भोपाल। कोविड से पीड़ित मरीजों के इलाज में अभी तक जरूरी बताए जा रहे रेमडिसिवर इंजेक्शन (Remedicivir Injection) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization, WHO) ने प्रीक्वालीफिकेशन लिस्ट (Prequalification list) से बाहर कर दिया है. इससे साफ है कि डब्ल्यूएचओ इलाज के दिशा निर्देशों के तहत कोविड-19 में इस दवा को लेने की सलाह नहीं देता है. भोपाल टीवी हॉस्पिटल (Bhopal TV Hospital) की इंचार्ज डॉक्टर मनोज वर्मा ने कहा है कि यह इंजेक्शन कोरोना के इलाज में इतना डिफेक्टिव नहीं है, जिससे यह कहा जा सके कि जिसे यह इंजेक्शन लग जाएगा वह कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित हो जाएगा.
अभी तक क्यों जरूरी बताया जा रहा था इंजेक्शन
रेमदेसीविर को इबोला (Ebola) के इलाज के लिए विकसित किया गया था. इसमें यह दावा किया गया था कि यह इंजेक्शन उस एन्जाइम को ब्लॉक करती है जो कोरोना की कॉपी बनाने में मदद करता है. इससे यह वायरस शरीर में फेल नहीं पाता. कोविड-19 से पीड़ित मरीजों के लिए रेमडिसिवर इंजेक्शन को बेहद जरूरी माना जाने लगा. यही वजह है कि राजधानी भोपाल सहित लगभग सभी राज्यों में इस इंजेक्शन की डिमांड तेजी से बढ़ी है. इंजेक्शन की कमी को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश में सरकारी स्तर पर इंजेक्शन की बड़े पैमाने पर खरीद जारी है. इस बीच अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साफ कर दिया है कि संगठन कोरोना के इलाज में इसके उपयोग की सलाह नहीं देता है. भोपाल में टीवी हॉस्पिटल के प्रभारी सीनियर डॉक्टर मनोज वर्मा कहते है कि कोरोना के इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन का इफेक्ट इतना अच्छा नहीं है कि यह कहा जा सके कि जिसे यह लग जाएगा.
रेमडेसिविर इंजेक्शन केस में आया नया मोड़, गड़बड़ी पर पर्दा डालने की कोशिश
वायरस लोड कम करता है रेमडेसिविर इंजेक्शन
वह पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगा, लेकिन जनता और मेडिकल क्षेत्र में इसको लेकर पैनिक क्रिएट हुआ है और यह माना जाने लगा कि कोरोना से प्रभावित किसी व्यक्ति की जान सिर्फ यह इंजेक्शन लगने से ही बच सकती है और जिसे यह इंजेक्शन नहीं मिलेगा, उसकी जान चली जाएगी. जबकि यह इंजेक्शन सिर्फ वायरस लोड ही कम करता है. साथ ही हर मरीज को इसकी जरूरत होती ही नहीं है.