इससे पन्ना टाइगर रिजर्व के साथ-साथ पन्ना में जो ऐतिहासिक स्थल है. इनकी पहचान देश के साथ साथ अंतराष्ट्रीय स्तर पर होगी. जिसका लाभ यहां पर टूरिजम को मिलेगा और विदेशी नागरिकों को आने में आसानी भी होगी.

पन्ना। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट खजुराहो के बगल में ही अब यूनेस्को का वर्ल्ड बाईस्फीयर रिजर्व साइट उपलब्ध है. यूनेस्को की ओर से पन्ना और छतरपुर के करीब तीन हजार वर्ग किलोमीटर के जंगल को 12वें वर्ल्ड बायोस्फियर नेटवर्क में शामिल करने की घोषणा की गई है.

बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल हुआ पन्ना का जंगल

इसके साथ ही संबंधित क्षेत्र में कल्चरल हेरिटेज और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए विशेष प्रयास किये जायेंगे. जानकारों ने इसमें खुशी जताते हुए कहा है कि पन्ना के जंगलों ने एक बार फिर पन्ना को विश्व में विशेष पहचान दिलाई है. इससे न केवल अब टाइगर रिजर्व का नाम विश्व में ऊंचा होगा, बल्कि पन्ना के हर तरह के कल्चर को भी विश्व में जाना जाएगा.

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व की मानें तो यूनेस्को द्वारा जारी 12 वें बायोस्फीयर रिजर्व के लिए जारी डेटा के अनुसार बाईस्फीयर रिजर्व का कोर जोन 792.53 वर्ग किमी का होगा. इसका वफर क्षेत्र 989.20 वर्ग किमी और संक्रमण क्षेत्र 1 हजार 219.25 वर्ग किमी है. इस तरह पन्ना बाइस्फीयर रिजर्व के लिए चिन्हित किये गए करीब तीन क्षेत्रों के लिए करीब तीन हजार वर्ग किमी क्षेत्र जंगल को अधिसूचित किया गया है.

इस क्षेत्र में पन्ना जिले का 64.16 प्रतिशत और छतरपुर जिले का 35.84 प्रतिशत क्षेत्र शामिल है. यह बड़ी खुशी की बात है इससे पन्ना टाइगर रिजर्व के साथ-साथ पन्ना में जो ऐतिहासिक स्थल है. इनकी पहचान देश के साथ साथ अंतराष्ट्रीय स्तर पर होगी. जिसका लाभ यहां पर टूरिजम को मिलेगा और विदेशी नागरिकों को आने में आसानी भी होगी.

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