बिलासपुर: एक बूटा बेटी के नाम योजना के तहत बिलासपुर और कुनिहार डिवीजन में वन विभाग ने इस साल का लक्ष्य हासिल कर लिया है. फील्ड से एकत्रित किए गए डाटा के तहत 1800 नवजात बेटियां चिहिंत की गई हैं. इन्हें इस योजना से लाभाविंत किया जाएगा.
प्रत्येक बेटी के अभिभावकों को उनकी पसंद के 5 पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे. वन विभाग बिलासपुर में कार्यरत मुख्य अरण्यपाल आरएस पटियाल ने बताया कि पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री-गार्ड के अतिरिक्त एक नेम प्लेट सहित वर्मी कंपोस्ट की किट भी प्रदान की जाएगी. पौधों की सुरक्षा के लिए तमाम जानकारियों से लैस एक पंफलेट भी उपलब्ध करवाया जाएगा. यही नहीं, जिन अभिभावकों के पास भूमि नहीं है विभाग जंगलों में उपयुक्त जगह चयनित कर उनसे पौधे लगवाएगा.
आरएस पटियाल ने बताया कि विभाग की यह योजना जहां समाज को एक नई दिशा दिखाएगी तो वहीं, पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काफी कारगर साबित होगी. एक बूटा बेटी के नाम योजना पिछले साल 26 दिसंबर को मनाली में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपाई के जन्मदिन के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लांच की थी. इस स्कीम के तहत बेटी के जन्म पर अभिभावक अपनी इच्छा के अनुरूप अपनी जमीन पर पांच पौधे लगाएंगे.
बेटियों के जन्म का पूरा डाटा जुटाने का जिम्मा संबंधित वन बीटों के गार्ड्स को सौंपा गया था. इसके आधार पर विभाग नवजात बेटियों के अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर च्वाईस के पौधों की डिमांड लेगा और संबंधित क्षेत्र में स्थापित वन विभाग की नर्सरी से पांच पौधे अभिभावकों को उपलब्ध करवाए जाएंगे.
यह पौधे अभिभावक अपनी जमीन पर लगाएंगे और पौधों की देखभाल अभिभावकों को खुद ही करनी होगी. विभाग की तरफ से पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री.गार्ड और बीस किलोग्राम की वर्मी कंपोस्ट किट भी प्रदान की जाएगी.
वन वृत्त बिलासपुर में कार्यरत अरण्यपाल आरएस पटियाल ने बताया कि योजना के तहत इस वर्ष का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है जिसके तहत बिलासपुर डिवीजन में 1050 और कुनिहार डिवीजन में 750 नवजात बेटियां चिहिंत की गई हैं जिन्हें योजना से लाभाविंत किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि अपनी जमीन पर लगाए गए पौधों को अभिभावक जरूरत के अनुसार काट सकेंगे लेकिन जिन अभिभावकों के पास जमीन नहीं है और उन्होंने वन भूमि पर पौधरोपण किया है तो उन्हें वनभूमि पर लगाए गए पौधों को काटने की अनुमति नहीं होगी. अभिभावक घास व लकड़ी इत्यादि के लिए इन पेड़ पौधों का इस्तेमाल कर पाएंगे.
आरएस पटियाल ने बताया कि अप्रैल से लेकर जून महीने तक वन बीटों से नवजात बेटियों का डाटा कलेक्ट किया जा रहा है. डाटा कलेक्शन के बाद अभिभावकों से संपर्क बनाकर पौधों की डिमांड ली जाएगी और संबंधित क्षेत्र की नर्सरी से उन्हें पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे.
आरएस पटियाल ने बताया कि इनकी पूरी देखभाल बच्चियों के अभिभावकों को खुद ही करनी होगी. पौधों की फैंसिंग होने से यह सुरक्षित रहेंगे. उन्होंने बताया कि पौधे लगाने का कार्य बरसात के मौसम में ही किया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रदेश में वन संरक्षण एवं वनों का दायरा बढ़ाने की दिशा में यह स्कीम काफी कारगर सिद्ध होगी.
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