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सरकार ने मांगें नहीं मानी तो होगी आर-पार की लड़ाई: भारतीय मजदूर संघ

एनजीओ भवन हमीरपुर (NGO Bhawan Hamirpur) में आयोजित हुई भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Majdoor Sangh) की बैठक में 36 सूत्रीय मांग पत्र पर विस्तार से चर्चा हुई. दरअसल भारतीय मजदूर संघ की तरफ से सरकार को 36 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया है, लेकिन सरकार ने मांगों को लेकर संघ से कोई वार्ता ही नहीं की है. ऐसे में अब संघ 29 नवंबर को शिमला में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन (protest against the government) करेगा.

Bhartiya Majdoor Sangh
भारतीय मजदूर संघ
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Published : Nov 19, 2021, 3:54 PM IST

हमीरपुर: भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Majdoor Sangh) की एक महत्वपूर्ण बैठक एनजीओ भवन हमीरपुर (NGO Bhawan Hamirpur) में आयोजित की गई. इस बैठक की अध्यक्षता भारतीय मजदूर संघ के जिला अध्यक्ष तिलक राज शर्मा ने की. इस बैठक में विशेष रुप से भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष मदन राणा भी मौजूद रहे. बैठक में भारतीय मजदूर संघ के 36 सूत्रीय मांग पत्र पर विस्तार से चर्चा हुई और निर्णय लिया गया कि अब इन मांगों को लेकर सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी.

प्रदेश अध्यक्ष मदन राणा ने कहा कि हमीरपुर जिला में भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Majdoor Sangh) की बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई है. उन्होंने बताया कि जो 36 सूत्रीय मांग पत्र भारतीय मजदूर संघ की तरफ से सरकार को दिया गया है, उस पर वार्ता के लिए सरकार से आग्रह किया गया था, लेकिन अभी तक सरकार ने मजदूर संघ के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया है.

पिछले दिनों बिलासपुर में आयोजित भारतीय मजदूर संघ की बैठक (Indian labor union meeting) में यह निर्णय लिया गया है कि अब शिमला में बड़े स्तर पर आंदोलन (protest) किया जाएगा. प्रदेशभर से भारतीय मजदूर संघ से जुड़े हुए संगठन इसमें हिस्सा लेंगे. 29 नवंबर को शिमला में हजारों की तादाद में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन (protest against the government) करने के लिए विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी और सदस्य जुटाए जाएंगे. जब तक मांगें पूरी नहीं होती है सरकार के खिलाफ संघ का विरोध लगातार जारी रहेगा.

गौरतलब है कि भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Majdoor Sangh) के पदाधिकारियों का स्पष्ट तर्क है कि सरकार 36 सूत्रीय मांग पत्र पर जल्द से जल्द वार्ता के लिए पदाधिकारियों को बुलाए और महत्वपूर्ण मांगों पर सरकार अपना स्टैंड भी स्पष्ट करें. आंगनवाड़ी वर्कर (anganwadi worker), सिलाई वर्कर (sewing worker), आशा वर्कर (asha worker) को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए और आउटसोर्स कर्मचारियों (outsource employees) के लिए ठोस नीति बनाई जाए. इसके साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम (old pension scheme) को बहाल करने की भी मांग उठाई जा रही है.

ये भी पढ़ें :पुलिस को चकमा देकर फरार आरोपी 'तारा देवी' के जंगल से गिरफ्तार

हमीरपुर: भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Majdoor Sangh) की एक महत्वपूर्ण बैठक एनजीओ भवन हमीरपुर (NGO Bhawan Hamirpur) में आयोजित की गई. इस बैठक की अध्यक्षता भारतीय मजदूर संघ के जिला अध्यक्ष तिलक राज शर्मा ने की. इस बैठक में विशेष रुप से भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष मदन राणा भी मौजूद रहे. बैठक में भारतीय मजदूर संघ के 36 सूत्रीय मांग पत्र पर विस्तार से चर्चा हुई और निर्णय लिया गया कि अब इन मांगों को लेकर सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी.

प्रदेश अध्यक्ष मदन राणा ने कहा कि हमीरपुर जिला में भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Majdoor Sangh) की बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई है. उन्होंने बताया कि जो 36 सूत्रीय मांग पत्र भारतीय मजदूर संघ की तरफ से सरकार को दिया गया है, उस पर वार्ता के लिए सरकार से आग्रह किया गया था, लेकिन अभी तक सरकार ने मजदूर संघ के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया है.

पिछले दिनों बिलासपुर में आयोजित भारतीय मजदूर संघ की बैठक (Indian labor union meeting) में यह निर्णय लिया गया है कि अब शिमला में बड़े स्तर पर आंदोलन (protest) किया जाएगा. प्रदेशभर से भारतीय मजदूर संघ से जुड़े हुए संगठन इसमें हिस्सा लेंगे. 29 नवंबर को शिमला में हजारों की तादाद में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन (protest against the government) करने के लिए विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी और सदस्य जुटाए जाएंगे. जब तक मांगें पूरी नहीं होती है सरकार के खिलाफ संघ का विरोध लगातार जारी रहेगा.

गौरतलब है कि भारतीय मजदूर संघ (Bhartiya Majdoor Sangh) के पदाधिकारियों का स्पष्ट तर्क है कि सरकार 36 सूत्रीय मांग पत्र पर जल्द से जल्द वार्ता के लिए पदाधिकारियों को बुलाए और महत्वपूर्ण मांगों पर सरकार अपना स्टैंड भी स्पष्ट करें. आंगनवाड़ी वर्कर (anganwadi worker), सिलाई वर्कर (sewing worker), आशा वर्कर (asha worker) को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए और आउटसोर्स कर्मचारियों (outsource employees) के लिए ठोस नीति बनाई जाए. इसके साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम (old pension scheme) को बहाल करने की भी मांग उठाई जा रही है.

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