हमीरपुरः भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती के बयान पर जहां एक ओर कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में बवाल मचा दिया है और मुद्दे की तरह ही इस बयान को भुना रही है. वहीं अब भाजपा नेताओं की चुप्पी के बीच में पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल का बयान भी सामने आया है.
बता दें कि हमीरपुर संसदीय सीट से ताल्लुक रखने वाले सतपाल सत्ती का बयान लोकसभा चुनाव में हमीरपुर सीट के साथ देशभर की राजनीति में भाजपा के लिए नुकसानदायी साबित हो सकता है. उनके इस बयान पर भाजपा नेताओं ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली है. वहीं अब पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने चुनावी गर्मी में देशभर में सामने आ रहे अमर्यादित बयानों से नेताओं को परहेज करने की अपील की है.
पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल का मानना है कि इस तरह के बयान से लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंच रही है. अमर्यादित बयानबाजी के साथ ही पूर्व सीएम ने नोटा दबाने अथवा चुनावों का बहिष्कार करने का प्रचार करने वाले बुद्विजीवियों को भी नसीहत दी है. धूमल ने जारी बयान में कहा कि यदि कोई नेता अथवा राजनीतिक दल आपकी अपेक्षाओं पर रखा नहीं उतरता है तो चुनाव लड़ कर खुद को एक अच्छे विकल्प के रूप में प्रस्तुत करें. वहीं अमर्यादित टिप्पणी करने वाले नेताओं को भाषा का संयम बरतने की नसीहत भी दी है.
पूर्व सीएम ने बयान में कहीं भी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के नाम का जिक्र नहीं किया है, लेकिन यह भी किसी से छुपा नहीं है कि प्रदेश और देश की राजनीति में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की मां बहन की गाली वाली अमर्यादित टिप्पणी से भूचाल आ गया है. इस मसले को भुना रही कांग्रेस और अन्यों दलों को देशहित में पूर्व सीएम ने हल्ला न करने की नसीहत दी है.
पूर्व सीएम ने अर्मादित बयानबाजी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आजकल लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है. चुनाव प्रचार की गर्मी में कई बार नेता ऐसे बयान दे देते हैं, जिसे जनता पंसद नहीं करती है यह बयान मर्यादा से परे होते हैं. देशभर में इस तरह के बयानों के लोकतंत्र की गरिमा को भी ठेस पहुंच रही है. धूमल का कहना है कि क्षणिक वाहवाही के लिए नेता इस तरह के बयान दे देते हैं, जिनसे राजनीतिक लाभ होने की बजाय वातावरण खराब होता है और इससे लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचती है.
धूमल ने कहा कि कई बार राजनीतिक दल दूसरों की टिप्पणी पर बड़ा हल्ला करते हैं, लेकिन इस बात को नजरअंदाज कर देते है कि विवाद की जड़ में अपना नेता या दल ही होता है. इससे देशहित के मुद्दे चुनावों में ओझल हो जाते हैं और हल्की टिप्पणियां मुद्दा बनकर रह जाती है. प्रो. धूमल ने कहा कि नेताओं को एक दूसरे को समझाने की बजाय स्वयं आत्म संयम बरतना होगा और भाषा की मर्यादा और गरिमा का भी ध्यान रखना चाहिए. प्रो धूमल का कहना है कि कुछ बुद्विजीवी लोग नोटा दबाने और चुनावों का बहिश्कार को लेकर प्रचार कर रहे हैं। इस प्रचार का आधार विकास न होना और फलां कार्य का न होना बताया जा रहा है.
पूर्व सीएम ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह से किस की सरकार बनेगी. क्या नोटा दबाने से सरकार बनेगी और लोगों की समस्याओं का समाधान हो जाएगा. पूर्व सीएम का कहना है कि बड़ी तपस्या के बाद मत का अधिकार देश को मिला है. यदि कोई राजनीतिक दल अथवा नेता अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं मिलता है तो खुद चुनाव लड़ें और अपने आप को अच्छे विकल्प के रूप में प्रस्तुत करें. पूर्व सीएम ने ऐसा प्रचार करने वालों लोगों को नसीहत देते हुए कि नकारात्मकता से कोई समाधान नहीं निकलता और निराशा बढ़ती है और विकास रुकता है.