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माघ पूर्णिमा: यहां आस्था के नाम पर होता है अंधविश्वास का खेल

उमानाथ धाम की ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन लोग वहां पहुंचकर सिद्धि प्राप्ति के लिए भूत खेली का खेल खेलते हैं. जिस दौरान उनके अंदर देवी प्रवेश कर जाती हैं और वे फिर खुशी से नाचते हैं.

umanath dham in barh
उमानाथ धाम पर गंगा स्नान
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Published : Feb 9, 2020, 12:22 PM IST

Updated : Feb 9, 2020, 3:33 PM IST

पटना: आज माघ पूर्णिमा के अवसर पर बाढ़ के उमानाथ धाम पर श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ी. लोग धाम के घाट पर गंगा स्नान कर पूजा-पाठ करने पहुंचे. जहां उन्होंने देवी से मन्नतें मांगी.

उमानाथ धाम का है खास महत्व
बाढ़ में उत्तरायण गंगा होने के कारण माघ पूर्णिमा के दिन उमानाथ धाम पर गंगा स्नान करने का खासा महत्व है. जिसके कारण कई जिलों से लोग यहां पहुंचकर गंगा स्नान करते हैं. ऐसी मान्यता है कि उमानाथ धाम में माघ पूर्णिमा के दिन स्नान कर कुछ मांगने से इच्छा पूरी होती है. इसलिए लोग वहां पूजा-पाठ करने आते हैं.

देखें रिपोर्ट

भूत खेली का खेल है प्रचलित
गंगा स्नान के दौरान घाट किनारे लोगों की ओर से भूत खेली का खेलते भी देखा गया. जहां महिलाएं ढोलक की धुन पर नाचती दिखीं. उमानाथ धाम की ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन लोग वहां पहुंचकर सिद्धि प्राप्ति के लिए भूत खेली का खेल खेलते हैं. जिस दौरान उनके अंदर देवी प्रवेश कर जाती हैं और वे फिर खुशी से नाचते हैं. बता दें कि भूत खेली की ये परंपरा कई वर्षों से माघ और कार्तिक पूर्णिमा में देखी जाती रही है.

पटना: आज माघ पूर्णिमा के अवसर पर बाढ़ के उमानाथ धाम पर श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ी. लोग धाम के घाट पर गंगा स्नान कर पूजा-पाठ करने पहुंचे. जहां उन्होंने देवी से मन्नतें मांगी.

उमानाथ धाम का है खास महत्व
बाढ़ में उत्तरायण गंगा होने के कारण माघ पूर्णिमा के दिन उमानाथ धाम पर गंगा स्नान करने का खासा महत्व है. जिसके कारण कई जिलों से लोग यहां पहुंचकर गंगा स्नान करते हैं. ऐसी मान्यता है कि उमानाथ धाम में माघ पूर्णिमा के दिन स्नान कर कुछ मांगने से इच्छा पूरी होती है. इसलिए लोग वहां पूजा-पाठ करने आते हैं.

देखें रिपोर्ट

भूत खेली का खेल है प्रचलित
गंगा स्नान के दौरान घाट किनारे लोगों की ओर से भूत खेली का खेलते भी देखा गया. जहां महिलाएं ढोलक की धुन पर नाचती दिखीं. उमानाथ धाम की ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन लोग वहां पहुंचकर सिद्धि प्राप्ति के लिए भूत खेली का खेल खेलते हैं. जिस दौरान उनके अंदर देवी प्रवेश कर जाती हैं और वे फिर खुशी से नाचते हैं. बता दें कि भूत खेली की ये परंपरा कई वर्षों से माघ और कार्तिक पूर्णिमा में देखी जाती रही है.

Intro:अंधविश्वास:आस्था और विश्वास का केंद्रबिंदु बना बाढ़ का उमानाथ धाम! आज भी कायम है भूत खेली की परंपरा! ऐसा मानना है कि आज माता गंगा नदी के तट पर उनके शरीर के अंदर प्रवेश कर जाती है। और ढोल पर खूब नाचती है।Body:बाढ में माघी पूर्णिमा को लेकर अनुमंडल के विभिन्न गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी वहीं गंगा किनारे कई भूत खेली भी देखी गई। माघी पूर्णिमा के दिन ही सिद्धि को प्राप्ति के लिए कई जिलों से लोग बाढ पहुंचकर भूत खेली का खेल खेलते हैं।लोगों लोगों का ऐसा मानना है कि उन्हें देवी मां प्रवेश कर जाती है और माघी पूर्णिमा के दिन खुशी से नाचती हैं। भूत खेड़ी खेल कई वर्षों से माघी और कार्तिक पूर्णिमा में देखी जाती है। बाढ़ में उत्तरायण गंगा होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। जिसके कारण कई जिलों से लोग यहां पहुंचकर गंगा स्नान करते हैं पूजा-पाठ करते हैं और वरदान मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि उमानाथ में माघी पूर्णिमा के दिन स्नान कर कुछ मांगने पर उसकी इच्छा की जरूरत पूर्ति होती है।

कई जिलों से लोग यहां पर आकर भगत भक्तिनी भूत खेली का खेल करते हैं। पहले आकर पूजा-पाठ और गंगा स्नान करने के बाद ढोल नगाड़े पर नाचते हैं और उनका मानना है कि इस तरह से माता का उनमें प्रवेश कर जाती है जिसके कारण उन्हें कुछ होश नहीं रहता है और सब कुछ माता के कृपा से ही होता है।

उत्तरायण गंगा के तट पर बसा बाढ़ का उमानाथ धाम !जहां मांघी पूर्णिमा के अवसर पर लाखों लोग करते हैं गंगा स्नान! बाढ़ के उमानाथ धाम के बारे में एक कहावत प्रचलित है कि--"बाढ़ बनारस एक है बसे गंग के तीर! उमानाथ के दर्शन से कंचन होत शरीर!"
इसी कहावत को चरितार्थ करने हेतु हर साल बाढ़ के उमानाथ धाम में बिहार के अन्य जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं ,और गंगा स्नान कर पूजा पाठ करते हैं! इस बार भी बाढ़ रेलवे स्टेशन 1 दिन पहले से ही खचाखच भरी हुई थी! बाढ़ शहर के चप्पे-चप्पे में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है! इस धाम में गंगा स्नान को लेकर लोग पूर्व से ही मन्नत मान रखते हैं! और मन्नत की पूर्ति होते ही लोग अपने-अपने तरीके से गंगा स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं! कहीं मुंडन की परंपरा जारी रहती है! तो कहीं पाठा दान की! कहीं भूत खेली की परंपरा देखी जाती है, तो कहीं भगत को सिद्ध होते हुए!

वहीं बिहार शरीफ के से आए हुए सुनील ढोलकिया ने बताया कि ढोल बजने से माता उस महिला के अंदर प्रवेश कर जाती है और ढोल बनने से माता प्रसन्न होकर खूब नाचती हैं ऐसा उनका मानना है।



बाइट- सुनील ढोलकियाConclusion:
Last Updated : Feb 9, 2020, 3:33 PM IST
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