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इस 'सुनहरी' मछली से मछुआरे की चमक गई किस्मत, चुटकी में कमा लिए लाखों रुपये - THE SPIRIT OF THE KACHIDI FESTIVAL

कचिड़ी को उसके दुर्लभ होने और महंगी कीमत पर बिकने की वजह से गोल्डन फिश कहा जाता है. यह मछली दवा बनाने के काम में आते हैं.

golden fish
प्रतीकात्मक तस्वीर (AFP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 13, 2025, 3:15 PM IST

अच्युतपुरम: आंध्र प्रदेश में मुछआरों की किस्मत चमक गई. समुद्र में मछली पकड़ने गए मछुआरों के जाल में एक जोड़ी गोल्डन फिश फंस गई. ये दुर्लभ प्रजाति कचिड़ी (Kachidi) की मछली थी. इसके साथ अनकापल्ले जिले के पुदीमदका इस साल 'कचिड़ी' मछली के मिलते ही उत्सव की धूम काफी बढ़ गई है.

इस मछली को लोग सौभाग्य के प्रतीक के तौर पर मानते हैं. मछुआरे ने इसे बाजार में ले जाकर बेचा तो उन्हें 1 लाख 40 हजार रुपये की मोटी रकम मिल गई.

बता दें कि, व्यापारियों ने इस दुर्लभ प्रजाति की गोल्डन मछली को खरीदने में काफी दिलचस्पी दिखाई. पुदीमदका के एक स्थानीय व्यापारी ने इस मछली को ऊंची कीमत देकर खरीद लिया. वहीं, मछली को कोलकाता में निर्यात करने की योजना पहले से ही चल रही है, जहां इसकी कीमत काफी अधिक है.

अपने विशिष्ट सुनहरे रंग के लिए जानी जाने वाली नर कचिड़ी मछली को अक्सर 'गोल्डन फिश' कहा जाता है. अपने बेहतरीन स्वाद के अलावा, माना जाता है कि इनमें औषधीय गुण भी होते हैं, जो इनके आकर्षण को और बढ़ा देते हैं. किस्मत मछुआरों पर मेहरबान है, इसलिए गोल्डन फिश के मिलते ही छप्पर फाड़ कर पैसा बरस रहा है. इस अप्रत्याशित लाभ ने स्थानीय मछुआरा समुदाय में खुशी की लहर ला दी है, जिससे उत्सव की शुरुआत हो गई है.

ये भी पढ़ें: कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचा सकता है मछली का तेल, रिसर्च में हुआ खुलासा

अच्युतपुरम: आंध्र प्रदेश में मुछआरों की किस्मत चमक गई. समुद्र में मछली पकड़ने गए मछुआरों के जाल में एक जोड़ी गोल्डन फिश फंस गई. ये दुर्लभ प्रजाति कचिड़ी (Kachidi) की मछली थी. इसके साथ अनकापल्ले जिले के पुदीमदका इस साल 'कचिड़ी' मछली के मिलते ही उत्सव की धूम काफी बढ़ गई है.

इस मछली को लोग सौभाग्य के प्रतीक के तौर पर मानते हैं. मछुआरे ने इसे बाजार में ले जाकर बेचा तो उन्हें 1 लाख 40 हजार रुपये की मोटी रकम मिल गई.

बता दें कि, व्यापारियों ने इस दुर्लभ प्रजाति की गोल्डन मछली को खरीदने में काफी दिलचस्पी दिखाई. पुदीमदका के एक स्थानीय व्यापारी ने इस मछली को ऊंची कीमत देकर खरीद लिया. वहीं, मछली को कोलकाता में निर्यात करने की योजना पहले से ही चल रही है, जहां इसकी कीमत काफी अधिक है.

अपने विशिष्ट सुनहरे रंग के लिए जानी जाने वाली नर कचिड़ी मछली को अक्सर 'गोल्डन फिश' कहा जाता है. अपने बेहतरीन स्वाद के अलावा, माना जाता है कि इनमें औषधीय गुण भी होते हैं, जो इनके आकर्षण को और बढ़ा देते हैं. किस्मत मछुआरों पर मेहरबान है, इसलिए गोल्डन फिश के मिलते ही छप्पर फाड़ कर पैसा बरस रहा है. इस अप्रत्याशित लाभ ने स्थानीय मछुआरा समुदाय में खुशी की लहर ला दी है, जिससे उत्सव की शुरुआत हो गई है.

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