पटना: साल 2024 में होने वाली विभिन्न बोर्ड्स परीक्षाओं के लिए डेट जारी हो गए हैं. इसके अलावा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के भी डेट जारी हो गए हैं. परीक्षार्थियों के पास समय काफी कम बचा है. खासकर जो बोर्ड्स परीक्षा के विद्यार्थी हैं उन पर बोर्ड्स परीक्षा का दबाव आ गया है. परिवार के सदस्य भी बोर्ड परीक्षा का हौवा बना देते हैं. ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चों को बोर्ड परीक्षा को एक सामान्य परीक्षा के तौर पर लेकर पढ़ना होगा. उन्होंने अभिभावक के लिए भी संदेश दिया है कि वे बच्चों पर अनावश्यक दबाव न बनाएं.
सामान्य परीक्षा के तौर पर लें बोर्ड परीक्षा: पटना की प्रख्यात मनोचिकित्सक डॉक्टर बिंदा सिंह ने बताया कि बोर्ड परीक्षाओं के नजदीक आते ही बच्चों पर दबाव बढ़ जाता है, लेकिन यह समझना होगा कि यह परीक्षा कोई अंतिम परीक्षा नहीं. इस परीक्षा को भी एक सामान्य परीक्षा के तौर पर लें. अभी भी लगभग 2 महीने का पर्याप्त समय बचा हुआ है. 2 महीना काफी समय होता है. इतने समय भी बच्चे अपने पाठ्य पुस्तकों को अच्छी तरीके से पढ़ लेंगे तो परीक्षा में अच्छा कर जाएंगे. बच्चों के लिए जरूरी है कि वह यह समझें कि वह अपनी अभिभावक के लिए नहीं पढ़ रहे हैं, अपने दोस्तों और अपने स्कूल के लिए नहीं पढ़ रहे हैं. बल्कि वह पढ़ाई खुद के लिए कर रहे हैं.
प्रतिदिन थोड़ी देर के लिए मेडिटेशन करेंः डॉ बिंदा ने बताया कि बच्चों के लिए जरूरी है कि वह प्रतिदिन कुछ समय मेडिटेशन करें. दो-दो घंटा के अंतराल पर पढ़ाई करें. यानी एक विषय को पढ़कर उठते हैं तो दूसरी विषय को पढ़ने से पहले 10 मिनट का ब्रेक लें. थोड़ा टहले और परिवार के लोगों से बातचीत करें. जो टॉपिक परेशान कर रहा है उसे दोस्तों के साथ साझा करें और उनके साथ समझे. मोबाइल पर अनावश्यक रील और अन्य चीज देखने पर समय व्यतीत ना करें. शाम में कुछ समय खेलकूद के लिए जरूर निकले और रात में अच्छी नींद लें. अच्छी नींद मानसिक शांति और बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है.
अभिभावक बच्चों को मेंटल सपोर्ट दें: डॉ बिंदा सिंह ने बताया कि अभिभावकों के लिए जरूरी है कि वह बच्चों के सामने बोर्ड परीक्षा को अधिक हौवा नहीं बना दें. शादी विवाह और अन्य पार्टी फंक्शन है तो बच्चों की बोर्ड परीक्षा को देखते हुए वहां नहीं जा रहे हैं तो इसके लिए बच्चों को यह नहीं बताएं कि परीक्षा के कारण नहीं जा पाए. बोर्ड परीक्षा के नाम पर बच्चों को उलाहना ना दें. बच्चों पर पढ़ाई का अनावश्यक दबाव नहीं डालें. घर में ऐसा वातावरण नहीं क्रिएट करें जो पढ़ाई के अनुकूल ना हो. बच्चे यदि पढ़ाई कर रहे हैं तो उनके आसपास टीवी इत्यादि नहीं चलाएं. बच्चों के साथ रात में कुछ समय बिताएं, उनसे बातें करें.
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