हरदा। जिले के गांव कनारदा में किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए पूरे गांव के रास्ते बंद कर दिये जाते है.ऐसा हर तीसरे साल की वैशाख मास की अमावस्या के दिन होता है. खास बात ये है कि गांव के सभी लोग पूरा गांव खाली कर के गांव के बाहर जाकर जंगल में खाना पकाते हैं और देवी देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं और गांव की सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली के लिये प्रार्थना करते हैं.
परंपरा के मुताबिक सुबह से शाम तक गांव से बाहर रहने के बाद ही एक रास्ते से सभी गांव वापस जाते हैं और रास्ते में झाड़ फूंक वाले लोगों पर छींटे मारते है. वहीं गांव के सभी प्रमुख मार्गों पर रास्ता रोककर किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.यहां ग्रामीणों के साथ-साथ उनके मवेशियों को भी खेतों में ही भूसा खिलाया जाता है.
ग्रामीणों की माने तो इस परंपरा को नहीं मानने पर अनहोनी होती है. जिसके चलते गांव में किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा और अनहोनी से बचने के लिए सामूहिक रूप में इस परंपरा को निभाया जाता है. जिसके चलते स्थानीय देवी देवताओं को प्रसन्न किया जाता है. जिसे आप और हम अंधविश्वास मान रहे है इस परंपरा को ये गांव वाले बरसों से निभा रहे हैं.