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एक लायसेंस पर चल रहे तीन मेडिकल, अयोग्य व्यक्ति दे रहे मरीजों को दवाई

जिले भर में संचालित ज्यादातर मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट न होकर 10वीं -12वीं पास लोग मेडिकल स्टोर को चला रहे हैं

जिले में संचालित मेडिकल स्टोर
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Published : Jul 19, 2019, 11:35 PM IST

मुरैना। जिले भर में संचालित ज्यादातर मेडिकल स्टोर्स पर फॉर्मासिस्ट न होकर 10वीं -12वीं पास लोग दवाईयां दे रहे हैं, जिससे मरीजों को गलत दवाईयां देने का अंदेशा बना रहता है. वहीं शहर में नियमों को ताक पर रखकर एक लायसेंस पर दो-दो मेडिकल भी संचालित किये जा रहे हैं.

एक लायसेंस पर चल रहे तीन मेडिकल, अयोग्य व्यक्ति दे रहे मरीजों को दवाई

नियमों की माने तो मेडिकल स्टोर के लायसेंस जारी होते समय एक फॉर्मासिस्ट को ही सरकार ने मेडिकल स्टोर का लाइसेंस जारी किया जाता है, ताकि दवा बेचते समय किसी तरह की गलती न हो, मरीजों को वही दवा मिले जो डॉक्टर ने पर्चे पर लिखी है. मेडिकल स्टोर के साइन बोर्ड पर मेडिकल स्टोर का लाइसेंस नंबर लिखा होना और लायसेंसधारी का नाम और मोबाइल नंबर लिखा होना जरूरी है.


जिले में एक मेडिकल स्टोर लायसेंस पर दो या तीन-तीन दुकाने संचालित हो रही हैं. वहीं जिनके नाम पर दुकान लायसेंस है वे इसे किराये पर देकर मुनाफा कमाने के चक्कर में कानून और नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं. इतने गंभीर मामले में अब तक कोई भी एक्शन न तो ड्रग इंस्पेक्टर ने लिया है और न ही स्वासथ्य विभाग के किसी अन्य अधिकारी ने.

मुरैना। जिले भर में संचालित ज्यादातर मेडिकल स्टोर्स पर फॉर्मासिस्ट न होकर 10वीं -12वीं पास लोग दवाईयां दे रहे हैं, जिससे मरीजों को गलत दवाईयां देने का अंदेशा बना रहता है. वहीं शहर में नियमों को ताक पर रखकर एक लायसेंस पर दो-दो मेडिकल भी संचालित किये जा रहे हैं.

एक लायसेंस पर चल रहे तीन मेडिकल, अयोग्य व्यक्ति दे रहे मरीजों को दवाई

नियमों की माने तो मेडिकल स्टोर के लायसेंस जारी होते समय एक फॉर्मासिस्ट को ही सरकार ने मेडिकल स्टोर का लाइसेंस जारी किया जाता है, ताकि दवा बेचते समय किसी तरह की गलती न हो, मरीजों को वही दवा मिले जो डॉक्टर ने पर्चे पर लिखी है. मेडिकल स्टोर के साइन बोर्ड पर मेडिकल स्टोर का लाइसेंस नंबर लिखा होना और लायसेंसधारी का नाम और मोबाइल नंबर लिखा होना जरूरी है.


जिले में एक मेडिकल स्टोर लायसेंस पर दो या तीन-तीन दुकाने संचालित हो रही हैं. वहीं जिनके नाम पर दुकान लायसेंस है वे इसे किराये पर देकर मुनाफा कमाने के चक्कर में कानून और नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं. इतने गंभीर मामले में अब तक कोई भी एक्शन न तो ड्रग इंस्पेक्टर ने लिया है और न ही स्वासथ्य विभाग के किसी अन्य अधिकारी ने.

Intro:स्वास्थ्य महकमे में पूरे जिले में अनेक गड़बड़ी आये दिन सामने आ रही है , जिसका परिणाम आम व्यक्ति जो एक तरफ तो बीमारियों का शिकार है तो दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो की लापरवाही का t हो रहा है । ऐसा ही एक और उदाहरण है जिसके तहत आम मरीजो की जान से खिलवाड़ हो रहा है । जिले भर में संचालित ज्यादातर मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट न होकर 10वी -12वी पास लोग मेडिकल स्टोर को चला रहे है , जिससे मरीजो को गलत दवाये देने का आदेश बना रहता है ।





Body:
नियमानुसार मेडिकल स्टोर के लायसेंस जारी होते समय एक फार्मासिस्ट को ही सरकार ने मेडिकल स्टोर का लाइसेंस जारी किया जाता है , ताकि दवा बेचते समय किसी तरह की गलती न हो , मरीजो को वही दवा दी जा सकेजो डॉक्टर ने पर्चे पर लौकही है । मेडिकल स्टोर के साइन बोर्ड पर मेडिकल स्टोर का लाइसेंस नम्बर लिखा हो एवं लायसेंसधारी का नाम और मोबाइल नंबर लिखा होना आवश्यक है, ताकि दुकान किसकी है , उसे कौन संचालित करता है , साथ ही कोई दुकान बिना लाइसेंस के संचालित ना हो रही है , उसका पता आसानी से लग सके ।





Conclusion:

मुरेना जिले में एक मेडिकल स्टोर लायसेंस पर दो या तीन तीन दुकाने संचालित हो रही है । दूसरी बात जिनके नाम दुकान लायसेंस है वही दुकान संचालित करें ताकि मरीज को गलत दवा देने की गलती ना हो , पर मुरेना में फार्मासिस्ट तो दुकानों पर होते ही नही है , मेडिकल स्टोर को 10वी -12 वी पास लोग संचालित कर लोगो की जान से खेल रहे है , लेकिन स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन मौन है ।
बाईट - 1 दिलीप दीक्षित - आम नागरिक
बाईट -2 डॉ विनोद गुप्ता , सीएसएचओ मुरैना

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