भोपाल। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव और नगरीय चुनाव का माहौल गर्माया हुआ है और दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा-कांग्रेस एक दूसरे को घेरने में लगे हैं. मगर जनता के असल मुद्दे सियासी संग्राम से बाहर ही नजर आ रहे हैं. प्रदेश में लगभग डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा के चुनाव से पहले पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. यही कारण है कि इन चुनावों में हमलों की धार लगातार तेज होती जा रही है. मुद्दे भी लगातार बदल रहे हैं, आमतौर पर पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में सड़क, बिजली, पानी, किसानी से जुड़े मुद्दो पर चर्चा होती है, मगर इस बार ऐसा नहीं हैं.
एक-दूसरे को घेरने में जुटे दोनों दल: बीते कुछ दिनों में राजनीतिक दलों ने अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की और लगभग एक सप्ताह तक दोनों ही दल एक दूसरे को इसी मुद्दे पर घेरने की कोशिश करते रहे. ओबीसी को हक न मिलने के लिए दोनों ने एक दूसरे को दोषी ठहराने में कसर नहीं छोड़ी. इसी बीच बीच 'सच्चा हिंदू कौन' नया मुद्दा जोर पकड़ गया. कमलनाथ ने खुद को हिंदू बताया और उस पर गर्व होने की बात कही, तो दूसरी ओर बीजेपी ने कमलनाथ को चुनावी हिंदू करार दे दिया. कुल मिलाकर देखा जाए तो आम जनता से जुड़े मुद्दे बिजली, पानी, महंगाई पर कोई चर्चा नहीं हो रही है. बल्कि आरक्षण और असली हिंदू कौन जैसे मुद्दों पर वार पलटवार का दौर चल रहा है. आने वाले दिनों में कौन सा नया मुद्दा सियासी हथियार बन जाए, इसका अंदाजा लगाना आसान नहीं है.
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राजनीति के जानकारों की मानें तो दोनों दलों के पास जनता के हित में किए गए कामकाज का कोई लेखा-जोखा नहीं है. जिसके बल पर वे जनता को उसका हितैषी बता सकें. लिहाजा वे ऐसे मुद्दों को ज्यादा हवा दे रहे हैं, जो भावनात्मक तौर पर अहम हैं.
इनपुट - आईएएनएस