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हिमाचल में इस फसल की पैदावार से किसान होंगे मालामाल, सरकार बना रही है ऐसी योजना - HIMACHAL POTATO FARMING

सुखविंदर सरकार ऊना जिले में ₹20 करोड़ की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है.

ऊना में आलू प्रसंस्करण संयंत्र किया जाएगा स्थापित
ऊना में आलू प्रसंस्करण संयंत्र किया जाएगा स्थापित (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 14 hours ago

शिमला: हिमाचल में दूध के भाव बढ़ने के बाद ग्रामीणों की आर्थिक सेहत सुधारने के बाद सरकार अब एक और योजना पर काम कर रही हैं. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को युवा नौकरी के पीछे न भाग कर कृषि से जुड़कर घर पर ही अच्छी खासी आय प्राप्त कर सकेंगे. इसके लिए राज्य सरकार ऊना जिले में करीब 20 करोड़ की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है.

संयंत्र की न्यूनतम प्रसंस्करण क्षमता 500 किलोग्राम प्रति घंटा होगी. यह मुख्य रूप से फ्लेक्स के उत्पादन पर केंद्रित होगा. कृषि विभाग को इस संबंध में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 14 फीसदी है, जिसमें आलू एक प्रमुख फसल है.

राज्य के कुल सब्जी उत्पादन में आलू का योगदान लगभग 20 फीसदी है. प्रदेश में 16,960 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 2,38,317 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है. उन्होंने कहा कि आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित होने से किसानों को उत्पाद के बेहतर दाम मिलेंगे. ऐसे में उद्योग और कृषि क्षेत्र दोनों में रोजगार के अवसर सृजित कर स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.

आलू की कीमत में उतार-चढ़ाव की चिंता से मुक्त होंगे किसान

सीएम सुक्खू ने कहा कि आलू को फ्लेक्स जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों में संसाधित करके यह संयंत्र आलू के बाजार को स्थिर करने में मदद करेगा. इससे किसानों को ताजा आलू के बाजार में मूल्य के उतार-चढ़ाव की चिंता से भी निजात मिलेगी. आलू के फ्लेक्स इन्हें पकाने, मसलने और सुखाने से बनाए जाते हैं, जिससे बेहतरीन उत्पाद तैयार होता है, जिन्हें फिर बिक्री के लिए पैक किया जाता है.

उन्होंने कहा कि आलू प्रसंस्करण उद्योग एक अत्यधिक औद्योगिक, तकनीकी रूप से उन्नत और बाजार संचालित क्षेत्र है. ऊना जिला में शरद और बसंत दोनों ऋतुओं में 3,400 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 54,200 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है, इसलिए यहां इस संयंत्र की स्थापना जरूरी है. इसके अतिरिक्त, पड़ोसी राज्य पंजाब में भी आलू की काफी मात्रा में पैदावार होती है, जिससे प्रसंस्करण उद्योग के लिए कच्चे माल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आलू की खेती का एक प्रमुख लाभ, रबी सीजन के दौरान आलू की फसल तैयार होने की क्षमता है, जो आमतौर पर मार्च में होता है. हालांकि, बाजार की स्थितियों के कारण, किसानों को कई बार इस अवधि के दौरान चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है. इस प्रसंस्करण इकाई के स्थापित होने से किसानों को अपने आलू की फसल को बेहतर दामों पर बेचने का अवसर प्राप्त होगा, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोका जा सकेगा और आलू की वर्ष भर मांग सुनिश्चित होगी.

पूरे भारत में यहां के आलू की मांग

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश की जलवायु परिस्थितियां उच्च गुणवत्ता वाले और रोग मुक्त बीज आलू के उत्पादन के लिए आदर्श हैं, जिन्हें पूरे भारत में अत्यधिक महत्व दिया जाता है. उपभोक्ता वरीयताओं में बदलाव और प्रसंस्करण उद्योग के विस्तार के कारण भारत में प्रसंस्कृतिक आलू उत्पादों, जैसे कि फ्लेक्स, की मांग तेजी से बढ़ रही है. प्रदेश में आलू प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास से न केवल स्थानीय किसानों को मदद मिलेगी, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में भी योगदान सुनिश्चित होगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के डिपुओं में सस्ती हुई उड़द की दाल, APL-BPL परिवारों को इस रेट पर होगी उपलब्ध

शिमला: हिमाचल में दूध के भाव बढ़ने के बाद ग्रामीणों की आर्थिक सेहत सुधारने के बाद सरकार अब एक और योजना पर काम कर रही हैं. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को युवा नौकरी के पीछे न भाग कर कृषि से जुड़कर घर पर ही अच्छी खासी आय प्राप्त कर सकेंगे. इसके लिए राज्य सरकार ऊना जिले में करीब 20 करोड़ की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है.

संयंत्र की न्यूनतम प्रसंस्करण क्षमता 500 किलोग्राम प्रति घंटा होगी. यह मुख्य रूप से फ्लेक्स के उत्पादन पर केंद्रित होगा. कृषि विभाग को इस संबंध में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 14 फीसदी है, जिसमें आलू एक प्रमुख फसल है.

राज्य के कुल सब्जी उत्पादन में आलू का योगदान लगभग 20 फीसदी है. प्रदेश में 16,960 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 2,38,317 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है. उन्होंने कहा कि आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित होने से किसानों को उत्पाद के बेहतर दाम मिलेंगे. ऐसे में उद्योग और कृषि क्षेत्र दोनों में रोजगार के अवसर सृजित कर स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.

आलू की कीमत में उतार-चढ़ाव की चिंता से मुक्त होंगे किसान

सीएम सुक्खू ने कहा कि आलू को फ्लेक्स जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों में संसाधित करके यह संयंत्र आलू के बाजार को स्थिर करने में मदद करेगा. इससे किसानों को ताजा आलू के बाजार में मूल्य के उतार-चढ़ाव की चिंता से भी निजात मिलेगी. आलू के फ्लेक्स इन्हें पकाने, मसलने और सुखाने से बनाए जाते हैं, जिससे बेहतरीन उत्पाद तैयार होता है, जिन्हें फिर बिक्री के लिए पैक किया जाता है.

उन्होंने कहा कि आलू प्रसंस्करण उद्योग एक अत्यधिक औद्योगिक, तकनीकी रूप से उन्नत और बाजार संचालित क्षेत्र है. ऊना जिला में शरद और बसंत दोनों ऋतुओं में 3,400 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 54,200 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है, इसलिए यहां इस संयंत्र की स्थापना जरूरी है. इसके अतिरिक्त, पड़ोसी राज्य पंजाब में भी आलू की काफी मात्रा में पैदावार होती है, जिससे प्रसंस्करण उद्योग के लिए कच्चे माल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आलू की खेती का एक प्रमुख लाभ, रबी सीजन के दौरान आलू की फसल तैयार होने की क्षमता है, जो आमतौर पर मार्च में होता है. हालांकि, बाजार की स्थितियों के कारण, किसानों को कई बार इस अवधि के दौरान चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ता है. इस प्रसंस्करण इकाई के स्थापित होने से किसानों को अपने आलू की फसल को बेहतर दामों पर बेचने का अवसर प्राप्त होगा, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोका जा सकेगा और आलू की वर्ष भर मांग सुनिश्चित होगी.

पूरे भारत में यहां के आलू की मांग

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश की जलवायु परिस्थितियां उच्च गुणवत्ता वाले और रोग मुक्त बीज आलू के उत्पादन के लिए आदर्श हैं, जिन्हें पूरे भारत में अत्यधिक महत्व दिया जाता है. उपभोक्ता वरीयताओं में बदलाव और प्रसंस्करण उद्योग के विस्तार के कारण भारत में प्रसंस्कृतिक आलू उत्पादों, जैसे कि फ्लेक्स, की मांग तेजी से बढ़ रही है. प्रदेश में आलू प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास से न केवल स्थानीय किसानों को मदद मिलेगी, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में भी योगदान सुनिश्चित होगा.

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