ETV Bharat / state

MP High Court News: नीट यूजी काउंसिल में नहीं मिला OBC को 27 परसेंट आरक्षण, HC ने जिम्मेदारों को जारी किया नोटिस

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नीट यूजी (एमबीबीएस) की काउंसलिंग में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फसदी आरक्षण नहीं दिये जाने के मामले को गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले में जिम्मेदारों को नोटिस जारी किए हैं.

MP High Court New
नीट यूजी काउंसिल में नहीं मिला OBC को 27 परसेंट आरक्षण
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 27, 2023, 4:02 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन के सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव, डीएमई, मप्र निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के सचिव, प्रवेश एवं फीस निर्धारण समिति के सचिव और मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष व सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन व ओबीसी छात्र सूर्यकांत लोधी एवं अजय प्रताप सिंह की ओर से दायर की गई. जिसमें कहा गया है कि नीट यूजी प्रवेश में हॉरिजोन्टल तथा वर्टिकल आरक्षण को नियम अनुसार लागू नहीं किया गया है.

ये हैं आरोप : आरोप है कि नीट यूजी काउंसलिंग में राज्य शासन ने व्यापक पैमाने पर धांधली की है, जिस कारण कई ओबीसी उम्मीदवारों को हक मारा गया. आवेदकों की ओर से कहा गया कि कि मप्र आरक्षण अधिनियम 1994 में विधान सभा द्वारा 14 जुलाई 23 को संशोधन करके ओबीसी की 51 फीसदी आबादी को दृष्टिगत रखते हुए 27 फीसदी आरक्षण लागू किया गया है. मप्र शासन द्वारा 10 मई 2023 को शासकीय स्कूल में कक्षा 6 से 12 तक अध्ययन करने वाले छात्रों को 5 फीसदी, नीट यूजी में प्रवेश हेतु हॉरिजोन्टल आरक्षण लागू किया गया.

आवेदकों ने ये तर्क दिया : आवेदकों की ओर से कहा गया कि काउंसलिंग के दौरान पहले अनारक्षित सीटों के स्थान पर आरक्षित सीटों को भरा गया. इस कारण आरक्षित वर्ग मे समस्त प्रतिभावान अभ्यर्थियों का उनके ही वर्ग में चयन करने से ओबीसी के कट ऑफ आफ अंक 463 तथा अनारक्षित वर्ग का कट ऑफ अंक 397 अंक निर्धारित कर दिया गया. इससे शासकीय आरक्षण की सीटों को अवैधानिक रूप से प्राइवेट मेडिकल कालेजों को आवंटित कर दी गई. बताया गया कि प्रदेश के 27 मेडिकल संस्थाओं में एमबीबीएस पाठ्यक्रम ओबीसी को 14 आरक्षण दिया गया है.

ये खबरें भी पढ़ें..

याचिका में ये भी : इतना ही नहीं, भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2021 को मेडिकल में ओबीसी को 27 तथा ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण लागू किया गया है. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन न्यायालय ने 7 जनवरी 2022 को अंतरिम आदेश पारित करके ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण को उचित मान्य किया है. सुनवाई के बाद न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक शाह ने पक्ष रखा.

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, नेशनल मेडिकल कमीशन के सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव, डीएमई, मप्र निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के सचिव, प्रवेश एवं फीस निर्धारण समिति के सचिव और मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष व सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन व ओबीसी छात्र सूर्यकांत लोधी एवं अजय प्रताप सिंह की ओर से दायर की गई. जिसमें कहा गया है कि नीट यूजी प्रवेश में हॉरिजोन्टल तथा वर्टिकल आरक्षण को नियम अनुसार लागू नहीं किया गया है.

ये हैं आरोप : आरोप है कि नीट यूजी काउंसलिंग में राज्य शासन ने व्यापक पैमाने पर धांधली की है, जिस कारण कई ओबीसी उम्मीदवारों को हक मारा गया. आवेदकों की ओर से कहा गया कि कि मप्र आरक्षण अधिनियम 1994 में विधान सभा द्वारा 14 जुलाई 23 को संशोधन करके ओबीसी की 51 फीसदी आबादी को दृष्टिगत रखते हुए 27 फीसदी आरक्षण लागू किया गया है. मप्र शासन द्वारा 10 मई 2023 को शासकीय स्कूल में कक्षा 6 से 12 तक अध्ययन करने वाले छात्रों को 5 फीसदी, नीट यूजी में प्रवेश हेतु हॉरिजोन्टल आरक्षण लागू किया गया.

आवेदकों ने ये तर्क दिया : आवेदकों की ओर से कहा गया कि काउंसलिंग के दौरान पहले अनारक्षित सीटों के स्थान पर आरक्षित सीटों को भरा गया. इस कारण आरक्षित वर्ग मे समस्त प्रतिभावान अभ्यर्थियों का उनके ही वर्ग में चयन करने से ओबीसी के कट ऑफ आफ अंक 463 तथा अनारक्षित वर्ग का कट ऑफ अंक 397 अंक निर्धारित कर दिया गया. इससे शासकीय आरक्षण की सीटों को अवैधानिक रूप से प्राइवेट मेडिकल कालेजों को आवंटित कर दी गई. बताया गया कि प्रदेश के 27 मेडिकल संस्थाओं में एमबीबीएस पाठ्यक्रम ओबीसी को 14 आरक्षण दिया गया है.

ये खबरें भी पढ़ें..

याचिका में ये भी : इतना ही नहीं, भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2021 को मेडिकल में ओबीसी को 27 तथा ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण लागू किया गया है. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन न्यायालय ने 7 जनवरी 2022 को अंतरिम आदेश पारित करके ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण को उचित मान्य किया है. सुनवाई के बाद न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक शाह ने पक्ष रखा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.