ETV Bharat / state

राजा और प्रजा ने ली भगवान की परीक्षा तो कान्हा ने दिखाया चमत्कार, मुरली मनोहर मंदिर सुजानपुर में साक्षात प्रमाण - Holi festival begins in Sujanpur

रंगों के उत्सव होली का हिमाचल के हमीरपुर जिले के सुजानपुर में अपना एक विशेष (Holi of Sujanpur)महत्व है. हिमाचल के सुजानपुर की होली देशभर में विख्यात है.दूरदराज से लोग यहां होली खेलने के लिए आते हैं.यह मेला 15 से 18 मार्च तक मनाया जा रहा है. राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव सुजानपुर(National level Holi festival in Sujanpur) और यहां स्थित मुरली मनोहर मंदिर का विशेष नाता (Murli Manohar Temple of Sujanpur)है.

Murli Manohar Temple of Sujanpur
मुरली मनोहर मंदिर सुजानपुर में साक्षात प्रमाण
author img

By

Published : Mar 16, 2022, 10:42 PM IST


हमीरपुर: रंगों के उत्सव होली का हिमाचल के हमीरपुर जिले के सुजानपुर में अपना एक विशेष (Holi of Sujanpur)महत्व है. हिमाचल के सुजानपुर की होली देशभर में विख्यात है. दूरदराज से लोग यहां होली खेलने के लिए आते हैं. होली के मौके पर यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है. देशभर के कलाकार यहां आकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. इस बार यह मेला 15 से 18 मार्च तक मनाया जा रहा है.

राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव सुजानपुर(National level Holi festival in Sujanpur) और यहां स्थित मुरली मनोहर मंदिर का विशेष नाता (Murli Manohar Temple of Sujanpur )है. बता दें कि इससे पहले सुजानपुर के राष्ट्र स्तरीय होली मेले का आगाज केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को किया है. परंपरा है कि सुजानपुर शहर में रथ यात्रा निकालने के बाद मुख्य अतिथि के मुरली मनोहर मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद होली मेले का आगाज किया जाता है.

कई साल पुराना इतिहास: सुजानपुर में मनाई जाने वाली राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव के आयोजन के पीछे एक रोचक कहानी है. रियासतों और रजवाड़ा शाही के दौर में शुरू हुआ ये उत्सव आज भी सदियों पुरानी परंपराओं के अनुसार ही मनाया जाता है. कटोच वंश के शासन में होली उत्सव सुजानपुर का शुभारंभ हुआ था. रजवाड़ा शाही के दौर से ही यह उत्सव 3 दिन तक मनाया जाता था. राजा के महल में तालाब में रंग घोलकर होली खेली जाती थी. सुजानपुर नगर की स्थापना 1761 ई. में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने की थी, लेकिन इसे संपूर्ण करने का श्रेय कला प्रेमी और राजा घमंड चंद के पोते संसार चंद को जाता है.

वीडियो
उल्टे हाथ में कान्हा जी ने पकड़ी मुरली: राजा संसार चंद के दौर में ही सुजानपुर होली उत्सव को ख्याति मिली. संसार चंद ने ही प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण भी करवाया और होली उत्सव को नई पहचान भी दी. होली के मौके पर राजा हाथी-घोड़ों पर सवार होकर अपने महल से मंदिर में पहुंचते थे. होली उत्सव से पहले राजा यहां पर पूजा करते थे. इस मंदिर से भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाकर ही सुजानपुर होली मेले की शुरुआत होती थी. मुरली मनोहर मंदिर हिमाचल के प्राचीन मंदिरों में से एक है. सबसे खास बात ये है कि मंदिर में कृष्ण की प्रतिमा ने उल्टे हाथ में बांसुरी पकड़ रखी है, जबकि हर मंदिर में कृष्ण भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति सीधे हाथों में रहती है.मंदिर में हुआ था चमत्कार: इसके पीछे भी एक कहानी जुड़ी है. जिस समय मुरली मनोहर मंदिर के अंदर श्री कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की जा रही थी उस समय महाराजा संसार चंद ने पुजारियों से सवाल किया कि क्या प्रमाण है कि यहां श्री कृष्ण विरामान हैं. राजा ने कहा कि अगर सुबह तक मुझे जवाब नहीं मिला तो सभी पुजारियों के सिर काट दिए जाएंगे. इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए. राजा का फरमान सुनकर सभी पुजारी रात भर चिंता में रहे, लेकिन जब सुबह मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण के चमत्कार को देखकर दंग रह गए. सुबह होते ही बांसुरी दूसरी दिशा में घूम गई थी.लख टकिया के नाम से जाना जाता है मंदिर: मुरली मनोहर मंदिर को एक लख टकिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका निर्माण महाराजा संसार चंद ने एक लाख रुपए से करवाया था. मंदिर को देखकर राजा महाराजाओं के जमाने की याद ताजा हो जाती है. मंदिर के अंदर बेहतरीन नक्काशी की गई है. मंदिर की सजावट इस तरीके से हुई है कि भक्तजन यहां आकर भक्ति में लीन हो जाते हैं.मंदिर के पुजारी रवि शर्मा का कहना है कि मंदिर का इतिहास बहुत पुराना और इस मंदिर से ही पारंपरिक राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव का आगाज होता है.स्थानीय निवासी पंकज भारती का कहना है कि पिछले 30 वर्षों से मंदिर में आ रहे और मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. यहां पर आने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. स्थानीय निवासी वाटिका सूद का कहना है कि बचपन से वह इस मंदिर में आती है. यहां हर मनोकामना पूरी होती है.

ये भी पढ़ें :राजन सुशांत ने रावण से की सीएम जयराम की तुलना, कर्मचारियों को 10 फीसदी टिकट देने का ऐलान, AAP से हो सकता है गठबंधन


हमीरपुर: रंगों के उत्सव होली का हिमाचल के हमीरपुर जिले के सुजानपुर में अपना एक विशेष (Holi of Sujanpur)महत्व है. हिमाचल के सुजानपुर की होली देशभर में विख्यात है. दूरदराज से लोग यहां होली खेलने के लिए आते हैं. होली के मौके पर यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है. देशभर के कलाकार यहां आकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. इस बार यह मेला 15 से 18 मार्च तक मनाया जा रहा है.

राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव सुजानपुर(National level Holi festival in Sujanpur) और यहां स्थित मुरली मनोहर मंदिर का विशेष नाता (Murli Manohar Temple of Sujanpur )है. बता दें कि इससे पहले सुजानपुर के राष्ट्र स्तरीय होली मेले का आगाज केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को किया है. परंपरा है कि सुजानपुर शहर में रथ यात्रा निकालने के बाद मुख्य अतिथि के मुरली मनोहर मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद होली मेले का आगाज किया जाता है.

कई साल पुराना इतिहास: सुजानपुर में मनाई जाने वाली राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव के आयोजन के पीछे एक रोचक कहानी है. रियासतों और रजवाड़ा शाही के दौर में शुरू हुआ ये उत्सव आज भी सदियों पुरानी परंपराओं के अनुसार ही मनाया जाता है. कटोच वंश के शासन में होली उत्सव सुजानपुर का शुभारंभ हुआ था. रजवाड़ा शाही के दौर से ही यह उत्सव 3 दिन तक मनाया जाता था. राजा के महल में तालाब में रंग घोलकर होली खेली जाती थी. सुजानपुर नगर की स्थापना 1761 ई. में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने की थी, लेकिन इसे संपूर्ण करने का श्रेय कला प्रेमी और राजा घमंड चंद के पोते संसार चंद को जाता है.

वीडियो
उल्टे हाथ में कान्हा जी ने पकड़ी मुरली: राजा संसार चंद के दौर में ही सुजानपुर होली उत्सव को ख्याति मिली. संसार चंद ने ही प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण भी करवाया और होली उत्सव को नई पहचान भी दी. होली के मौके पर राजा हाथी-घोड़ों पर सवार होकर अपने महल से मंदिर में पहुंचते थे. होली उत्सव से पहले राजा यहां पर पूजा करते थे. इस मंदिर से भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाकर ही सुजानपुर होली मेले की शुरुआत होती थी. मुरली मनोहर मंदिर हिमाचल के प्राचीन मंदिरों में से एक है. सबसे खास बात ये है कि मंदिर में कृष्ण की प्रतिमा ने उल्टे हाथ में बांसुरी पकड़ रखी है, जबकि हर मंदिर में कृष्ण भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति सीधे हाथों में रहती है.मंदिर में हुआ था चमत्कार: इसके पीछे भी एक कहानी जुड़ी है. जिस समय मुरली मनोहर मंदिर के अंदर श्री कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की जा रही थी उस समय महाराजा संसार चंद ने पुजारियों से सवाल किया कि क्या प्रमाण है कि यहां श्री कृष्ण विरामान हैं. राजा ने कहा कि अगर सुबह तक मुझे जवाब नहीं मिला तो सभी पुजारियों के सिर काट दिए जाएंगे. इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए. राजा का फरमान सुनकर सभी पुजारी रात भर चिंता में रहे, लेकिन जब सुबह मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण के चमत्कार को देखकर दंग रह गए. सुबह होते ही बांसुरी दूसरी दिशा में घूम गई थी.लख टकिया के नाम से जाना जाता है मंदिर: मुरली मनोहर मंदिर को एक लख टकिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका निर्माण महाराजा संसार चंद ने एक लाख रुपए से करवाया था. मंदिर को देखकर राजा महाराजाओं के जमाने की याद ताजा हो जाती है. मंदिर के अंदर बेहतरीन नक्काशी की गई है. मंदिर की सजावट इस तरीके से हुई है कि भक्तजन यहां आकर भक्ति में लीन हो जाते हैं.मंदिर के पुजारी रवि शर्मा का कहना है कि मंदिर का इतिहास बहुत पुराना और इस मंदिर से ही पारंपरिक राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव का आगाज होता है.स्थानीय निवासी पंकज भारती का कहना है कि पिछले 30 वर्षों से मंदिर में आ रहे और मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. यहां पर आने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. स्थानीय निवासी वाटिका सूद का कहना है कि बचपन से वह इस मंदिर में आती है. यहां हर मनोकामना पूरी होती है.

ये भी पढ़ें :राजन सुशांत ने रावण से की सीएम जयराम की तुलना, कर्मचारियों को 10 फीसदी टिकट देने का ऐलान, AAP से हो सकता है गठबंधन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.