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राजधानी में बंदरों और आवारा कुत्तों का आतंक, हर दिन बढ़ रहे मामलों ने खोली प्रशासन के दावों की पोल

राजधानी में बंदर और आवारा कुत्ते लोगों को पहुंचा रहे अस्पताल, हर दिन दर्जनों लोग हो रहे शिकार. सीएमओ नीरज मित्तल ने कहा कि अगर किसी को कुत्ता या बंदर काट ले तो वे उसी समय रेबिज का टीका लगवाए.

राजधानी में बंदरों और आवारा कुत्तों का आतंक
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Published : Jul 24, 2019, 6:49 PM IST

शिमला: शहर के लोगों को लगातार बंदरों और कुत्तों के काटने के कारण अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. शहर में बंदरों और कुत्तों के आतंक से लोगों का परेशानी का सामना करना पड़ता है. अस्पतालों में रोजाना कुत्तों व बंदरों के काटे लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.

बता दें कि बुधवार को डीडीयू अस्पताल में कुत्ते के काटने के 12 और बंदरों के काटने के 7 मामले आए हैं. शहर में आवारा कुत्तों का एक झुंड बना हुआ हैं. यहां तक की इनमें कुछ पागल कुत्ते भी बताए जा रहे हैं. वहीं बंदरों ने भी लोगों का रास्ते से गुजरना मुश्किल कर दिया है. बंदरों के हमले से सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं.

जुलाई महीने की अगर बात की जाए तो कुत्तों के काटने से 122 लोग अस्पताल में उपचार करवाने आए हैं. वहीं बंदरों के काटने के 94 मामले सामने आए. लोगों ने कई बार नगर निगम प्रशासन से भी मांग की है कि आवारा कुत्तों से बचने के लिए कोई विशेष नीती बनाई जाए.

नगर निगम प्रशासन वैसे तो कुत्तों से निजात दिलाने के लिए एक से बढ़कर एक दावा करता है, लेकिन अस्पतालों में कुत्तों और बंदरों के काटने के मामले पहुंचने से प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है.

सीएमओ नीरज मित्तल का कहना है कि डीडीयू अस्पताल में कुत्ते और बंदरों के काटने के रोजाना मामले सामने आ रहे हैं. उन्होंने आम जनता को सावधानी बरतने की सलाह देते हुए कहा कि अगर किसी को कुत्ता या बंदर काट ले तो वे उसी समय रेबिज का टीका लगवाए. उन्होंने कहा कि अगर कुत्ते ने ज्यादा काटा हो तो टैटनस का टीका लगवाना जरूरी है.

ये भी पढ़े: मंडी में पहाड़ियां बजा रही खतरे की घंटी, हणोगी में खिसक रही है पहाड़ी

शिमला: शहर के लोगों को लगातार बंदरों और कुत्तों के काटने के कारण अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. शहर में बंदरों और कुत्तों के आतंक से लोगों का परेशानी का सामना करना पड़ता है. अस्पतालों में रोजाना कुत्तों व बंदरों के काटे लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.

बता दें कि बुधवार को डीडीयू अस्पताल में कुत्ते के काटने के 12 और बंदरों के काटने के 7 मामले आए हैं. शहर में आवारा कुत्तों का एक झुंड बना हुआ हैं. यहां तक की इनमें कुछ पागल कुत्ते भी बताए जा रहे हैं. वहीं बंदरों ने भी लोगों का रास्ते से गुजरना मुश्किल कर दिया है. बंदरों के हमले से सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं.

जुलाई महीने की अगर बात की जाए तो कुत्तों के काटने से 122 लोग अस्पताल में उपचार करवाने आए हैं. वहीं बंदरों के काटने के 94 मामले सामने आए. लोगों ने कई बार नगर निगम प्रशासन से भी मांग की है कि आवारा कुत्तों से बचने के लिए कोई विशेष नीती बनाई जाए.

नगर निगम प्रशासन वैसे तो कुत्तों से निजात दिलाने के लिए एक से बढ़कर एक दावा करता है, लेकिन अस्पतालों में कुत्तों और बंदरों के काटने के मामले पहुंचने से प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है.

सीएमओ नीरज मित्तल का कहना है कि डीडीयू अस्पताल में कुत्ते और बंदरों के काटने के रोजाना मामले सामने आ रहे हैं. उन्होंने आम जनता को सावधानी बरतने की सलाह देते हुए कहा कि अगर किसी को कुत्ता या बंदर काट ले तो वे उसी समय रेबिज का टीका लगवाए. उन्होंने कहा कि अगर कुत्ते ने ज्यादा काटा हो तो टैटनस का टीका लगवाना जरूरी है.

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Intro:शहर में कुत्ते ने 12 और बंदरों ने काटे 7 लोग

डी.डी.यू. अस्पताल में एक ही दिन पहुंचे 19 लोग

शिमला।

शिमला शहर में कुत्तों और बंदरों का आतंक अभी भी थमता नजर नहीं आ रहा है। कुछ ही समय हुआ था, जब कुत्तों और बंदरों के आतंक से लोगों को निजात मिल गई थी, लेकिन अब फिर से शहर में कुत्ते ने लोगों का जिना हाराम कर दिया है। बुधवार को डी.डी.यू. अस्पताल में कुत्ते के काटने से 12 और बंदरों के काटने के 7 मामले आए है। यह मामले शहर के जगह जगह से आए है। चिकित्सक ने इनका उपचार करना शुरू कर दिया है।




Body:शहर में अवारा कुत्तों का एक झुंड बना हुआ है। जो कि छोटे बच्चे व बुजुर्ग लोगों को देखकर एकदम से झपट पड़ते है। यहां तक की इनमें कुछ पागल कुत्ते भी बताए जा रहे है। वहीं बंदरों ने भी लोगों का रास्ते से गुजरना बंद कर दिया है। जैसे ही लोग रास्ते से गुजरते है तो बंदर एकदम से झपट पड़ते है। खासकर बंदर छोटे बच्चों को देखकर झपटते है। जुलाई महीने की अगर बात की जाए तो कुत्ते के काटने के 122 लोग अस्पताल में उपचार करवाने आए है। वहीं बंदरों के काटने के 94 लोग आए है। आजकल लोगों को रास्ते से गुजरते समय हाथ में डंडे लेकर जाना पड़ता है। हैरत तो यह है कि कुत्तों को पकडऩे के लिए प्रशासन की भी पोल खुलती नजर आ रही है। लोगों ने कई बार नगर निगम प्रशासन से मांग की है कि अवारा कुत्तों से बचने के लिए कोई विश्ेाष निती बनाई जाए। ताकि बच्चों को सही रूप से स्कूल भेजा जाए। बच्चों को स्कूल भेजने में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहर के स्मीट्री, संजौली, चंलौठी, ढली, नवबाहर, पुराना बस स्टैंड आदि में भी कुत्ते का आतंक है। नगर निगम प्रशासन वैसे तो कुत्तों से निजात दिलाने के लिए एक से बढ़कर एक दावा करता है, लेकिन यहां पर प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है। इस स्थिति में लोगों को खुद ही सावधानी वरतनी होगी।



आई.जी.एम.सी. में बंदर के काटने का आया एक मामला

आई.जी.एम.सी. में बंदर के काटने का एक मामला आया है। लोग ज्यादातर डी.डी.यू. अस्पताल जा रहे है। डी.डी.यू. में तो कुत्ते और बंदरों के काटने के रोजाना ही मामले आ रहे है।



Conclusion:क्या कहते है चिकित्सक

सी.एम.ओ. नीरज मितल का कहना है कि डी.डी.यू. अस्पताल में कुत्ते और बंदरों के काटने के रोजाना मामले आ रहे है। बुधवार को अस्पताल में 12 कुत्ते के काटने और 7 बंदरों के काटने के आए है। ध्यान दे कि जैसे ही किसी को कुत्ता या बंदर काटता है उसी समय उसे अस्पताल में चिकित्सकों को दिखाए। अगर कुत्ते ने कम काटा हो तो रेबिज का टीका लगवाए। अगर कुत्ते ने ज्यादा काटा हो तो टैटनस का टीका लगवाना न भूले। वैसे ही बंदरों के काटने पर भी समय से अस्पताल आए। हो सके तो जैसे ही जानवर काटता है तो उसे साफ पानी से धो ले। उन्होंने बताया कि कुत्ते के काटने पर घबराने की कोई जरूरत नहीं है। अस्पताल में कुत्ते के काटने पर इलाज करवाने के लिए पूरे इंतजाम है।



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