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ऑनलाइन होगी प्रदेश के 8 लाख छात्रों की परीक्षाएं, शिक्षा विभाग को जारी किए गए निर्देश - Focus on online study

छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा करवाने के आदेश सरकार की ओर से शिक्षा विभाग को जारी कर दिए गए हैं. आदेशों के तहत कोविड के संकट के बीच में आठ लाख छात्रों की ऑनलाइन ही परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी. छात्रों का ऑनलाइन टेस्ट में हिस्सा लेना अनिवार्य होगा. जो छात्र इस परीक्षा में हिस्सा नहीं लेंगे उनकी असेसमेंट पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

himachal pradesh education pradesh
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Published : Aug 6, 2020, 10:01 PM IST

शिमला: कोविड की वजह से प्रदेश की स्कूल जब बंद है, तो ऐसे में छात्रों की कक्षाएं घरों से लगाई जा रही है. ऑनलाइन माध्यम से ही छात्रों को पढ़ाया जा रहा है. वहीं, अब जो सिलेबस छात्रों को पढ़ाया जा रहा है, वह उन्हें समझ आ रहा है इसकी समीक्षा भी ऑनलाइन ही की जाएगी. इसके लिए छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा करवाई जाएगी.

इसे करवाने के आदेश सरकार की ओर से शिक्षा विभाग को जारी कर दिए गए हैं. आदेशों के तहत कोविड के संकट के बीच में आठ लाख छात्रों की ऑनलाइन ही परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी. छात्रों का ऑनलाइन टेस्ट में हिस्सा लेना अनिवार्य होगा. जो छात्र इस परीक्षा में हिस्सा नहीं लेंगे उनकी असेसमेंट पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

प्रदेश सचिवालय में आयोजित समीक्षा बैठक में यह निर्देश शिक्षा सचिव राजीव शर्मा की ओर से शिक्षा विभाग के तीनों निदेशकों को जारी किए गए हैं. निर्देशों के तहत जो सिलेबस शिक्षकों की ओर से छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है और जितना सिलेबस पढ़ा लिया गया है. उतने सिलेबस की ऑनलाइन की परीक्षा छात्रों की करवाई जाएगी.

सरकार पूरी तरह से छात्रों की ऑनलाइन स्टडी पर फोकस कर रही है. इसके लिए शिक्षा निदेशकों को यह निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अध्यापकों से जोड़ा जाए. इसके साथ ही प्रदेश में जिन छात्रों तक ऑनलाइन पहुंच नहीं बनाई जा पा रही है और जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है. उन्हें पढ़ाने की जिम्मेवारी भी अध्यापकों की बनती है.

स्कूलों के प्रधानाचार्य और प्रिंसिपल को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके स्कूल का कोई भी छात्र पढ़ाई से वंचित ना रहे. इसके लिए नए कदम उठाए जाएं. जिससे कि सभी छात्रों तक पढ़ाई की पहुंच बनाई जा सके और घर पर रखकर सभी छात्र अपनी पढ़ाई को जारी रख सकें.

वहीं, शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह कार्य सौंपा गया है कि वह कुछ अध्यापकों को रोजाना फोन करके इस बात की जानकारी लेंगे कि उन्होंने आज बच्चों को क्या पढ़ाया है और कितने बच्चे उनकी ऑनलाइन स्टडी में जुड़ पा रहे हैं.

शिक्षा सचिव की ओर से जो निर्देश जारी किए गए हैं, उसके तहत शिक्षकों को अपना स्टडी प्लान भी अधिकारियों के साथ शेयर करना होगा. शिक्षक किस तरह से वह बच्चों को घर बैठे पढ़ा रहे हैं और किस स्टडी प्लान के तहत वह काम कर रहे हैं, यह सब शिक्षकों को सांझा करना होगा.

वहीं, राज्य जिला खंड स्तर पर प्रतिमाह सुचारू रूप से हर घर पाठशाला कार्यक्रम की समीक्षा भी की जाएगी. इस कार्यक्रम की समीक्षा करने के पीछे का उद्देश्य यही है कि इस बात की जानकारी एकत्र की जा सके कि कोविड-19 में ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर शिक्षा विभाग जो काम कर रहा है, वह कितना कारगर साबित हो रहा है. क्या बच्चों तक ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से पहुंच बनाई जा रही है या नहीं इस बात का आंकलन किया जा सके.

पढ़ें: BREAKING: हिमाचल सरकार में ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी कोरोना पॉजिटिव

शिमला: कोविड की वजह से प्रदेश की स्कूल जब बंद है, तो ऐसे में छात्रों की कक्षाएं घरों से लगाई जा रही है. ऑनलाइन माध्यम से ही छात्रों को पढ़ाया जा रहा है. वहीं, अब जो सिलेबस छात्रों को पढ़ाया जा रहा है, वह उन्हें समझ आ रहा है इसकी समीक्षा भी ऑनलाइन ही की जाएगी. इसके लिए छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा करवाई जाएगी.

इसे करवाने के आदेश सरकार की ओर से शिक्षा विभाग को जारी कर दिए गए हैं. आदेशों के तहत कोविड के संकट के बीच में आठ लाख छात्रों की ऑनलाइन ही परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी. छात्रों का ऑनलाइन टेस्ट में हिस्सा लेना अनिवार्य होगा. जो छात्र इस परीक्षा में हिस्सा नहीं लेंगे उनकी असेसमेंट पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

प्रदेश सचिवालय में आयोजित समीक्षा बैठक में यह निर्देश शिक्षा सचिव राजीव शर्मा की ओर से शिक्षा विभाग के तीनों निदेशकों को जारी किए गए हैं. निर्देशों के तहत जो सिलेबस शिक्षकों की ओर से छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है और जितना सिलेबस पढ़ा लिया गया है. उतने सिलेबस की ऑनलाइन की परीक्षा छात्रों की करवाई जाएगी.

सरकार पूरी तरह से छात्रों की ऑनलाइन स्टडी पर फोकस कर रही है. इसके लिए शिक्षा निदेशकों को यह निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अध्यापकों से जोड़ा जाए. इसके साथ ही प्रदेश में जिन छात्रों तक ऑनलाइन पहुंच नहीं बनाई जा पा रही है और जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है. उन्हें पढ़ाने की जिम्मेवारी भी अध्यापकों की बनती है.

स्कूलों के प्रधानाचार्य और प्रिंसिपल को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके स्कूल का कोई भी छात्र पढ़ाई से वंचित ना रहे. इसके लिए नए कदम उठाए जाएं. जिससे कि सभी छात्रों तक पढ़ाई की पहुंच बनाई जा सके और घर पर रखकर सभी छात्र अपनी पढ़ाई को जारी रख सकें.

वहीं, शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह कार्य सौंपा गया है कि वह कुछ अध्यापकों को रोजाना फोन करके इस बात की जानकारी लेंगे कि उन्होंने आज बच्चों को क्या पढ़ाया है और कितने बच्चे उनकी ऑनलाइन स्टडी में जुड़ पा रहे हैं.

शिक्षा सचिव की ओर से जो निर्देश जारी किए गए हैं, उसके तहत शिक्षकों को अपना स्टडी प्लान भी अधिकारियों के साथ शेयर करना होगा. शिक्षक किस तरह से वह बच्चों को घर बैठे पढ़ा रहे हैं और किस स्टडी प्लान के तहत वह काम कर रहे हैं, यह सब शिक्षकों को सांझा करना होगा.

वहीं, राज्य जिला खंड स्तर पर प्रतिमाह सुचारू रूप से हर घर पाठशाला कार्यक्रम की समीक्षा भी की जाएगी. इस कार्यक्रम की समीक्षा करने के पीछे का उद्देश्य यही है कि इस बात की जानकारी एकत्र की जा सके कि कोविड-19 में ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर शिक्षा विभाग जो काम कर रहा है, वह कितना कारगर साबित हो रहा है. क्या बच्चों तक ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से पहुंच बनाई जा रही है या नहीं इस बात का आंकलन किया जा सके.

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