कोलकाता: पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बुधवार को आरजी कर बलात्कार-हत्या मामले में पीड़ित परिवार को बदनाम करने की निंदा की और कहा कि वह समर्थन दिखाने के लिए उनसे मिलेंगे. मजूमदार ने यह भी आरोप लगाया कि कोलकाता पुलिस द्वारा प्रारंभिक 5-दिवसीय जांच के दौरान साक्ष्य नष्ट कर दिए गए, जिससे न्याय मिलने में बाधा उत्पन्न हुई.
उन्होंने कहा, 'परिवार को बदनाम करना शर्मनाक है. इसलिए मैं उनके घर जाऊंगा और उनसे मिलूंगा. पांच दिनों तक जब कोलकाता पुलिस मामले की जांच कर रही थी, सबूत नष्ट कर दिए गए, जिसके कारण जो न्याय मिलना चाहिए था वह नहीं मिला.' इस बीच, बुधवार को कोलकाता के आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में पीड़िता के माता-पिता ने घटना की नए सिरे से जांच की मांग करने संबंधी अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली.
यह याचिका पीड़िता के माता-पिता द्वारा स्वत: संज्ञान मामले में हस्तक्षेप आवेदन (आईए) के रूप में दायर की गई थी, जिसे शीर्ष अदालत ने पिछले साल अगस्त में कुख्यात घटना के कुछ दिनों बाद दर्ज किया था. अपने समक्ष दायर हलफनामे में प्रस्तुत दलीलों पर विचार करने के बाद न्यायालय ने वरिष्ठ वकील को अपनी दलीलें सावधानी से रखने की चेतावनी दी, क्योंकि मामले में एकमात्र आरोपी (अब दोषी) संजय रॉय के खिलाफ पहले ही दोषसिद्धि हो चुकी है.
न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी को सुझाव दिया कि वे याचिका वापस ले लें तथा एक नई याचिका दायर करें, क्योंकि मूल याचिका पीड़िता के माता-पिता द्वारा मुकदमे और दोषसिद्धि से पहले दायर की गई थी. 20 जनवरी को सियालदह सिविल और आपराधिक न्यायालय ने आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में पीड़िता के रेप और हत्या के लिए संजय रॉय को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
ट्रायल कोर्ट के फैसले के बाद खास तौर पर डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के बीच हंगामा मच गया. वे रॉय को उसके जघन्य कृत्य के लिए मौत की सजा देने की मांग कर रहे हैं. मामले की फिर से जांच की मांग भी की जा रही है, क्योंकि जांच के तरीके को लेकर चिंता जताई गई.