रोहतास: जिले में ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन का त्रिवार्षिक अधिवेशन आयोजित किया गया. यह अधिवेशन डेहरी ऑन सोन में हुआ. वहीं, अधिवेशन में नए पदाधिकारियों का अलग-अलग पदों के लिए चुनाव किया गया. इस मौके पर सरकार के खिलाफ आवाज भी उठाई गई.
बता दें कि ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन में अलग-अलग पदों के लिए 15 मार्च तक नामांकन दाखिल, 16 मार्च को नामांकन जांच और 18 मार्च तक नामांकन वापसी की तिथि निर्धारित की गई थी. वहीं, 23 मार्च को होने वाले अधिवेशन को देश में लागू लॉकडाउन के कारण स्थगित कर दिया गया था. जिसे रविवार को आयोजित किया गया.
'सरकार मजदूरों का कर रही शोषण'
इस अधिवेशन में पहुंचे ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के केंद्रीय उपाध्यक्ष डीपी यादव ने केंद्र सरकार पर श्रमिक विरोधी होने का आरोप लगाया. उन्होंने सरकार की इस नीति के खिलाफ हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार की वर्तमान नीतियां देश भर के मजदूरों के खिलाफ है. यह सरकार मालिकों के फायदे के लिए श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों का शोषण करना चाहती है. जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार के इस तुगलकी फरमान के खिलाफ देशभर के श्रमिक संगठनों को एकजुट होना होगा. वरना निजीकरण और निगमीकरण के रास्ते मजदूरों के अधिकार को सरकार कुचल देगी. इसीलिए सरकार का विरोध करना ही पड़ेगा.
सरकार से महंगाई भत्ता देने की मांग
डीपी यादव ने सरकार के खिलाफ हुंकार भरते हुए कहा कि रेल कर्मचारी कोरोना महामारी के समय में भी देश के कोने-कोने में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए दिन रात अपनी सेवा देते रहें. गुड्स ट्रेनों के संचालन में किसी प्रकार की कमी नहीं आने दी. लेकिन, सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ता फ्रीज कर श्रमिक विरोधी होने का परिचय दिया है. जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सरकार को हर हाल में महंगाई भत्ता देना ही होगा. अगर सरकार हमारी बातें नहीं मानती है तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा.