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सुशील मोदी बोले- 'नीतीश कुमार को HC में मुंह की खानी पड़ी, जनता से मांगे माफी'

बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन इसको लेकर बिहार की सियासत अभी भी गरमाई हुई है. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि उनको एक बार फिर अहंकार ले डूबा. अगर पहले ही अति पिछड़ों को आरक्षण देने की बात मान लेते तो आज कोर्ट में मुंह की खानी नहीं पड़ती. पढ़ें पूरी खबर...

बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी
बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी
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Published : Oct 19, 2022, 7:51 PM IST

Updated : Oct 19, 2022, 8:05 PM IST

पटना: बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 (Bihar Municipal Election 2022) को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक बार फिर निशाना (Sushil Modi Target CM Nitish Kumar) साधा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अवहेलना कर बिहार में अतिपिछड़ों को आरक्षण दिये बिना नगर निकाय चुनाव कराने की जिद पर अड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हाई कोर्ट में मुंह की खानी पड़ी. उन्हें कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा. वे हमलोगों की बात पहले ही मान लेते तो उनकी हालत ये नहीं होती.

ये भी पढ़ें- बिहार में EBC आरक्षण को लेकर BJP-JDU आमने-सामने, सीन से RJD गायब

'बिहार नगर निकाय चुनाव मुद्दे पर नीतीश कुमार को मुंह की खानी पड़ी है. अहंकार हारा है. यदि सरकार ने विशेष आयोग बनाने का निर्णय पहले कर दिया होता, तो यह फजीहत नहीं होती. नीतीश कुमार की हालत उस पठान जैसी है, जिसने 40 #@!%&# भी खाए और 40 प्याज भी खाया. कोर्ट ने उनके अहंकार को तोड़ दिया है. जब महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव पर रोक लगने का हवाला देकर हमलोग नीतीश कुमार से बार-बार कह रहे थे कि निकाय चुनाव में अति पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए विशेष आयोग बनाया जाए, तब हमें आरक्षण विरोधी बताया जाने लगा.' - सुशील मोदी, बीजेपी राज्यसभा सांसद

बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 का रास्ता साफ : बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (BJP Rajya Sabha MP Sushil Modi) ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार की जिद के चलते निकाय चुनाव बीच में रोकने से अति पिछड़ों के जो करोड़ों रुपए नुकसान हुए, उसकी भरपायी कौन करेगा?. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में सरकार को झुकना पड़ा और आयोग बनाकर आरक्षण देने और दिसम्बर के पहले निकाय चुनाव कराने की बात माननी पड़ी. गौरतलब है कि राज्य में नगर निकाय के चुनाव (Bihar Nagar Nikay Chunav 2022) का रास्ता अति पिछडों के आरक्षण देने के साथ साफ कर दिया गया है. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार और अन्य की पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई (Review Petition Of Bihar Government) की.

आरक्षण के लिए कमशीन : बता दें कि राज्य सरकार ने पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) को बताया कि अति पिछडे वर्ग के राजनीतिक पिछड़ेपन के लिए एक विशेष कमीशन का गठन किया गया है. ये कमीशन राज्य में अति पिछड़े वर्ग में राजनीतिक पिछड़ेपन पर अध्ययन कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौपेंगी. इसके बाद राज्य सरकार के रिपोर्ट के आधार पर राज्य चुनाव आयोग, राज्य में नगर निकाय चुनाव कराएगा. कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार और अन्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को निष्पादित कर दिया है

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने: बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक ‘तीन जांच' की अर्हता को राज्य सरकार पूरी नहीं करती है. तबतक राज्य के निकाय चुनाव में ओबीसी सीट को सामान्य श्रेणी की सीट ही मानकर फिर से बताया जाये. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की इस बात का जिक्र किया कि अगर नगर निकाय चुनाव 10 अक्टूबर 2022 को है और हाईकोर्ट इस याचिका पर पहले ही सुनवाई कर देता है, तो यह नगर निकाय चुनाव के उम्मीदवारों के लिए सही होगा. हाईकोर्ट के बेंच की पीठ ने कहा है कि ‘मुख्य न्यायाधीश 23 सितंबर 2022 को समाप्त हो रहे मौजूदा सप्ताह के दौरान सुविधानुसार याचिका की सुनवाई कर सकते हैं'.

2010 में सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था मानक : दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार तय मानकों को पूरा न होने तक स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण की अनुमति तक नहीं दी जा सकती है. चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में मानक तय किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने तीन जांच के मानक (Supreme Court On OBC Reservation) के तहत राज्य को प्रत्येक स्थानीय निकाय में ओबीसी के पिछड़ेपन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के आलोक में प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत बताई. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और ओबीसी के लिए इस तरह के आरक्षण की सीमा में कुल सीटों की संख्या के 50 प्रतिशत को पार नहीं कर पाये.

पटना: बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 (Bihar Municipal Election 2022) को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक बार फिर निशाना (Sushil Modi Target CM Nitish Kumar) साधा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अवहेलना कर बिहार में अतिपिछड़ों को आरक्षण दिये बिना नगर निकाय चुनाव कराने की जिद पर अड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हाई कोर्ट में मुंह की खानी पड़ी. उन्हें कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा. वे हमलोगों की बात पहले ही मान लेते तो उनकी हालत ये नहीं होती.

ये भी पढ़ें- बिहार में EBC आरक्षण को लेकर BJP-JDU आमने-सामने, सीन से RJD गायब

'बिहार नगर निकाय चुनाव मुद्दे पर नीतीश कुमार को मुंह की खानी पड़ी है. अहंकार हारा है. यदि सरकार ने विशेष आयोग बनाने का निर्णय पहले कर दिया होता, तो यह फजीहत नहीं होती. नीतीश कुमार की हालत उस पठान जैसी है, जिसने 40 #@!%&# भी खाए और 40 प्याज भी खाया. कोर्ट ने उनके अहंकार को तोड़ दिया है. जब महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव पर रोक लगने का हवाला देकर हमलोग नीतीश कुमार से बार-बार कह रहे थे कि निकाय चुनाव में अति पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए विशेष आयोग बनाया जाए, तब हमें आरक्षण विरोधी बताया जाने लगा.' - सुशील मोदी, बीजेपी राज्यसभा सांसद

बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 का रास्ता साफ : बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (BJP Rajya Sabha MP Sushil Modi) ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार की जिद के चलते निकाय चुनाव बीच में रोकने से अति पिछड़ों के जो करोड़ों रुपए नुकसान हुए, उसकी भरपायी कौन करेगा?. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में सरकार को झुकना पड़ा और आयोग बनाकर आरक्षण देने और दिसम्बर के पहले निकाय चुनाव कराने की बात माननी पड़ी. गौरतलब है कि राज्य में नगर निकाय के चुनाव (Bihar Nagar Nikay Chunav 2022) का रास्ता अति पिछडों के आरक्षण देने के साथ साफ कर दिया गया है. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार और अन्य की पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई (Review Petition Of Bihar Government) की.

आरक्षण के लिए कमशीन : बता दें कि राज्य सरकार ने पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) को बताया कि अति पिछडे वर्ग के राजनीतिक पिछड़ेपन के लिए एक विशेष कमीशन का गठन किया गया है. ये कमीशन राज्य में अति पिछड़े वर्ग में राजनीतिक पिछड़ेपन पर अध्ययन कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौपेंगी. इसके बाद राज्य सरकार के रिपोर्ट के आधार पर राज्य चुनाव आयोग, राज्य में नगर निकाय चुनाव कराएगा. कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार और अन्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को निष्पादित कर दिया है

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने: बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक ‘तीन जांच' की अर्हता को राज्य सरकार पूरी नहीं करती है. तबतक राज्य के निकाय चुनाव में ओबीसी सीट को सामान्य श्रेणी की सीट ही मानकर फिर से बताया जाये. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की इस बात का जिक्र किया कि अगर नगर निकाय चुनाव 10 अक्टूबर 2022 को है और हाईकोर्ट इस याचिका पर पहले ही सुनवाई कर देता है, तो यह नगर निकाय चुनाव के उम्मीदवारों के लिए सही होगा. हाईकोर्ट के बेंच की पीठ ने कहा है कि ‘मुख्य न्यायाधीश 23 सितंबर 2022 को समाप्त हो रहे मौजूदा सप्ताह के दौरान सुविधानुसार याचिका की सुनवाई कर सकते हैं'.

2010 में सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था मानक : दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार तय मानकों को पूरा न होने तक स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण की अनुमति तक नहीं दी जा सकती है. चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में मानक तय किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने तीन जांच के मानक (Supreme Court On OBC Reservation) के तहत राज्य को प्रत्येक स्थानीय निकाय में ओबीसी के पिछड़ेपन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के आलोक में प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत बताई. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और ओबीसी के लिए इस तरह के आरक्षण की सीमा में कुल सीटों की संख्या के 50 प्रतिशत को पार नहीं कर पाये.

Last Updated : Oct 19, 2022, 8:05 PM IST
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