पटना: जगदानंद सिंह एक बार फिर निर्विरोध आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष (RJD State President Jagdanand Singh) चुन लिए गए हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस करके RJD के निवार्चन पदाधिकारी ने घोषणा की. राजद की तरफ से इस बात की विधिवत घोषणा राज्य निर्वाचन पदाधिकारी डॉ तनवीर हसन ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके दी. डॉ तनवीर हसन ने कहा कि 21 सितंबर को पटना में राज्य परिषद की बैठक होगी. जिसमें निर्विरोध रूप से निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के निर्वाचन की विधिवत औपचारिकता पूरी की जाएगी एवं उन्हें प्रमाण पत्र सौंपा जाएगा.
ये भी पढ़ें- 'नासमझ समझने की भूल करने वालों' पर लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव जल्द करेंगे बड़ा खुलासा
''बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए 19 सितंबर को एकमात्र नामांकन जगदानंद सिंह द्वारा चार सेट में दाखिल किया गया था. जांच उपरांत चारों सेट सही और वैध पाया गया. वहीं 20 सितंबर को 1:00 बजे तक नामांकन पत्र वापसी की तिथि निर्धारित की गई थी. जिस दरमियान एकमात्र दाखिल नामांकन पत्र वापस नहीं लिया गया. जिसके बाद बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष पद हेतु एकमात्र उम्मीदवार जगदानंद सिंह को निर्वाचित घोषित किया गया''- डॉ तनवीर हसन, आरजेडी के राज्य निर्वाचन पदाधिकारी
दूसरी बार सवर्ण जाति से प्रदेश अध्यक्ष बने जगदा बाबू: राजद के प्रमुख नेताओं में शुमार होने वाले और लालू प्रसाद यादव के वरिष्ठतम सहयोगी जगदानंद सिंह को दूसरी बार निर्विरोध पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर निर्वाचित घोषित किया गया. पार्टी के प्रमुख नेताओं में शुमार होने वाले जगदानंद सिंह ने अपने निर्वाचन के साथ ही एक अनोखा रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. दरअसल जगदानंद सिंह पार्टी के पहले ऐसे सवर्ण नेता थे, जिन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी को संभाला था. तब ये अनोखा रिकॉर्ड उनके नाम आया था, अब लगातार दूसरी बार सवर्ण प्रदेश अध्यक्ष बन के उन्होंने एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. बता दें कि जगदानंद सिंह की गिनती लालू परिवार के करीबी नेताओं में होती है.
खांटी समाजवादी की है पहचान: जगदानंद सिंह की पहचान खाटी समाजवादी विचारधारा वाले नेता के रूप में रही है. जगदानंद सिंह दरअसल खुद को लोहिया, जयप्रकाश, कर्पूरी और चौधरी चरण सिंह की परिपाटी वाले समाजवाद का सिपाही मानते हैं. उसूल के इतने पक्के कि 2009 में जब उनको लोकसभा के लिए चुना गया तो उन्होंने अपने बेटे सुधाकर सिंह को छोड़कर अपने संघर्ष के दिनों के साथी अंबिका यादव को राजद से टिकट दिलवाया और लगातार जीत दर्ज करवाने में अहम भूमिका भी अदा की.
जब बेटे के खिलाफ की थी कैंपेनिंग: हालांकि राजनीति में अपनी महत्वाकांक्षा को पाले हुए सुधाकर सिंह ने अपने पिता के नियम के विरुद्ध जाकर बीजेपी को ज्वाइन कर लिया और रामगढ़ सीट से बीजेपी के प्रत्याशी के तौर पर उन्होंने अपनी दावेदारी भी पेश की. लेकिन यहां पर भी जगदानंद सिंह को उनके उसूल डिगा नहीं. उन्होंने अपने बेटे के खिलाफ कैंपेनिंग की, लिहाजा सुधाकर सिंह चुनाव हार गए.
हर दौर में लालू के साथ: राजनीति में जगदानंद सिंह और पार्टी नेताओं में जगदा बाबू के नाम से फेमस जगदानंद सिंह ऐसे ही लालू प्रसाद के खास में नही गिने जाते हैं. नवंबर 2019 में जब प्रदेश राजद अध्यक्ष की कमान 74 साल के जगदानंद सिंह को दी गई तो उनकी नियुक्ति में सभी को चौंका दिया था. क्योंकि पार्टी के स्थापना के बाद के इतिहास में यह पहली बार था कि किसी उच्च जाति के राजनेता को बिहार का प्रमुख नियुक्त किया गया था.
लालू से दोस्ती की फिर नहीं टूटी: 1945 में एक किसान परिवार में जन्म लेने वाले जगदानंद के पिता सेना में लेफ्टिनेंट थे. उनकी गांव की प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने बनारस के हरिशचंद्र कॉलेज से कानून की पढ़ाई की. दौर समाजवादी आंदोलन का था. समाजवाद से प्रभावित होकर जगदानंद राजनीति में आए तो उनकी मुलाकात लालू प्रसाद यादव से हुई. फिर दोस्ती ऐसी बनी है कि जिंदगी भर नहीं टूटी. जगदानंद सिंह और लालू प्रसाद यादव की राजनीति शुरू से ही साथ साथ चली है. जनता दल के निर्माण फिर उसमें टूट और राजद के निर्माण यानी जब जब भी मौका आया, जगदानंद हर अच्छे और बुरे दौर में लालू के साथ रहे. चारा घोटाले में जब लालू प्रसाद जेल गए तो पार्टी को मजबूती देने के साथ ही उसे संगठित रखने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई.
जगदानंद के सामने चुनौती और सहूलियत दोनों: दरअसल, बिहार की राजनीति में आरजेडी का वोट बैंक मुख्य रूप से मुसलमानों और यादवों को माना जाता रहा है. राजद में जबसे तेजस्वी फुल फॉर्म में आए तो उन्होंने ए टू जेड की पॉलिसी को अपनाया यानी कि उन्होंने पार्टी में हर दल और वर्ग को साथ लेने की नीति को अपनाया. लगातार दूसरी बार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को संभालने के बाद जगदानंद सिंह के सामने कुछ सहूलियत भी है तो कुछ चुनौतियां भी हैं. पार्टी की बिहार में सरकार बन चुकी है. तेजस्वी यादव ने अपेक्षाकृत नए चेहरों को मौका भी दिया है. जगदानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में अनुशासन भी दिख रहा है. अब अपने इस कार्यकाल में जगदानंद सिंह पार्टी को और किस ऊंचाई पर ले जाते हैं, यह देखना होगा.