पटना : देश की राजनीति (Politics ) में पंडित जवाहरलाल नेहरू, (Jawahar Lal Nehru) जेपी, लोहिया और कर्पूरी ठाकुर राजनीति के शिल्पकार थे. उनके सिद्धांतों पर ही देश में राजनीति होती है. राजनीतिक जीवन के छात्र नेताओं के निजी जीवन पर नहीं थी. विषम परिस्थितियों में राजनेता अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का भी ख्याल रखते थे लेकिन अब वह बीते दिनों की बात हो गई है. ये ही हाल बिहार की राजनीति (Politics In Bihar) में भी देखने को मिल रहा है. जहां बीमार हालत में भी नेता राजनीतिक मतभेदों के चलते एक दूसरे की सुधि लेना जरुरी नहीं समझते हैं.
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दिनों दिन बढ़ती जा रही कटुता
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Rambilas Paswan) का लंबी बीमारी के बाद निधन हुआ. बड़ी संख्या में नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी लेकिन नीतीश कुमार ने राजनीतिक मतभेदों के चलते संवेदना व्यक्त नहीं. जिसे लेकर लोजपा नेता चिराग पासवान ने नाराजगी भी जाहिर की थी. वहीं अब बात बिहार के राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) की. वे लंबे समय से बीमार चल रहे हैं. लालू प्रसाद जेल से भी बाहर आ गये हैं. दिल्ली में रहकर इलाज करा रहे हैं. राजनीतिक जगत से जुड़े लोग मतभेदों के चलते उनका कुशलक्षेम जानना भी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं
दिल्ली में रहे नीतीश, किसी ने नहीं पूछा हाल
बिहार के मुख्यमंत्री आंख के इलाज के लिए दिल्ली गए थे . नीतीश कुमार( Cm Nitish Kumar) 8 दिनों तक वहां रहे लेकिन इस दौरान दौरान किसी बड़े नेताओं ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनका कुशलक्षेम नहीं जाना. विषम परिस्थितियों में भी बड़े भाई और छोटे भाई के बीच दूरी बरकरार रही. दिल्ली में होने के बाद भी छोटे भाई ने बड़े भाई से बीमार हालत में मुलाकात नहीं की.
राजनीति के स्तर में आई गिरावट
जयप्रकाश नारायण और इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के बीच जबरदस्त राजनीतिक मतभेद थे. इसके बावजूद इसके जब जयप्रकाश बीमार पड़े तो इंदिरा गांधी हर रोज फोन कर उनका हालचाल जानती थी. वहीं जवाहरलाल नेहरू भी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से कठिन परिस्थितियों में मतभेदों को भुलाकर मुलाकात करते थे अटल बिहारी वाजपेई भी जब बीमार पड़े थे तब कांग्रेस की सरकार ने उन्हें विदेश दौरे पर भेजा. वाजपेयी वहां से इलाज कराकर हो स्वस्थ होकर लौटे थे. अब वह परंपरा बीते दिनों की बात हो गई. नेता राजनीतिक मतभेदों के चलते दुख की घड़ी में भी मिलना जुलना मुनासिब नहीं समझते हैं.
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जानिए कांग्रेस, आरजेडी नेताओं ने क्या कहा..
कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि आज के राजनेता राजनीतिक हितों को सबसे ऊपर रखते हैं. दुःख की घड़ी में भी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से दूरी बनाकर रखते हैं. ऐसे कई उदाहरण प्रदेश की राजनीति में देखने को मिलाी है. वहीं राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि नीतीश कुमार दिल्ली गए. 8 दिनों तक वहां रहने के बावजूद भाजपा के किसी बड़े नेता ने उनका हालचाल नहीं जाना. इस मजबूरी में वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा हैं
जेडीयू- भाजपा की प्रतिक्रिया..
जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि हम राजनीति में वैमनस्यता नहीं रखते दुःख की घड़ी में हमारे नेता भी एक दूसरे के साथ रहते हैं. मिलने जुलने की परंपरा हमारे पार्टी के संस्कार में हैं. भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा है कि ऐसा नहीं कि राजनेता एक दूसरे के दुःख में शरीक नहीं होते हैं. कुछ एक उदाहरण ऐसे हो सकते हैं कि नेता एक दूसरे से दुःख की घड़ी में नहीं मिले हो. जहां तक सवाल राजनीति में गिरावट का है तो समाज के हर क्षेत्र में गिरावट आई है. राजनीति उससे अछूता नहीं है.
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'राजनीतिक प्रतिद्वंदिता वैमनस्य में बदल गई है. पहले जहां राजनेता दुख की घड़ी में एक-दूसरे से मिलते थे. हाल-चाल जानते थे लेकिन अब वह परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो गई है. राजनीतिक में अब नफा नुकसान नेताओं के लिए सर्वोपरि हो चुका है.' :- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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