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लॉकडाउन में टेली हेल्थ सेवा मरीजों के लिए साबित हो रही संजीवनी

कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया है, जिसके चलते सबकुछ ठप पड़ गया है, छोटे अस्पताल बंद पड़े हैं और बड़े अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा है. ऐसे में सामान्य मरीजों का हाल बेहाल है. टेलीकंसल्टेशन के जरिए सामान्य मरीजों का इलाज किया जा रहा है, टेली हेल्थ सेवा तालाबंदी के दौर में सामान्य मरीजों के लिए संजीवनी साबित हो रही है.

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Published : May 22, 2020, 9:19 AM IST

भोपाल। एक छोटा सा वायरस पूरी दुनिया को घुटनों पर ला दिया है, जिसके आगे बड़ी से बड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था भी पानी भर रही है और चाहकर भी कोरोना के बढ़ते संक्रमण को नहीं रोक पा रहा है, इसी संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया है, जिसके चलते सबकुछ ठप पड़ गया है, छोटे अस्पताल बंद पड़े हैं और बड़े अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा है. ऐसे में सामान्य मरीजों का हाल बेहाल है, जिसके चलते अब टेलीकंसल्टेशन के जरिए सामान्य मरीजों को चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.

बंद पड़े छोटे अस्पताल

इन क्लीनिकों के बंद होने की वजह से उन मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है, जो छोटी बीमारियों से ग्रसित रहते हैं. पहले ये मरीज अपने आसपास स्थित क्लीनिक के डॉक्टर से इलाज कराते थे, डॉक्टरों को दिखाने के बाद उनकी लिखी दवाइएं लिया करते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते तमाम क्लीनिक पर ताले लटके हैं, कोरोना फैलने के डर की वजह से डॉक्टर क्लीनिक नहीं खोल रहे हैं तो अस्पतालों में भी बुरा हाल है और ये स्थिति राजधानी भोपाल में भी देखने को मिल रही है.

40-50 प्रतिशत अस्पताल हैं बंद

राजधानी भोपाल के हालातों के बारे में नर्सिंग होम एसोसिएशन के सदस्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने बताया कि ऐसे क्लीनिक जिन्हें एक ही डॉक्टर चलाते थे. वो अभी बंद हैं. शहर के कंटेनमेंट क्षेत्रों में जो क्लीनिक थे, उन्हें भी बंद रखा गया है. ऐसे क्लीनिक के डॉक्टर अपने मरीजों को फोन के जरिए सलाह दे रहे हैं. शहर में 40-50% छोटे क्लीनिक या अस्पताल इस समय बंद हैं. हालांकि शहर के नर्सिंग होम और मध्यम निजी अस्पताल इस समय खुले हुए हैं. पर वहां भी स्टाफ की कमी है. 40% स्टॉफ के साथ ही इस समय अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है. अस्पतालों के संचालन में सबसे बड़ी दिक्कत स्टाफ और प्रोटेक्टिव गियर्स की कमी होना है.

टेलीकंसल्टेशन साबित हो रहा संजीवनी

लॉकडाउन के चौथे चरण के साथ ही कुछ रियायतें मिलने लगी हैं, जिसके चलते अब शहर के 20% छोटे क्लीनिक भी खुलने लगे हैं. इन क्लीनिकों में डॉक्टर कुछ समय के लिए अपने मरीजों की जांच करने के लिए बैठ रहे हैं, ताकि इमरजेंसी वाले मरीजों को समय पर इलाज किया जा सके. इसके अलावा टेलीकंसल्टेशन के जरिए डॉक्टर अपने मरीजों को सलाह दे रहे हैं. इसके बाद भी अभी तक ज्यादातर डॉक्टर अपने क्लीनिक नहीं खोले हैं, अस्पतालों में भी स्टाफ की कमी लगातार देखने को मिल रही है.

शुरू की गई टेली हेल्थ सेवा

फिलहाल जो आदेश हुए हैं, उसके मुताबिक जो कंटेन्मेंट एरिया है, उनको छोड़कर दूसरे क्षेत्रों में अस्पताल और क्लीनिक्स खोले जा सकते हैं. भोपाल में मरीजों के लिए टेली हेल्थ सेवा भी शुरू की गई है, जिससे किसी व्यक्ति को अगर डॉक्टरी सलाह की जरूरत हो तो वो हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके परामर्श ले सकता है. फिर भी कुछ मरीजों की कई बार हालत ऐसे हो जाते हैं कि उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत होती है, ऐसे में अपने आसपास की क्लीनिक बंद होना मरीजों के लिए बड़ा मुश्किल भरा है.

भोपाल। एक छोटा सा वायरस पूरी दुनिया को घुटनों पर ला दिया है, जिसके आगे बड़ी से बड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था भी पानी भर रही है और चाहकर भी कोरोना के बढ़ते संक्रमण को नहीं रोक पा रहा है, इसी संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया है, जिसके चलते सबकुछ ठप पड़ गया है, छोटे अस्पताल बंद पड़े हैं और बड़े अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा है. ऐसे में सामान्य मरीजों का हाल बेहाल है, जिसके चलते अब टेलीकंसल्टेशन के जरिए सामान्य मरीजों को चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.

बंद पड़े छोटे अस्पताल

इन क्लीनिकों के बंद होने की वजह से उन मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है, जो छोटी बीमारियों से ग्रसित रहते हैं. पहले ये मरीज अपने आसपास स्थित क्लीनिक के डॉक्टर से इलाज कराते थे, डॉक्टरों को दिखाने के बाद उनकी लिखी दवाइएं लिया करते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते तमाम क्लीनिक पर ताले लटके हैं, कोरोना फैलने के डर की वजह से डॉक्टर क्लीनिक नहीं खोल रहे हैं तो अस्पतालों में भी बुरा हाल है और ये स्थिति राजधानी भोपाल में भी देखने को मिल रही है.

40-50 प्रतिशत अस्पताल हैं बंद

राजधानी भोपाल के हालातों के बारे में नर्सिंग होम एसोसिएशन के सदस्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने बताया कि ऐसे क्लीनिक जिन्हें एक ही डॉक्टर चलाते थे. वो अभी बंद हैं. शहर के कंटेनमेंट क्षेत्रों में जो क्लीनिक थे, उन्हें भी बंद रखा गया है. ऐसे क्लीनिक के डॉक्टर अपने मरीजों को फोन के जरिए सलाह दे रहे हैं. शहर में 40-50% छोटे क्लीनिक या अस्पताल इस समय बंद हैं. हालांकि शहर के नर्सिंग होम और मध्यम निजी अस्पताल इस समय खुले हुए हैं. पर वहां भी स्टाफ की कमी है. 40% स्टॉफ के साथ ही इस समय अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है. अस्पतालों के संचालन में सबसे बड़ी दिक्कत स्टाफ और प्रोटेक्टिव गियर्स की कमी होना है.

टेलीकंसल्टेशन साबित हो रहा संजीवनी

लॉकडाउन के चौथे चरण के साथ ही कुछ रियायतें मिलने लगी हैं, जिसके चलते अब शहर के 20% छोटे क्लीनिक भी खुलने लगे हैं. इन क्लीनिकों में डॉक्टर कुछ समय के लिए अपने मरीजों की जांच करने के लिए बैठ रहे हैं, ताकि इमरजेंसी वाले मरीजों को समय पर इलाज किया जा सके. इसके अलावा टेलीकंसल्टेशन के जरिए डॉक्टर अपने मरीजों को सलाह दे रहे हैं. इसके बाद भी अभी तक ज्यादातर डॉक्टर अपने क्लीनिक नहीं खोले हैं, अस्पतालों में भी स्टाफ की कमी लगातार देखने को मिल रही है.

शुरू की गई टेली हेल्थ सेवा

फिलहाल जो आदेश हुए हैं, उसके मुताबिक जो कंटेन्मेंट एरिया है, उनको छोड़कर दूसरे क्षेत्रों में अस्पताल और क्लीनिक्स खोले जा सकते हैं. भोपाल में मरीजों के लिए टेली हेल्थ सेवा भी शुरू की गई है, जिससे किसी व्यक्ति को अगर डॉक्टरी सलाह की जरूरत हो तो वो हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके परामर्श ले सकता है. फिर भी कुछ मरीजों की कई बार हालत ऐसे हो जाते हैं कि उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत होती है, ऐसे में अपने आसपास की क्लीनिक बंद होना मरीजों के लिए बड़ा मुश्किल भरा है.

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