पूर्णिया: पीले गेहूं और सफेद चावल के बारे में तो सबको पता है लेकिन क्या आप काले या नीले गेहूं के बारे में जानते हैं? सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगता है. मगर NABI (नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट) के एक शोध में काले गेहूं की कई खूबियां सामने आई हैं. इसको देखते हुए पूर्णिया में भी अब काले गेहूं की खेती की जाएगी.
शोध में पाया गया कि काले गेहूं में मौजूद एंटी ऑक्ससीडेंट फायदेमंद होते हैं. साथ ही ये बड़े रोगों को जड़ से मिटाने में रामबाण साबित होगा. इसका उपयोग दूसरी बीमारियों और महंगे मेडिसिन के खर्चों से भी थोड़ी राहत देगा. पूर्णिया, बिहार का ऐसा पहला जिला होगा जहां इसकी खेती की जाएगी. काले गेहूं की खेती के लिए वैज्ञानिकों ने पूर्णिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी बड़े लेवल पर खेती के संकेत दिए हैं.
पहली बार में सफल परीक्षण
काला गेहूं लोगों की डेली डायट में कितना फायदेमंद है इसके लिए सबसे पहले चूहे पर प्रयोग किया गया. इसके सफल परीक्षण और 'दाने एक, फायदे अनेक' गुणों को देखकर ही शहर के एक बड़े व्यवसायी ने इसके बीज मंगवाए. उसने NABI की मदद से 15 अक्टूबर 2018 को डगरुआ और जलालगढ़ प्रखंड के एक एकड़ खेत में वैज्ञानिक देखभाल से इसकी खेती की, जो सफल रही. इसमें 12 से 15 क्विंटल गेहूं का उत्पादन हुआ. इसी के साथ काले गेहूं की खेती करने वाला पूर्णिया बिहार का पहला जिला बन गया.
क्या होता है 'काला गेहूं' ?
ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में NABI जलालगढ़ के अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि काला गेहूं विकसित की गई गेहूं की एक प्रजाति है. गेहूं में पाया जाने वाला एंथोसायनिन की मात्रा ही है जो गेहूं के रंग को प्रभावित करती है. इसमें मौजूद एंटी ऑक्ससिडेंट मानव शरीर में पैदा होने वाले विकारों को पनपने से रोकता है. दुनिया भर में प्रयोग किये जाने वाले पीले गेहूं और उसके सफेद आटे में जहां एंथोसायनिन नामक तत्व बेहद सामान्य मात्रा में होता है. वहीं, काले गेहूं में ये तत्व करीब 28 गुना ज्यादा पाया जाता है.
देखने में सामान्य आटे जैसा
दिखने में काले गेहूं का ऊपरी हिस्सा काला मालूम होता है लेकिन इसका आटा पीले गेहूं जैसा ही सफेद रंग का होता है. वैज्ञानिकों का दावा है कि जहां पीला गेहूं और उसका सामान्य आटा मानव शरीर में पैदा होने वाले विकारों और बड़े रोगों से लड़ने में अक्षम है. वहीं काले गेहूं में मौजूद एंथोसायनिन एंटीऑक्सीडेंट खराब पोषण से मानव शरीर में पनपने वाले प्रदूषक तत्व क्रोनिक ऑक्सिडेटिव को पनपने नहीं देता.
इन रोगों से लड़ेगा काला गेहूं
आपको बता दें कि काला गेहूं मोटापा, हृदय रोग, शुगर, कैंसर, उम्र बढ़ने, निम्न रक्त कोलेस्ट्रॉल, वसा जमाव, ग्लूकोज स्तर, रक्तचाप, इंसुलिन जैसी बड़ी बीमारियों को दूर करने में मदद करता है.
पूर्णिया में शुरूआत
पूर्णिया में आयोजित NABI की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि इस साल के आखिरी महीने यानी नवम्बर-दिसम्बर तक पूर्णिया में बड़े लेवल पर काले गेहूं की खेती की जाएगी. साथ ही जल्द ही बाजारों में काला गेहूं और उससे बने प्रोडेक्ट नजर आने लगेंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में नरम चावल की किस्म पर भी बात की गई. जिसे सामान्य पानी में 20 मिनट भिगोकर पकाया जा सकेगा.