पटना: टेंडर घोटाला मामले में मगध विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी राजेंद्र प्रसाद ने निगरानी कोर्ट के समक्ष सरेंडर (Rajendra Prasad surrendered before court) कर दिया है. विशेष निगरानी इकाई की स्पेशल टीम 2 दिन पहले उत्तर प्रदेश गोरखपुर उनके ठिकानों पर छापेमारी की थी. लगातार उनकी गिरफ्तारी को लेकर दबिश बनाई जा रही थी. विशेष निगरानी इकाई घोटाले मामले में पूछताछ के लिए उन्हें रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है. राजेंद्र प्रसाद अग्रिम जमानत याचिका लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी खारिज कर दी थी.
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दबिश बढ़ाई गयी थी: मगध विश्वविद्यालय में अवैध नियुक्ति, टेंडर घोटाला समेत 30 करोड़ रुपये से भी अधिक के घोटाले मामले में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद को आरोपी बनाया गया है. रविवार 5 फरवरी को विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) की टीम ने पूर्व कुलपति के गोरखपुर आवास और उनके शिक्षण संस्थान पर छापा मारा था. लेकिन राजेन्द्र प्रसाद वहां नहीं मिले. सूत्रों के अनुसार वो भागने में सफल रहे. लेकिन, निगरानी की बढ़ती दबिश के कारण उन्होंने निगरानी कोर्ट में सरेंडर कर दिया.
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पहले भी हुई थी छापेमारी: मगध विश्वविद्यालय में 30 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले से जुड़े मामले में प्राथमिक साक्ष्य मिलने के बाद विशेष निगरानी इकाई ने 2021 में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद के ठिकानों पर छापा मारा था. छापेमारी के दौरान एसवीयू को कई अहम दस्तावेज और सबूत हाथ लगे थे. लेकिन, राजेंद्र प्रसाद विशेष निगरानी के हाथ आने से बचते रहे. बार-बार निर्देश के बाद वे महज एक बार ही एसवीयू के समक्ष पूछताछ के लिए पहुंचे थे.