बगहा : जहां एक तरफ पूरा देश कोरोना संक्रमण की महामारी से जूझते हुए लॉकडाउन कानून का पालन करने में जुटा हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ वन तस्करों के लिए यह लॉकडाउन किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रहा है, क्योंकि तस्करों की कुदृष्टि प्रदेश के एकमात्र वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष के कीमती पेड़ों पर जा टिकी है. यहां वन तस्करों के जरिए रोज धड़ल्ले से लकड़ियां काटी जा रही है.
कीमती लकड़ियों की हो रही कटाई
बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व 890 वर्ग किमी में फैला हुआ है. इसमें अनेक प्रजाति के अनगिनत बहुमूल्य प्रकार के पेड़ हैं. खासकर सागवान, सखुआ, चंदन, धूप, खैर और शीशम के विशाल पेड़ इस जंगल की शोभा बढ़ाते हैं. ऐसे में लकड़ी तस्कर विटीआर के जंगल से सागवान, सखुआ और शीशम की लकड़ियां काटकर उसकी तस्करी धड़ल्ले से कर रहे हैं.
काटे गए हैं अनगिनत पेड़
वन विभाग की ओर से वन क्षेत्र के सीमा से लगे प्रत्येक इलाके में इको विकास समिति का गठन किया गया है. जिसका उद्देश्य लोगों को वन संपदाओं का नुकसान पहुंचाने से रोकना है. ऐसे में इको विकास समिति गोबरहिया मदनपुर क्षेत्र के अध्यक्ष ललका बाबा का कहना है कि लॉकडाउन लगने के बाद तस्कर एकाएक सक्रिय हुए हैं और लगातार रात के अंधरे में कीमती लकड़ियों की कटाई कर रहे हैं.
पर्यावरण को होगा भारी नुकसान
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर्यावरण बचाने को लेकर जल-जीवन हरियाली के तहत पेड़-पौधे लगाने पर करोड़ों रूपये खर्च कर रहे हैं. वहीं, वन तस्करों के लिए लकड़ी काटना एक रोजगार बन गया है. दरअसल, वन तस्कर पहले कीमती लकड़ियों की एक-एक कर छाल छीलते हैं और फिर रात के अंधेरे में उसको काट लेते हैं. अब जरूरत है वन विभाग को एक बेहतर रणनीति बना ऐसे वन तस्करों पर कड़ी कार्रवाई करने की ताकि वन संपदा और पर्यावरण को नुकसान पहुंचने से बचाया जा सके.