शिमला/नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को राहत दे दी है. जस्टिस सुनील गौर की बेंच ने कहा कि सीबीआई इस मामले में उन गवाहों के ही बयान दर्ज करें, जिनकी जांच दिल्ली में हुई है. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वो उन गवाहों के बयान दर्ज नहीं करे जिनकी जांच हिमाचल प्रदेश में हुई है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की धारा 6 को चुनौती दी गई है और ये अभी विचाराधीन है. धारा 6 सीबीआई के किसी मामले की जांच के लिए किसी राज्य की सहमति से जुड़ा हुआ है. वहीं, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के वकील दायन कृष्णन ने कहा कि इस मामले की जांच हिमाचल प्रदेश और दिल्ली दोनों में हुई है. इसके बाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वो सिर्फ उन्हीं गवाहों के बयान दर्ज कराएं जिनकी जांच दिल्ली में हुई है.
बता दें इस मामले में ट्रायल कोर्ट में 1 मई को गवाहों के बयान दर्ज होने हैं. 6 फरवरी को हाईकोर्ट की ओर से ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप तय करने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. 10 दिसंबर 2018 को पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए थे. 20 अगस्त 2018 को कोर्ट ने वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को जमानत दी थी. कोर्ट ने विक्रमादित्य को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी.
21 जुलाई 2018 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल किया था. ईडी ने पूरक चार्जशीट में वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य को भी आरोपी बनाया था. 22 मार्च 2018 को कोर्ट ने वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह समेत सभी नौ आरोपियों को 50-50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी थी.
इससे पहले 12 फरवरी 2018 को कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) द्वारा दायर आरोप पत्र पर संज्ञान लिया था. इस मामले में वीरभद्र सिंह के एलआईसी एजेंट आनंद चौहान को पटियाला हाउस कोर्ट ने पिछले 2 जनवरी 2018 को जमानत दे दी थी. 30 नवंबर 2017 को कोर्ट ने वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी को सुनवाई के लिए व्यक्तिगत पेशी से हमेशा के लिए छूट दे दी थी. कोर्ट ने दोनों को निर्देश दिया था कि वे आरोप तय होने के बाद कोर्ट में पेश हो.