पटना: प्रदेश में कोरोना कहर बरपा रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य कर्मी अपनी तमाम इच्छाओं और भावनाओं पर काबू रखते हुए मानव सेवा में जुटे हुए हैं. ऐसे में 'मदर्स डे' पर हम बता रहे हैं एक ऐसी महिला की जो बीते एक साल से अपने नवजात शिशु से दूर रहकर कोरोना जांच कार्य में जुटी हुई हैं. रंजीता कुमारी जो बतौर एएनएम पटना जंक्शन पर कोरोना जांच की ड्यूटी में तैनात हैं. ये पिछले एक साल से अपने दूध मुंहे बच्चे से दूर रहकर मानव हित में आपदा की इस घड़ी में चिकित्सीय सेवा में जुड़ी हुई हैं.
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लोगों की सेवा में जुटी 'सुपर मॉम'
एएनएम रंजीता कुमारी ने बताया कि वह पिछले एक साल से अपने दूध मुंहे बच्चे से दूर हैं और बिना छुट्टी लिए कोरोना ड्यूटी में कार्य कर रही हैं. उन्होंने बताया कि जब उनका बच्चा 6 माह का था, तब से वह अपने बच्चे से अलग रह रही हैं. अब उनका बच्चा डेढ़ साल का हो गया है.
अपनी ड्यूटी को बताया सर्वोपरि
रंजीता ने बताया कि उनके पति मर्चेंट नेवी में है, ऐसे में उन्होंने अपने बच्चे को मायके में छोड़ रखा है. पटना जिले के बड़हिया गांव में उनकी मां बच्चे की देखभाल कर रही हैं. अपने दूध मुंहे बच्चे से दूर रहना कोई मां नहीं चाहती है. लेकिन, इस कठिन घड़ी में अपने ड्यूटी को सर्वोपरि मानते हुए वह मानव सेवा में जुटी हुई हैं.
''कोरोना के कारण पटना में क्वार्टर लेकर अलग रहती हूं. क्वाटर में जाने के बाद सभी एहतियात बरतती हूं. पिछली बार कोरोना महामारी के दौरान मैं भी संक्रमित हो गई थी. तभी से मैं अपने बच्चे से दूर रहने लगी, ताकि मेरा बच्चा सुरक्षित रहे और स्वस्थ रहे.''- रंजीता कुमारी, एएनएम
'अभी का समय बेहद ही चुनौतीपूर्ण'
उन्होंने बताया कि ड्यूटी करके घर जाने के बाद फोन पर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से अपने बच्चे से बात करती हैं और भगवान से प्रार्थना करती हैं कि जल्द ही ये महामारी की घड़ी खत्म हो, ताकि वो अपने बच्चे के पास जा सकें और फिर से उसे अपनी गोद में खिला सकें. उनके लिए अभी का समय बेहद ही चुनौतीपूर्ण हैं.
रंजीता कुमारी ने बताया कि उनका मन अपने बच्चे से मिलने को काफी करता है, लेकिन वो विवश हैं. क्योंकि, उनकी ड्यूटी पटना जंक्शन पर है और यहां प्रतिदिन काफी संख्या में संक्रमित मिलते हैं. ऐसे में उनका बच्चे के साथ रहना बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है.
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ममता पर भारी मानव सेवा का जुनून
हर साल मई के दूसरे रविवार को 'मदर्स डे' मनाया जाता है. मां हर बच्चे के लिए बहुत स्पेशल होती है. कोई भी दुख हो या परेशानी हों, हर किसी का पहला शब्द मां होता है. कोरोना काल में ऐसी ही कई सुपर मॉम हैं जिनकी ममता पर मानव सेवा का जुनून भारी है. ऐसी सुपर मॉम के प्रति सभी देशवासी आभारी हैं.