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जयराम सरकार का सपना, कर्मचारी वोट बैंक के सहारे करेंगे मिशन रिपीट की नैया पार - हिमाचल में सरकारी कर्मचारी

हिमाचल में चार उपचुनाव हारने के बाद भाजपा में मिशन रिपीट को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है. प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी (assembly election preparation) में बीजेपी जुट गई है. जयराम सरकार कर्मचारी वोट बैंक के सहारे मिशन रिपीट की तैयारी में है. 70 लाख की आबादी वाले छोटे पहाड़ी प्रदेश में 10 लाख वोट का आंकड़ा किसी भी राजनीतिक दल को सत्ता से बाहर कर सकता है और सत्ता में ला भी सकता है. ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संकेत दिए हैं कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार एक सब कमेटी का गठन कर सकती है.

BJP rally. (file photo)
बीजेपी की रैली. (फाइल फोटो)
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Published : Nov 9, 2021, 6:28 PM IST

शिमला: हिमाचल की राजनीति देश के अन्य राज्यों से कई मायनों में अलग है. यहां सत्ता का उलटफेर करने में सरकारी कर्मचारियों की अहम भूमिका रहती है. हिमाचल में सरकारी कर्मचारी (government employees in himachal pradesh ) सबसे बड़ा वोट बैंक हैं. पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में दो लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी हैं. इनमें नियमित नौकरी वाले कर्मचारियों के अलावा अनुबंध कर्मचारी और अन्य कई वर्ग हैं. यदि एक कर्मचारी पांच वोटों का प्रभाव रखता है तो पूरे प्रदेश के कर्मचारी मिलकर 10 लाख वोटों का बैंक बनाते हैं.

70 लाख की आबादी वाले छोटे पहाड़ी प्रदेश में 10 लाख वोट का आंकड़ा किसी भी राजनीतिक दल को सत्ता से बाहर कर सकता है और सत्ता में ला भी सकता है. चार उपचुनाव हारने के बाद भाजपा में मिशन रिपीट को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है. भाजपा 2007 से लेकर मिशन रिपीट का नारा देती रही है. धूमल सरकार के समय भाजपा मिशन रिपीट के काफी करीब पहुंच भी चुकी थी, लेकिन कांगड़ा का किला दरक जाने के कारण भाजपा का यह सपना पूरा नहीं हो पाया. वर्तमान सरकार जयराम ठाकुर के नेतृत्व में सत्तासीन है.

विधानसभा चुनाव से पूर्व मंडी के जंजैहली में आयोजित रैली में अमित शाह ने ऐलान किया था कि यदि वोटर्स जयराम ठाकुर को बड़े मार्जिन से विजयी बनाते हैं तो उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी. यही नहीं अमित शाह ने कहा था कि हिमाचल में अब भाजपा पांच साल के लिए नहीं बल्कि कम से कम 15 साल के लिए सत्ता में रहने के लिए कदम आगे बढ़ाएगी. इधर चार उपचुनाव हारने के बाद अगले विधानसभा चुनाव के लिए मिशन रिपीट का सपना पूरा करने को लेकर खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कमान संभाल ली है.

हिमाचल में कर्मचारी वोट बैंक महत्वपूर्ण: मुख्यमंत्री सरकारी कर्मचारियों के वोट बैंक की महत्ता से भली भांति परिचित हैं. उन्होंने इसे साधने के लिए योजना का खाका तैयार कर लिया है. हिमाचल में शिक्षा विभाग में सबसे अधिक कर्मचारी हैं. विभिन्न वर्गों के 70 हजार के करीब शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारी हैं. इस वर्ग की अलग-अलग मांगें हैं. मुख्यमंत्री ने इनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाने के संकेत दिए हैं. इन शिक्षकों के लिए अलग से जेसीसी यानी संयुक्त समन्वय समिति के गठन का प्रस्ताव है.

इसके अलावा हिमाचल में विभिन्न विभागों में 25 हजार के करीब आउटसोर्स कर्मचारी हैं. आउटसोर्स कर्मचारियों की मांग है कि उनके लिए कोई पॉलिसी बनाई जाए. हालांकि सरकार के लिए उक्त वर्ग को लेकर कोई पॉलिसी बनाना आसान नहीं है. यदि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार कोई पॉलिसी बनाती है तो पहले आरएंडपी रुल्ज पर भी काम करना पड़ेगा, लेकिन सरकार इन कर्मचारियों को किसी ना किसी रूप में राहत दे सकती है.

आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सब कमेटी की गठन की तैयारी में सरकार: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संकेत दिए हैं कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार एक सब कमेटी का गठन कर सकती है. यह सब कमेटी आउटसोर्स कर्मचारियों की सारी जानकारी जुटाकर उन्हें राहत देने के उपायों पर कोई सर्वमान्य हल निकाल सकती है. यदि आउटसोर्स कर्मियों की सहानुभूति सरकार ने अर्जित कर ली तो वो एक बड़े वोट बैंक को साधने में कामयाब हो जाएगी.

हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों का प्रतिनिधि संगठन अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के रूप में हैं. अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ लंबे समय से कर्मचारियों की मांगों को लेकर जेसीसी यानी संयुक्त समन्वय समिति की बैठक बुलाने की मांग कर रही है. समिति की यह बैठक सरकार के साथ मिलकर कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर कोई सहमति बनाने पर राजी हो सकती है. सरकारी कर्मचारी इस समय ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि इस मांग को पूरा करना राज्य सरकार के लिए कठिन है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि सरकार कर्मचारियों की अन्य मांगों पर सकारात्मक रुख अपना सकती है.

हिमाचल पर 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज: हिमाचल प्रदेश में सरकारी बजट का अधिकांश हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनरों की पेंशन पर खर्च होता है. सरकार को वेतन और पेंशन के लिए हर महीने करीब एक हजार करोड़ के बजट की जरूरत है. हिमाचल पर 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. विकास के लिए बजट में 100 रुपए में से केवल 43.94 रुपए बचते हैं. सरकारी कर्मचारी नए वेतन आयोग की मांग कर रहे हैं. यदि सरकार नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करती है तो उसे सालाना पांच हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त का इंतजाम करना पड़ेगा.

हिमाचल में अभी सरकारी कर्मियों के वेतन पर 25.31 रुपए खर्च होते हैं. पेंशन पर 14.11 रुपए खर्च होते हैं. हिमाचल को कर्ज के ब्याज की अदायगी पर 10 रुपए और कर्ज की अदायगी पर 6.64 रुपए चुकाने पड़ते हैं. अब जयराम सरकार विकास कार्यों के लिए बड़े प्रोजेक्टों की फंडिंग केंद्र से करवाने के लिए प्रयास करेगी. इसके अलावा वित्त आयोग से मिल रही मदद के आसरे सरकार का महीने का खर्च निकल रहा है. पिछले बजट में मुख्यमंत्री ने 30 हजार सरकारी नौकरियों का वादा किया था.

हिमाचल में विभिन्न विभागों में भरे जा रहे रिक्त पद: पुलिस परिवहन और राजस्व विभाग के अलावा शिक्षा विभाग में रिक्त पद भरे जा रहे हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और संगठन का भी मानना है कि सरकार कर्मचारियों की मांगों पर सकारात्मक रुख अपना कर उन्हें अपने पाले में किया जा सकता है. उधर हिमाचल सरकार को 15वें वित्तायोग से 82 हजार करोड़ रुपए के करीब सहायता राशि ग्रांट के तौर पर घोषित हुई है. बड़ी राहत यह है कि आरडीजी यानी रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट (Revenue Deficit grant) के तौर पर हर महीने 950 करोड़ रुपए की मदद मिल रही है.

इससे सरकार का वेतन और पेंशन का खर्च काफी हद तक पूरा हो रहा है. ऐसे में सरकार कर्मचारियों की वित्तीय मांगों को पूरा करने का हौसला जुटा सकती है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए जयराम सरकार ने हमेशा ही सकारात्मक रुख अपनाया है. प्रदेश के विकास में कर्मचारियों का अहम रोल है. राज्य सरकार कर्मचारियों की मांगों को लेकर हमेशा से गंभीर रही है.

ये भी पढ़ें: शिक्षा विभाग ने जारी की SOP, स्कूल प्रबंधन को मानने होंगे ये आदेश

कर्मचारियों की मांगों को लेकर सरकार सकारात्मक: यही नहीं जयराम सरकार ने समय-समय पर कर्मचारियों के लंबित वित्तीय मसलों को सुलझाया है. कर्मचारियों को समय पर डीए की अदायगी और अंतरिम राहत दी जाती रही है. वहीं हिमाचल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती, जिनकी अगुवाई में हिमाचल ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीते, उनका कहना है कि भाजपा की हर सरकार ने कर्मचारियों को उनके सभी वित्तीय लाभ समय पर दिए हैं. जयराम सरकार ने डीए और आईआर के रूप में समय पर भुगतान किया है. सरकार कर्मचारियों की सभी मांगों को लेकर सकारात्मक रही है.

हाल ही में कैबिनेट मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री ने अपने विश्वस्त मंत्रियों को यह जिम्मेदारी सौपी है कि वो सरकारी कर्मियों के साथ जेसीसी मीटिंग (JCC meeting with government employees) के लिए सरकार की तैयारियों पर काम करें. अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (non-gazetted employees federation) की राजनीति के महत्वपूर्ण हिस्सा रहे एसएस जोगटा का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में कोई भी सरकार कर्मचारियों की अनदेखी नहीं कर सकती. कर्मचारी किसी भी सरकार को सत्ता से हटाने की ताकत रखते हैं. जिस भी सरकार ने कर्मचारियों की अनदेखी की उसे चुनाव में परिणाम भुगतने पड़े हैं.

जोगटा का कहना है कि यदि सरकार समय पर जेसीसी की मीटिंग आयोजित करती रहे और सरकारी कर्मियों की मांगों को समय पर पूरा करे तो कर्मचारी उस सरकार का साथ जरूर देंगे. फिलहाल जयराम सरकार की नजर 2 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों के बहाने 10 लाख वोटों पर है. देखना है कि सरकारी कर्मचारी किस तरफ को अपना झुकाव दिखाते हैं. वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानू के अनुसार जयराम ठाकुर का मिशन रिपीट का सपना सरकारी कर्मचारियों को अपने पाले में लाने से पूरा हो सकता है.

ये भी पढ़ें: उपचुनावों में महंगाई नहीं विकास पर होती है वोटिंग: महेश्वर सिंह

शिमला: हिमाचल की राजनीति देश के अन्य राज्यों से कई मायनों में अलग है. यहां सत्ता का उलटफेर करने में सरकारी कर्मचारियों की अहम भूमिका रहती है. हिमाचल में सरकारी कर्मचारी (government employees in himachal pradesh ) सबसे बड़ा वोट बैंक हैं. पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में दो लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी हैं. इनमें नियमित नौकरी वाले कर्मचारियों के अलावा अनुबंध कर्मचारी और अन्य कई वर्ग हैं. यदि एक कर्मचारी पांच वोटों का प्रभाव रखता है तो पूरे प्रदेश के कर्मचारी मिलकर 10 लाख वोटों का बैंक बनाते हैं.

70 लाख की आबादी वाले छोटे पहाड़ी प्रदेश में 10 लाख वोट का आंकड़ा किसी भी राजनीतिक दल को सत्ता से बाहर कर सकता है और सत्ता में ला भी सकता है. चार उपचुनाव हारने के बाद भाजपा में मिशन रिपीट को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है. भाजपा 2007 से लेकर मिशन रिपीट का नारा देती रही है. धूमल सरकार के समय भाजपा मिशन रिपीट के काफी करीब पहुंच भी चुकी थी, लेकिन कांगड़ा का किला दरक जाने के कारण भाजपा का यह सपना पूरा नहीं हो पाया. वर्तमान सरकार जयराम ठाकुर के नेतृत्व में सत्तासीन है.

विधानसभा चुनाव से पूर्व मंडी के जंजैहली में आयोजित रैली में अमित शाह ने ऐलान किया था कि यदि वोटर्स जयराम ठाकुर को बड़े मार्जिन से विजयी बनाते हैं तो उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी. यही नहीं अमित शाह ने कहा था कि हिमाचल में अब भाजपा पांच साल के लिए नहीं बल्कि कम से कम 15 साल के लिए सत्ता में रहने के लिए कदम आगे बढ़ाएगी. इधर चार उपचुनाव हारने के बाद अगले विधानसभा चुनाव के लिए मिशन रिपीट का सपना पूरा करने को लेकर खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कमान संभाल ली है.

हिमाचल में कर्मचारी वोट बैंक महत्वपूर्ण: मुख्यमंत्री सरकारी कर्मचारियों के वोट बैंक की महत्ता से भली भांति परिचित हैं. उन्होंने इसे साधने के लिए योजना का खाका तैयार कर लिया है. हिमाचल में शिक्षा विभाग में सबसे अधिक कर्मचारी हैं. विभिन्न वर्गों के 70 हजार के करीब शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारी हैं. इस वर्ग की अलग-अलग मांगें हैं. मुख्यमंत्री ने इनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाने के संकेत दिए हैं. इन शिक्षकों के लिए अलग से जेसीसी यानी संयुक्त समन्वय समिति के गठन का प्रस्ताव है.

इसके अलावा हिमाचल में विभिन्न विभागों में 25 हजार के करीब आउटसोर्स कर्मचारी हैं. आउटसोर्स कर्मचारियों की मांग है कि उनके लिए कोई पॉलिसी बनाई जाए. हालांकि सरकार के लिए उक्त वर्ग को लेकर कोई पॉलिसी बनाना आसान नहीं है. यदि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार कोई पॉलिसी बनाती है तो पहले आरएंडपी रुल्ज पर भी काम करना पड़ेगा, लेकिन सरकार इन कर्मचारियों को किसी ना किसी रूप में राहत दे सकती है.

आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सब कमेटी की गठन की तैयारी में सरकार: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संकेत दिए हैं कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार एक सब कमेटी का गठन कर सकती है. यह सब कमेटी आउटसोर्स कर्मचारियों की सारी जानकारी जुटाकर उन्हें राहत देने के उपायों पर कोई सर्वमान्य हल निकाल सकती है. यदि आउटसोर्स कर्मियों की सहानुभूति सरकार ने अर्जित कर ली तो वो एक बड़े वोट बैंक को साधने में कामयाब हो जाएगी.

हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों का प्रतिनिधि संगठन अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के रूप में हैं. अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ लंबे समय से कर्मचारियों की मांगों को लेकर जेसीसी यानी संयुक्त समन्वय समिति की बैठक बुलाने की मांग कर रही है. समिति की यह बैठक सरकार के साथ मिलकर कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर कोई सहमति बनाने पर राजी हो सकती है. सरकारी कर्मचारी इस समय ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि इस मांग को पूरा करना राज्य सरकार के लिए कठिन है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि सरकार कर्मचारियों की अन्य मांगों पर सकारात्मक रुख अपना सकती है.

हिमाचल पर 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज: हिमाचल प्रदेश में सरकारी बजट का अधिकांश हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनरों की पेंशन पर खर्च होता है. सरकार को वेतन और पेंशन के लिए हर महीने करीब एक हजार करोड़ के बजट की जरूरत है. हिमाचल पर 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. विकास के लिए बजट में 100 रुपए में से केवल 43.94 रुपए बचते हैं. सरकारी कर्मचारी नए वेतन आयोग की मांग कर रहे हैं. यदि सरकार नए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करती है तो उसे सालाना पांच हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त का इंतजाम करना पड़ेगा.

हिमाचल में अभी सरकारी कर्मियों के वेतन पर 25.31 रुपए खर्च होते हैं. पेंशन पर 14.11 रुपए खर्च होते हैं. हिमाचल को कर्ज के ब्याज की अदायगी पर 10 रुपए और कर्ज की अदायगी पर 6.64 रुपए चुकाने पड़ते हैं. अब जयराम सरकार विकास कार्यों के लिए बड़े प्रोजेक्टों की फंडिंग केंद्र से करवाने के लिए प्रयास करेगी. इसके अलावा वित्त आयोग से मिल रही मदद के आसरे सरकार का महीने का खर्च निकल रहा है. पिछले बजट में मुख्यमंत्री ने 30 हजार सरकारी नौकरियों का वादा किया था.

हिमाचल में विभिन्न विभागों में भरे जा रहे रिक्त पद: पुलिस परिवहन और राजस्व विभाग के अलावा शिक्षा विभाग में रिक्त पद भरे जा रहे हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और संगठन का भी मानना है कि सरकार कर्मचारियों की मांगों पर सकारात्मक रुख अपना कर उन्हें अपने पाले में किया जा सकता है. उधर हिमाचल सरकार को 15वें वित्तायोग से 82 हजार करोड़ रुपए के करीब सहायता राशि ग्रांट के तौर पर घोषित हुई है. बड़ी राहत यह है कि आरडीजी यानी रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट (Revenue Deficit grant) के तौर पर हर महीने 950 करोड़ रुपए की मदद मिल रही है.

इससे सरकार का वेतन और पेंशन का खर्च काफी हद तक पूरा हो रहा है. ऐसे में सरकार कर्मचारियों की वित्तीय मांगों को पूरा करने का हौसला जुटा सकती है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए जयराम सरकार ने हमेशा ही सकारात्मक रुख अपनाया है. प्रदेश के विकास में कर्मचारियों का अहम रोल है. राज्य सरकार कर्मचारियों की मांगों को लेकर हमेशा से गंभीर रही है.

ये भी पढ़ें: शिक्षा विभाग ने जारी की SOP, स्कूल प्रबंधन को मानने होंगे ये आदेश

कर्मचारियों की मांगों को लेकर सरकार सकारात्मक: यही नहीं जयराम सरकार ने समय-समय पर कर्मचारियों के लंबित वित्तीय मसलों को सुलझाया है. कर्मचारियों को समय पर डीए की अदायगी और अंतरिम राहत दी जाती रही है. वहीं हिमाचल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती, जिनकी अगुवाई में हिमाचल ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीते, उनका कहना है कि भाजपा की हर सरकार ने कर्मचारियों को उनके सभी वित्तीय लाभ समय पर दिए हैं. जयराम सरकार ने डीए और आईआर के रूप में समय पर भुगतान किया है. सरकार कर्मचारियों की सभी मांगों को लेकर सकारात्मक रही है.

हाल ही में कैबिनेट मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री ने अपने विश्वस्त मंत्रियों को यह जिम्मेदारी सौपी है कि वो सरकारी कर्मियों के साथ जेसीसी मीटिंग (JCC meeting with government employees) के लिए सरकार की तैयारियों पर काम करें. अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (non-gazetted employees federation) की राजनीति के महत्वपूर्ण हिस्सा रहे एसएस जोगटा का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में कोई भी सरकार कर्मचारियों की अनदेखी नहीं कर सकती. कर्मचारी किसी भी सरकार को सत्ता से हटाने की ताकत रखते हैं. जिस भी सरकार ने कर्मचारियों की अनदेखी की उसे चुनाव में परिणाम भुगतने पड़े हैं.

जोगटा का कहना है कि यदि सरकार समय पर जेसीसी की मीटिंग आयोजित करती रहे और सरकारी कर्मियों की मांगों को समय पर पूरा करे तो कर्मचारी उस सरकार का साथ जरूर देंगे. फिलहाल जयराम सरकार की नजर 2 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों के बहाने 10 लाख वोटों पर है. देखना है कि सरकारी कर्मचारी किस तरफ को अपना झुकाव दिखाते हैं. वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानू के अनुसार जयराम ठाकुर का मिशन रिपीट का सपना सरकारी कर्मचारियों को अपने पाले में लाने से पूरा हो सकता है.

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