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अनहोनी से छुटकारा पाने के लिए खाली हो जाता है पूरा गांव!

हरदा जिले के गांव कनारदा में हर तीसरे साल वैशाख मास की अमावस्या के अवसर पर गांव की सुख, समृद्धि और शांति के लिए पूरे गांव के सभी रास्ते बंद कर दिए जाते हैं. लोग गांव से बाहर चले जाते हैं

अंधविश्वास में जी रहा पूरा गांव
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Published : May 5, 2019, 1:48 PM IST

हरदा। जिले के गांव कनारदा में किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए पूरे गांव के रास्ते बंद कर दिये जाते है.ऐसा हर तीसरे साल की वैशाख मास की अमावस्या के दिन होता है. खास बात ये है कि गांव के सभी लोग पूरा गांव खाली कर के गांव के बाहर जाकर जंगल में खाना पकाते हैं और देवी देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं और गांव की सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली के लिये प्रार्थना करते हैं.

अंधविश्वास में जी रहा पूरा गांव

परंपरा के मुताबिक सुबह से शाम तक गांव से बाहर रहने के बाद ही एक रास्ते से सभी गांव वापस जाते हैं और रास्ते में झाड़ फूंक वाले लोगों पर छींटे मारते है. वहीं गांव के सभी प्रमुख मार्गों पर रास्ता रोककर किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.यहां ग्रामीणों के साथ-साथ उनके मवेशियों को भी खेतों में ही भूसा खिलाया जाता है.

ग्रामीणों की माने तो इस परंपरा को नहीं मानने पर अनहोनी होती है. जिसके चलते गांव में किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा और अनहोनी से बचने के लिए सामूहिक रूप में इस परंपरा को निभाया जाता है. जिसके चलते स्थानीय देवी देवताओं को प्रसन्न किया जाता है. जिसे आप और हम अंधविश्वास मान रहे है इस परंपरा को ये गांव वाले बरसों से निभा रहे हैं.

हरदा। जिले के गांव कनारदा में किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए पूरे गांव के रास्ते बंद कर दिये जाते है.ऐसा हर तीसरे साल की वैशाख मास की अमावस्या के दिन होता है. खास बात ये है कि गांव के सभी लोग पूरा गांव खाली कर के गांव के बाहर जाकर जंगल में खाना पकाते हैं और देवी देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं और गांव की सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली के लिये प्रार्थना करते हैं.

अंधविश्वास में जी रहा पूरा गांव

परंपरा के मुताबिक सुबह से शाम तक गांव से बाहर रहने के बाद ही एक रास्ते से सभी गांव वापस जाते हैं और रास्ते में झाड़ फूंक वाले लोगों पर छींटे मारते है. वहीं गांव के सभी प्रमुख मार्गों पर रास्ता रोककर किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.यहां ग्रामीणों के साथ-साथ उनके मवेशियों को भी खेतों में ही भूसा खिलाया जाता है.

ग्रामीणों की माने तो इस परंपरा को नहीं मानने पर अनहोनी होती है. जिसके चलते गांव में किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा और अनहोनी से बचने के लिए सामूहिक रूप में इस परंपरा को निभाया जाता है. जिसके चलते स्थानीय देवी देवताओं को प्रसन्न किया जाता है. जिसे आप और हम अंधविश्वास मान रहे है इस परंपरा को ये गांव वाले बरसों से निभा रहे हैं.

Intro:हरदा जिले के ग्राम कनारदा में हर तीसरे साल वैशाख मास की अमावस्या के अवसर पर गांव की सुख समृद्धि और सुख शांति और किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचने के लिए पूरे गांव के सभी रास्ते बंद कर दिए जाते हैं।साथ गांव में रहने वाले सभी जाति वर्ग के लोग गांव के बाहर खेतों में पेड़ की छाया में जाकर भोजन पकाते है।वही स्थानीय देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर उनसे पूरे गांव की सुख शांति ,सम्रद्धि और खुशहाली के लिए मिन्नतें की जाती है।
पूरे गांव में रास्ता बंद कर पूरे गांव के लोग परिवार सहित घर से बाहर आकर खाना बनाकर स्थानीय देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर वर्षो से चली आ रही परम्परा का निर्वहन करते हैं।वही गांव के सभी प्रमुख मार्गों पर रास्ता रोककर किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाता है।


Body:हरदा जिले के कई गांवों में इस तरह की मान्यताओं का पालन किया जा रहा है।ग्राम कनारदा में ग्रामीणों के द्वारा वर्षो से चली आ रही परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है।जिसमे गांव के हनुमान मंदिर जिसे स्थानीय भाषा मे खेड़ापति कहा जाता है मेघनाथ बाबा सहित सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर उन्हें खेतों में बनाए गए भोजन का भोग भी लगता है।इस दौरान ग्रामीणों के द्वारा गांव से होकर गुजरने वाले सभी रास्तों को चौबीस घंटों के लिए बंद कर दिया जाता है।यहां ग्रामीणों के साथ साथ उनके मवेशियों को भी खेतों में ही भूसा खिलाया जाता है।इस गांव में ब्राह्मण,राजपूत,कुर्मी,सहित अन्य जातियों के साथ साथ मुस्लिम परिवारों के द्वारा भी गांव की इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है।


Conclusion:ग्रामीणों की माने तो इस परंपरा को नही मानने पर अनहोनी होती है।जिसके चलते गांव में किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा व अनहोनी से बचने के लिए सामूहिक रूप में हमारे बुजुर्गों के बताए अनुसार इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है।इस परंपरा को मानने से पूरे गांव की सुरक्षा होती है।जिसके चलते स्थानीय देवी देवताओं को प्रसन्न किया जाता है ।
बाइट 1-रजनी ,ग्रामीण महिला
बाइट 2-शुभम कलम ,ग्रामीण
बाइट 3 -रामभरोस ,ग्रामीण
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