भोपाल। केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर लंबे समय से मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच विवाद की स्थिति बनी रही है. लेकिन ये मसला अब सुलझ चुका है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने MCM (750 मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी देने की सहमति जताई है. अब उत्तर प्रदेश से मध्यप्रदेश को 750 अरब लीटर पानी मिलेगा. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में इस फैसले पर मुहर लगेगी.
- जल्द सुलझेगा विवाद-मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि केन बेतवा लिंक परियोजना से जल आवंटन में मध्यप्रदेश का अहित नहीं होने देंगे. साथ ही उत्तरप्रदेश के हितों की भी पूरी रक्षा की जाएगी. इस संबंध में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ संयुक्त बातचीत हुई है. और इसे लेकर दोनों मुख्यमंत्री MoU पर साइन करेंगे.
- दूसरे राज्यों के हितों का रखा जाएगा ध्यान- सीएम
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश हमेशा से दूसरे राज्यों के हितों की परवाह करता रहा है. लेकिन प्रदेश का अहित न हो इसका भी पूरा ध्यान रखा जाएगा. केन-बेतवा परियोजना से मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश को 700 एमसीएम पानी देने के लिए सहमत है. शीघ्र ही केंद्रीय मंत्री शेखावत के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बातचीत कर योजना के गतिरोध को दूर किया जाएगा.
- केन-बेतवा लिंक परियोजना पर मध्यप्रदेश का पक्ष
मध्यप्रदेश की दौधन बांध पर 6590 एम.सी.एम जल उपलब्धता के आधार पर बांध से उत्तरप्रदेश के लिए 700 एम.सी.एम जल सभी प्रयोजनों के लिए लिंक केनाल सहित नॉन मानसून के दौरान आवंटित करने पर सहमति है. लिंक केनाल से उत्तरप्रदेश को प्रदत्त जल को शामिल करते हुए उत्तरप्रदेश को आवंटित 1700 एम.सी.एम जल की एकाउंटिग बरियारपुर पिकअप वीयर पर की जाए. शेष संपूर्ण जल 2733 एम.सी.एम के उपयोग करने के लिए मध्यप्रदेश स्वतंत्र रहेगा.
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- उत्तरप्रदेश सरकार की क्या थी मांग ?
केन-बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत उत्तरप्रदेश गैर मानसून अवधि में दौधन बांध से नवम्बर से मई माह तक 935 एम.सी.एम पानी चाहता है.
- मध्यप्रदेश का क्या था तर्क ?
केन-बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत समस्त तकनीकी एवं जल योजना डिजाईन केन्द्रीय जल आयोग द्वारा दौधन बांध पर 6590 एम.सी.एम जल उपलब्धता के आधार पर की गई है. सभी अनुमोदन इसी आधार पर किए गए हैं. यदि दौधन बांध पर जल उपलब्धता 6590 एम.सी.एम के स्थान पर 6188 एम.सी.एम मानी जाती है. उस स्थिति में भविष्य में मध्यप्रदेश को लगभग 400 एम.सी.एम जल की हानि होगी. साथ ही यदि 750 एम.सी.एम जल दौधन बांध से नॉन मानसून सीजन में उत्तरप्रदेश को उपलब्ध कराया जाता है, उस स्थिति में रंगवान बांध, अंतरिम जलग्रहण क्षेत्र और बरियारपुर स्टोरेज में लगभग 200 एम.सी.एम जल उत्तरप्रदेश को अतिरिक्त रूप से प्राप्त होगा. उत्तरप्रदेश को कुल आवंटित 1700 एम.सी.एम जल मौजूदा केन सिस्टम से बरियारपुर पर दिया जाना मध्यप्रदेश के हित में होगा.
- क्यों हो रहा था विवाद ?
केन-बेतवा लिंक परियोजना से उत्तर प्रदेश रबी सीजन के लिए 930 एमसीएम पानी मांग रहा है. जबकि मध्य प्रदेश 2005 में हुए अनुबंध की शर्तों के तहत 700 एमसीएम पानी ही देना चाहता था. इसी को लेकर दोनों राज्यों में लंबे समय से विवाद हो रहा था. इसे लेकर दोनों राज्यों में कई बार बात हुई लेकिन इसका हल नहीं निकल सका. जिसके बाद अब केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंगद्र सिंह शेखावत ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री से बात की और मामले का हल निकाला. अब इसे लेकर दोनों मुख्यमंत्री राजी हो गए हैं.
- मध्य प्रदेश सरकार को हो रहा था घाटा
केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर वर्ष 2009 में भारत सरकार ने केन-बेतवा लिंक बहुउद्देशीय परियोजना की शुरूआत की थी. इसके लिए बजट 90:10 के अनुपात में केंद्र और संबंधित राज्यों को देने की बात कही गई थी. परियोजना मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिलों में स्थित है. इसे पूरा करने से होने वाली हानि जैसे भूमि अधिग्रहण, जंगल क्षति, राजस्व भूमि की क्षति, प्रतिपूरक वनीकरण के लिए गैर वनभूमि की व्यवस्था, जनजातीय परिवारों का विस्थापन और पुनर्वास की व्यवस्था को लेकर मध्य प्रदेश सरकार को इसका वहन करना पड़ रहा है. इसी को लेकर लंबे समय से विवाद हो रहा है.
- 'केन बेतवा लिंक परियोजना'
केन बेतवा लिंक परियोजना समझौता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विजन से प्रभावित हैं. जिसमें जहां की नदियों में ज्यादा पानी है. उससे कम पानी और सूखा प्रभावित इलाकों में पानी लाया जाएगा. इस परियोजना में दाउधन बांध बनाकर केन से बेतवा नदी तक पानी लाया जाएगा. वहीं दोनों नदियों के बीच एक नहर भी बनाया जाएगा. इसमें लोवर ORR प्रोजेक्ट भी है. जिसमें कोथा बैराज और बीणा कॉम्पलेक्स का बहुउ्द्देशीय प्रोजेक्ट हैं. जिससे सालाना करीब 10.62 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी. वहीं 62 लाख लोगों को पीने के पानी के साथ 103 मेगावट हाइड्रोपावर भी पैदा किया जाएगा. जिससे पानी की कमी को पूरा किया जा सकेगा.